उतर गया शराफत का मुखौटा राजीव करूणानिधि का, आ गया औकात पर....

आप सभी की नजर कर रहा हूं वो कमेंट जो कि प्रकाशित न कर के शायद बहुत बड़ा या अच्छा काम करा होगा भाईसाहब ने लेकिन मैं इस कमेंट को प्रकाशित कर रहा हूं क्योंकि मैं एक असभ्य आदमी हूं मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है कि मुझे कोई प्रमाणपत्र दिया जाए जिससे पता चले कि मैं अच्छा आदमी हूं। जो शराफत का मुखौटा लगाते हैं उनके मुखौटे उतारने के लिये मैं कई वेष बदलूंगा ताकि मुझे पहचाना न जा सके अपराध के विरुद्ध लड़ाई में मैंने ये कला सीखी है जो कि किसी नफ़े नुकसान की बातों से अलग है। वणिक सोच इसे नहीं समझ सकती। मैंने तो अपना नाश कर लेने की ही ठानी है चाहत के नाटक का परदा तो कब का गिर जाना चाहिये क्यों जारी रखा है मैं इस नाटक में अब कोई पात्र नहीं कर सकता। मेरी ऊर्जा गयी तेल लेने फटे बोरे में.......। मैं एक आदमी हूं जो एक दिन मर जाउंगा बस इतनी मेरी कहानी है मुझे कोई तीसरी लाइन लिखवाने में दिलचस्पी नहीं है मत थोपो मेरे ऊपर कोई ऐसा आरोप कि मैं विद्वान हूं मैं एक नंबर का चूतिया और घमंडी आदमी हूं और वही बना रहना चाहता हूं इसलिये इस मेल को प्रकाशित कर रहा हूं ताकि शरीफ़ लोगों की शराफ़त का नकाब उतर सके........
राजीव करूणानिधि has left a new comment on your post "राजीव करूणानिधि! आओ मुझ हिजड़े से पंजा लड़ाओ":

सुन रांड अब बहुत हो गया, मैंने जो बोला जो किया, उसको छोड़, तू क्या कर सकती है कर ले, मेरी सीधी चुनौती है. और हाँ, हगा कौन है और लेप कौन रहा है ये सब देख रहे हैं. वैसे भी मुझे किसी की नहीं परवाह. तेरी गांड में गुदा है तो मरवा मुझसे मत पूछ. और तू सच में नाली का कीडा है. तू कोई नया नहीं कर रही है. तेरी फितरत ही यही है. पत्रकार को गाली दे रही है, ये भी नया नहीं है, तुझे कुछ नया करना चाहिए. इसलिए मै खुले तौर पर बोल रहा हु. मरवा और अपने पिछवारे का दम दिखा. वैसे तू क्या है तुने अपने बारे में सब लिख ही दिया है. अब मै हिजडे की मार के क्या करूँगा.

Publish this comment.

Reject this comment.

Moderate comments for this blog.

ये रही स्वयंभू शरीफ़ की शराफत का नमूना जो कि गालियां नहीं देता है और मुझे अभद्र भाषा के उपदेश दे रहा था। ये टिप्पणी इस शराफत के पुतले ने भेजी है जो कि इसकी असली शक्ल बताती है। हिजड़ों की तरह गालियां और तालियां बजाना ही इसकी पत्रकारिता है इसके परिवार के दिये संस्कार पता चल रहे हैं मैं तो बुरा आदमी हूं ये शरीफ़ आदमी कैसे अपने संस्कार छोड़ कर अपने माता-पिता को लज्जित कर रहा है???

7 comments:

फ़रहीन नाज़ said...

