हिंदुस्तान का दर्द ही तो है नासूर, जो दुखता है रिसता है लेकिन भरता नहीं....

कल जब खुद की दाल नहीं गल रही थी तो वही संजय सेन यशवंत को पानी पी-पीकर कोस रहा था लेकिन अब उसी की चाट रहा है दोनो मुखौटाधारी अब समझौते के तहत एक हो गये हैं ताकि भोले भाले पाठकों की नजर में शरीफ़ बन सकें, भड़ास की मुहिम है ऐसे मुखौटाधारियों के खिलाफ़
बलात्कारियों और हत्यारे तक को वकील मिल ही जाते हैं तो फिर अगर हमने मुखौटाधारियों के खिलाफ़ जो मुहिम चलाया है उसमें यशवंत जैसे पाखंडी और संवेदनाओं के विक्रेता को संजय सेन जैसा वकील मिल जाता है तो क्या आश्चर्य है। लेकिन एक बात तो पंखों वाली भड़ास के इस हिमायती की सही है कि ये मानता है कि ये आदमी और इसकी सोच ही हिंदुस्तान का दर्द हैं, नाम कमाने के लिये हाथ में तेल की बोतल लिये खड़े इन जैसे ब्लागरों का भला क्या आदर्श है जो खुद ही यशवंत को धिक्कार रहे हैं लेकिन फिर तोलूगिरी की आदत के चलते खुद ही पोस्ट हटा देते हैं कि कहीं बनिया बुरा मान गया तो इन जैसे चिरकुटों को कौन पूछेगा बनिया जो धनिया दे रहा है फिर वो भी न देगा। लाली पाउडर लगा कर कोठे पर खड़ी बाई जी की तरह इनाम रख कर जिस ब्लाग की लोकप्रियता का टोटका अपना रहे लोगों को ये भी नहीं पता कि कम्युनिटी ब्लाग में बाई जी की तरह आवाज लगा-लगा कर जैसे भीड़ लगा ली है उससे बेटा कोई आदर्श नहीं स्थापित कर पाता मुझे बिना पेंदी का लोटा कहने से पहले अपना पिछवाड़ा टटोल लेना कि वहां पर क्या है किसी के डंडे के सहारे से टिके हो या अपनी निजी पेंदी है? तुम मुझे नीच कह कर खुद को ऊंचा बताने का जो कर्म कर रहे हो बेटा वह भड़ास दुनिया के सामने ला रहा है तो सारे मुखौटाधारी पाखंडी एकजुट हो कर रंडीरोना करने लगे हो लेकिन तुम सब पाखंडियों के असल चेहरे तो हम देख चुके हैं अब दुनिया को दिखाना है।
जय जय भड़ास

10 comments:

फ़रहीन नाज़ said...

ऐसे ढकोसले बाजों की कमी नहीं है ये तो गिरगिट के पूर्वज हैं रंग बदलने में माहिर
जय जय भड़ास

मनोज द्विवेदी said...

Jab bat chal nikali hai to main bhi kuchh batan chahunga. in sagar ji ke bare mein. ap logo ko yaad hoga kuchh din pahle inhone ek ENAMI PRATIYOGITA rakhi thi. vijeta ko 5000 ka inam dena tha. maine bhi ek article bheja. parinam ghosit kiya gaya. pata nahi koun se bhatnagar ji ko in mahashay ne vijeta banaya aur blog par mera article chhapa. inhone mujhe Top5 me NO1 ka jhunjhuna thama diya. maje ki baat to ye hai ki janab ne khud phone karke puchha ki kya blog par apka hi photo hai? tabhi mujhe pakka yakin ho gaya ki yah adami nihayat beimaan hai. aaj tak vijeta mahoday ko koi article inhone nahi chhapa. maine is babat mail kiya to shreemanji ne jawab me likha ki puri kitab taiyar ho rahi hai..shayad agale janam me publish ho jayegi. main to bas vijeta ka lekh isliye padhana chahata tha ki we kaha par behatar hain..mujhe inam jitane ka koi dukh ya taklif nahi hai par kast is bat ka hai ki in jaise chutiyon ke chakkar me main kaise fans gaya. main enke blog ka bhi sadasya bana hun. ek wah din tha aur ek aaj ka din hai maine inke HINDUSTAN KA DARD par ek bhi post nahi kari..kyunki main samajh gaya tha ki ye banda bahut chalu aur chutiya kism ka hai..jab BHADAS par iski li ja rahi hai to maine bhi ye bat batani uchit samjhi....ye aadami kai nam aur photo lagakar blogar bana hua hai aise logon ka mukhouta utarana hi chahiye.....

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

निहायत ही कमीना है और हमारे भाई को गालियां लिखता है कि वो नीच हैं अरे ये खुद कितना ऊंचा हरामी है ये इसे आपने बता दिया लेकिन मैं मानती हूं कि ऐसे कमीने लोगों को इतने सस्ते में छोड़ देना ही हमारी गलती हो जाती है क्योंकि ये सोचते हैं कि हम कुछ दिन चिल्ला कर खुद चुप हो जाएंगे। मैं कम से कम एक पोस्ट हर हफ़्ते तो इनके कमीनेपन पर जरूर लिखूंगी ही बस ऐसा ही डंडा आप सब करे रहिये| आप अपने डैशबोर्ड से जाकर इसके ब्लाग की सदस्यता समाप्त कर सकते हैं वो आपके हाथ में है।
जय जय भड़ास

vyom srivastava said...

