ओशो रजनीश बने भड़ास के फैन क्लब के सदस्य वर्ष 2009 की शुरुआत से पहले ही.........
आज मुझे बड़ा ही सुखद आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा कि भड़ास से मेरी,मोहम्मद उमर रफ़ाई और मनीषा दीदी की सदस्यता को बिना किसी बातचीत के बड़ी ही कुटिलता से समाप्त कर दिया गया लेकिन क्या करें मुंह मारने का अधिकार छीन लिया है फिर भी आदतन कुतिया की तरह से सूंघने तो चली ही जाती हुं। पंखों वाली भड़ास पर पाती हूं कि भगवान ओशो रजनीश पंखों में शामिल हो कर हवा दे रहे हैं। अब क्या करूं इस बात पर बिना कुछ कहे चुप रहा नहीं गया इतनी कुटिलता किधर से लाऊं कि बड़ी से बड़ी बात को पचा कर डकार भी न लूं ये तो शायद भड़ास के वणिक शिरोमणि ही कर सकते हैं। धन्य है पंखों का झुंड जिनमें ओशो शोभायमान हैं आजकल वैसे भी वहां बड़ा पवित्र माहौल है कुछ दिनों में हो सकता है कि भगवान राम भी भड़ास ज्वाइन कर लें अब ऐसे माहौल में हमारे जैसे पापी भला कहां पचेंगे तो हमारी सदस्यता रद्द करके अपना वर्ष २००९ शुभ बना लिया। चलो प्यार से बोलो जोर से बोलो दिल दिमाग खोल कर बोलो ........
जय जय भड़ास
और अब उगल दिया है तो राहत मिली थोड़ी लेकिन ये एसिडिटी रहेगी काफ़ी समय तक तो जब उल्टी होगी करूंगी जरूर क्योंकि पंखों की बैटरी को लगता है कि चुप्पी साधे रहो कुछ दिन में पगले अपने आप भौंक कर शांत होकर किसी मुद्दे को चाटने चले जाएंगे लेकिन अक्ल पर धूल पड़े पैसों की...... ये नहीं जानता कि जन्मजात भड़ासियों ने भड़ास की आत्मा चुरा कर उसे यहां पैदा कर दिया है। हम चोर, चूतिया, बुरे, महा कमीने लोग यहां आ गये अच्छे लोग पंखे बन कर वहां लटक गये।
जय जय भड़ास
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5 comments:
आपा ये तो होना ही था अभी भगवान रजनीश हैं आने वाले कल में सारे देवी देवता संत महात्मा आपकी पंखों वाली भड़ास ज्वाइन करेंगे तभी तो साल २००९ उज्ज्वल होगा,हमे अंधेरे मुबारक हों।
जय जय भड़ास
आपकी बारंबार जय हो लेकिन पंखे रुकेंगे नहीं बल्कि बढ़ते ही जाएंगे जो कि इस बात को प्रमाणित करते हैं कि अंधानुकरण लोगों की सोच में किस कदर घुस चुका है।
जय जय भड़ास
जितना दुःख आपको है सदस्यता समाप्त करे जाने का उससे कहीं ज्यादा दुःख मुझे है क्योंकि मेरे जीवन का एक नया आयाम भड़ास से शुरू हुआ था,हम जिस सोच से लड़ रहे थे हमारा कप्तान ही उस खेमे में चला गया,अफ़सोस तो है पर हौसला नहीं हारना है बढ़े चलना है हर कदम कुपात्रों को गरियाते हुये:)
जय जय भड़ास
होता है होता है जब बुरे दिनों की शुरूआत होनी होती है तो बुद्धि एडवांस में भ्रष्ट हो जाती है, पंखों वाली बैटरी खूब सारा धन तो कमा लेगा लेकिन हो जाएगा छह अरब से भी ज्यादा लोगों के बीच एकदम अकेला एक सच्चे दोस्त को तरसेगा सदस्यता समाप्त करने से हम तो समाप्त नहीं हो गये.....
जय जय भड़ास
दीदी,
ये सचाई है, ग़लती हमारी थी की हमने पहचान करने में गलती कर ली, लाला जी का सोच रखने वाले, लोगों की भावनाओं और विचारों को जमा कर बेच देने वाले किसी के ना सगे होते हैं ना अपने. जिस तरह से पंखों के बीच ओशो नजर आ रहे हैं राम रहीम जीसस और पता नही क्या क्या बिकते नजर आयेंगे वहां. हमारे देश में लोगों को हुजूम में चलने की बिमारी होती है, विचार और सहकार के अलावे सब चलेगा अगर हुजूम हो, और इसी का फायदा नेता दलाल और बनिए उठाते हैं अपनी स्वार्थ लोलुपता के लिए.
मगर हम साथ हैं हमारी आत्मा साथ है और भड़ास का विचार और सिद्दांत हमारे साथ है तो हमें पंखों की नही हाथ की जरुरत है जो मिल कर आगे बढे हमें हवा ना दे.
जय जय भड़ास
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