राजीव करुणानिधि की सही औकात यही है जो इसने अब दिखाई है मुखौटा नोच लेने पर बिलबिला रहा है। अब मुझे भी रंडी छिनाल बोल कर अपनी मां की कोख को लज्जित कर ले दुष्ट, अधम, पापी, दुरात्मा, नीच, नरपिशाच ताकि दुनिया को पता तो चल जाए कि तू कितना बड़ा शरीफ़ और सभ्य पत्रकार है
जय जय भड़ास

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

आप लोग न जाने क्यों ऐसे लोगों को भाव दे रहे हैं ये वो लोग हैं जो मात्र प्रसिद्धि के लिये किसी के भी मुंह पर थूकने को तैयार जीभ पर बलगम सजाए बैठे रहते हैं। कल तक जिसे कोई नहीं जानता होगा आज आप लोगों की प्रतिक्रिया से तमाम लोग जान गये होंगे ऐसे लोगों पर ध्यान मत दीजिये। ये स्वयंभू बौद्धिक खुद ही अपने किले में घुट कर रह जाते हैं। इन्होंने जो भी मनीषा दीदी या मेरे लिये लिखा था वही इनका असली चेहरा है और यही इनके संस्कार....
जय जय भड़ास

भूमिका रूपेश said...

वाह वाह कितना सुंदर कमेंट लिखा था बेचारे छिछोरे पत्रकार ने क्यों भला उसे प्रकाशित नहीं करा था, उसकी जात औकात सब तो पता चल रही है उसकी भाषा से.....लेकिन हमसे ज्यादा न तो गाली दे सकता है न ही बड़ा चूतिया है अगर दम है तो रायपुर आ जाए सम्मेलन में....
जय जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना said...

इस बंदे ने जो भी लिखा है तो आप लोगों को लग रहा है कि इसने कुछ खास लिख दिया है,आजकल की पत्रकारिता का स्वरूप निर्धारण करने वाले कर्णधार ऐसे ही बच्चे हैं जिन्हें लगता है कि अपनी गलतियों पर डटे रहना ही सही उपयोग है कलम की ताकत का......
जरा सा आइना दिखाया तो अपनी ही शक्ल देख कर बौखला गया है;अब सारे लोगों को एक साथ गालियां लिखेगा हो सकता है कि डिक्शनरी लेकर बैठना पडे वरना ढीठ भड़ासी इतनी थोड़ी सी गालियों से भला कहां सुधरने वाले हैं।
जय जय भड़ास

दीनबन्धु said...

इस भोसड़ी वाले से जरा इसके बारे में जानना चाहता कि शराफत क्या इसके अम्मा के मायके में रहने वाली चिड़िया है जो इस तरह की बात लिख रहा है। सुअर को पत्रकारिता के बारे में क्या पता कि पत्रकारिता का पेशा सहनशीलता के साथ ही लोगों को मार्ग दिखाने के काम से भी जुड़ा रहता है,किसी चिरकुटहे संस्थान से कोई कोर्स करके लालाजी के अंडवे तौल कर किसी तरह नौकरी बचाए रखने से कोई पत्रकार नहीं बन जाता। ये क्या गाली देगा इस झांटू को तो हम भड़ासी गाली देना सिखाएंगे,हिम्मत है तो आओ हमारी कोचिंग क्लास में हम गरीब लोग हैं बुरे लोग है तुम्हारी तरह शराफत का झूठा नाटक नहीं करते और गुस्सा गाली देकर ही जताते हैं मौका लगने पर लपट कर पटक कर जुतिया भी देते हैं और मार खाने के लिये भी तैयार रहते हैं।
जय जय भड़ास

मनोज द्विवेदी said...

jai ho mahabharat baba ki! mere bhadasi dosto se ye gujarish hai ki chutiyon ko chutiya hi rahne de. unhe jitana kahenge utana hi unka bhala karenge..isliye gudupchuppppp.............

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

गुरुदेव,
ये करूणानिधि जो भी है, दो टके का है, बेहतर इस गलीज प्राणी को तवज्जो न दें, मगर अगर इसने सारी हद पार कर ली है तो हम इसकी औकात भी बता दें. वस्तुतः करुणानिधी हमारे आज के पत्रकार और पत्रकारिता का चेहरा है, कैसा गलीज डरावना और सदा हुआ है हमारे का चौथा पाया.
जय जय भड़ास

Post a Comment