मनोज जी जायदा गांड फाड़ कर मत चिलाइए,वरना आपकी लगोंट खुल जायेगी और सबको पता चल जायेगा की ''रुपेश और ''मनोज'' एक ही है!
लगे रहो दोस्त खूब तुम उनकी लो बे तुम्हारी ले,पर खुलकर लो यार कई छक्कों के नाम से अकाउंट बना लिया है ,क्या छक्कों वाली हरकतों मे लगे हो !
चलो जो भी है ठीक है !

मनोज द्विवेदी said...

ACHCHHA LAGA KI TUJHE YE ABHI TAK YAD HAI KI MAIN LANGOT PAHNATA HUN. JAB TUMHARI MARI THI TAB BHI MAINE LANGOT PAHANA THA. BADHIYA YADDAST HAI TERI. FATI TO TERI JYADA HAI. KYUNKI EK TO PAHALE SE THODI FATI THI BAKI MAINE MAR KAR FAD DALI. AUKAT HAI MERA COMMENT PHIR SE DAL APNE BLOG PAR..CHUTIYE HUM JAISE PATRAKAR TERE JAISE BAHURUPIYON SE ROZ DO-CHAR HOTE HAI. HAMEIN PATA HAI TUMHARI KAB AUR KAISE MARNI HAI. TUNE MERA COMMENT TO HATA DIYA. LEKIN MAZANOON JARUR PADHA HOGA. TIME KA INTAZAR KAR TUJHE TERI HI LANGUAGE MEIN JABAB MILEGA. TUNE EK BAT AUR BADHIYA LIKHA KI MAIN AUR RUPESH JI EK HI HAIN. TO SUN LE HAMARE VICHAR, HAMARI SOCH, HAMARI MANZIL
HAMARA BHADAS EK HI HAI. TUNE MADHUMAKKHI SE CHHAPTTE PAR DHELA MARA HAI..AB INTAZAR KAR JAB CHEHARA, TERA THOBADA, TERI GAN..SAB SUJA DALENGE HUM.

संजय सेन सागर said...

हे भगवान् !! इन सबको सदबुद्धि दो...आप जैसे लेखकों क बदोलत ही हिन्दी का आज ये हस्र हो रहा है !!
आपके ब्लॉग पर आज गलती से आ गया था !
माफ़ कीजिये अब नही आऊंगा

rakes priyadarsi said...

rupes ji, ap pagal ho gaye hai. ap ki soch aisi to nahi thi. kya apka janm hi blogero ka virodh karne ke liye huwa hai? bahut nich harkat karke ap mahan kabhi nahi kahlawge. ap ke prti meri dharna pahle achi thi.

फ़रहीन नाज़ said...

व्योम नाम से जो तस्वीर लगा रखी है वह बंदा क्या है कहां रहता है और क्या करता है ये कुछ नहीं पता किसी को और न ही ये अपने प्रोफ़ाइल में लिख रहा है शायद शर्माता होगा, क्या व्योम नाम से लिखने वाले बन्दे तुम छक्कों से भी गये बीते हो जो अपना आई.डी. खुल कर बनाते हैं और लिखते भी खुल कर हैं शायद अर्धसत्यब्लाग देखने में डर लगता होगा कि कोई इनको पकड़ कर असलियत न देख ले।
एक बात याद रखो दुष्ट बालक कि "श्रीवास्तव" सरनेम लगा लेने से तुम डा.रूपेश श्रीवास्तव जैसे नहीं बन जाओगे, सिर्फ़ मनोज भाई ही क्या हम सब भड़ासी डा.रूपेश श्रीवास्तव ही तो हैं वही तो हैं जिन्होंने यशवंत जैसे पाखंडी का नकाब नोच कर "एकोहं बहुस्यामि" कर के भड़ास को पुनर्जन्म दे दिया; उनकी ऊंचाई तक जाने के लिये संजय सेन तुम्हें हजारों जन्म लेने पड़ेंगे फिर भी रहोगे वही बाल की दुकान...... तुम चाहे कितनी भी नकली आई.डी. बनाओ व्योम श्रीवास्तव बनो या स्वीटी शुक्ला.....
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

डाक्टर साहब,
ये नासूर और इसका लिप्सा और लालसा से तो मैं भी वाकिफ हूँ, याद है जब मैंने इस से एक बार दूरभाष पर बात की थी, ब्लॉग परिवार को गंदा और दूषित करने के साथ साथ अपनी स्वार्थ और लिप्सा के लिए किसी को भी बेचने में ये यशवंत जैसे ब्लोगर का खसम ख़ास है.
ऐसे ही लोगों ने यहाँ की कलम को भी कुंद करना शुरू कर दिया है.
मगर भड़ास की आग को बुझाने वाले अभी पैदा नही हुए हैं और इसकी तपिश इन बनिए और दलालों से पता चल रहा है.
जय जय भड़ास

prashant said...

तुम लोगों की नौटंकी मेरे तो समझ मे ही नही आ रही है वैसे तुम लोग घमंडी ,काग्रेस भक्त हिजडों का हुजूम व आत्मघाती लग रहे हो

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