मेरी एक मित्र हैं जो लन्दन में टी वी, रेडियो पत्रकार हैं, ठण्ड का महीना और बर्फ़बारी से परेशानी के बावजूद बर्फ से पुते सड़कों से होकर ऑफिस जाने की रोजमर्रा के बीच उनका मेल आया, तथ्य दिलचस्प लगा सो आपके साथ साझा कर रहा हूँ।
मेल में उद्धृत वेब साईट के मुताबिक,
विगत गुजरात चुनाव में विभिन्न मिडिया समूह को अकूत विदेशी धन की प्राप्ति हुई जिसके सहारे मीडिया ने गुजरात चुनाव के पूर्व गुजरात की तस्वीर बदलने की पुरी कोशिश की, परिणाम ने मीडिया का पोल खोल कर रख दिया।
मिले मेल में वर्णित वेब साईट के मुताबिक.......
भारत की तमाम बड़ी मीडिया समूह के स्वामित्व के बारे में खुलासा किया गया है। चलिए इस पर एक सरसरी नजर डालते हैं।
१) एन डी टी वी :- भारत के प्रतिष्ठित खबरिया चैनल में से एक एन डी टी वी स्पेन की एक कमुनिस्ट संस्था से अनुदानित है। वर्तमान में इस चैनल का पकिस्तान के प्रति नरम रवैया भी रहा है क्यौंकी पकिस्तान ने सिर्फ़ इसी भारतीय चैनल को पकिस्तान में दिखाने की मंजूरी दी है। कमुनिस्ट के प्रति इनके सकारात्मक रवैये के पीछे भी तर्क है कि इस चैनल के निदेशक कि पत्नी और ब्रिंदा करात आपस में बहने हैं।
२) सी एन एन-आई बी एन :-अमेरिया स्थित मुख्यालय वाला यह चैनल दक्षिण बाप्टिस्ट चर्च से शतप्रतिशत अनुदानित है। सम्बंधित चर्च ८०० मिलियन डालर का सालाना अनुदान इस चैनल को देती है,
३) टाइम्स समूह :- बेनेट और कोलेमन के स्वामित्व वाली यह मीडिया संस्थान को विश्व क्रिस्चन संस्थान ८० प्रतिशत से अधिक का अनुदान देती है, बाकि बचे २० प्रतिशत में एक अंग्रेज और एक इतालवी आते हैं । इतालवी रोबेर्टियो मिन्डो सोनिया गांधी के नजदीकी भी हैं.
४) स्टार टी वी :- आस्ट्रेलियन द्वारा संचालित यह कम्पनी सेंत पीटर्स पोंतिफिकल चर्च से सम्बंधित है।
५) दी हिन्दुस्तान टाइम्स :- बिरला समूह की स्वमित्वा वाली यह संस्था अब टाइम्स समूह के साझेदारी के साथ चल रही है।
६) दी हिंदू :- १२५ वर्ष पुराना यह समूह जोशुआ सोसाइटी, स्वीटजरलैंड के स्वामित्व की है। एन. राम की पत्नी स्वीस नागरिक हैं.
७) इंडियन एक्सप्रेस :- दो फार दी इंडियन एक्सप्रेस और न्यू इंडियन एक्सप्रेस में विभाजित, ए सी टी एस क्रिस्चन मिनिस्टरीज के हाथों में इसके अधिकतर अधिकार हैं।
८) एनाईडू टी वी :- रामो जी राव , एक भारतीय का स्वामित्व जो कि मनोरंजन की दुनिया से संबध हैं।
९) आन्ध्र ज्योति :- हैदराबाद की कांग्रेस और स्थानीय अल्पसंख्यक पार्टी ने हाल में ही इस अखबार का अधिग्रहण किया है।
१०) दी स्टेट्समैन :- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा संचालित अखबार.
११) कैरलाई टी वी:- भारतीय कोम्मुनिस्ट पार्टी (एम्) द्वारा संचालित समूह।
१२) एशियन एज और डेक्कन क्रोनिकल:- सऊदी अरब की संस्था द्वारा संचालित समूह जिसके प्रधान सम्पादक एम्. जे. अकबर हैं
इस मेल में पत्रकार विशेष पर सीधा आरोप लगते हुए कहा गया है कि,
२००२ में गुजरात में हुए दंगे के समय राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त एन डी टी वी में कार्यरत थे और सऊदी अरब से इन्हें ५ मिलियन डालर की रकम मिली थी की सिर्फ़ मुस्लिम पीड़ित को कवर कीजिये, जिसको इन्होने बखूबी से अंजाम दिया।
तहलका के तरुण तेजपाल के बारे में लिखता है कि तरुण अरब के देशों से हमेशा अनुदानित होते हैं वर्ग विशेष को टारगेट किया जाए।
इस पुरे विवरण को आप इया जगह देख सकते हैं जहाँ इसकी पुरी विवेचना की गयी है.
भडासी नजरिया :- इस लेख से सहमति नही हुआ जा सकता क्यूँकी इसमें परस्पर द्वेषिक भावना ज्यादा दिखती है , मगर पत्रकारिता पर प्रश्न वाजिब लगता है और भारतीय मीडिया संस्थानों को विदेशी सहायता के प्रश्न का उत्तर देना चाहिए, जिस तरह से बाजारवाद की होड़ में मीडिया संस्थान पत्रकारिता के तमाम मानकों को बेच कर मानवीय संवेदना और भावना के साथ साथ ख़बरों की होड़ में आम जनों के साथ राजनेताओं की भाँती छलावा कर रही है. सुचना के अधिकार में न्यायपालिका के साथ मीडिया को भी लोगों का उत्तर देने को बाध्य किया जाना चाहिए। आखिर बेचने की होड़ में मीडिया व्यय्वसायिक कंपनियों से आगे मानवीय भावना जो बेच रही है.
मेल में उद्धृत वेब साईट के मुताबिक,
विगत गुजरात चुनाव में विभिन्न मिडिया समूह को अकूत विदेशी धन की प्राप्ति हुई जिसके सहारे मीडिया ने गुजरात चुनाव के पूर्व गुजरात की तस्वीर बदलने की पुरी कोशिश की, परिणाम ने मीडिया का पोल खोल कर रख दिया।
मिले मेल में वर्णित वेब साईट के मुताबिक.......
भारत की तमाम बड़ी मीडिया समूह के स्वामित्व के बारे में खुलासा किया गया है। चलिए इस पर एक सरसरी नजर डालते हैं।
१) एन डी टी वी :- भारत के प्रतिष्ठित खबरिया चैनल में से एक एन डी टी वी स्पेन की एक कमुनिस्ट संस्था से अनुदानित है। वर्तमान में इस चैनल का पकिस्तान के प्रति नरम रवैया भी रहा है क्यौंकी पकिस्तान ने सिर्फ़ इसी भारतीय चैनल को पकिस्तान में दिखाने की मंजूरी दी है। कमुनिस्ट के प्रति इनके सकारात्मक रवैये के पीछे भी तर्क है कि इस चैनल के निदेशक कि पत्नी और ब्रिंदा करात आपस में बहने हैं।
२) सी एन एन-आई बी एन :-अमेरिया स्थित मुख्यालय वाला यह चैनल दक्षिण बाप्टिस्ट चर्च से शतप्रतिशत अनुदानित है। सम्बंधित चर्च ८०० मिलियन डालर का सालाना अनुदान इस चैनल को देती है,
३) टाइम्स समूह :- बेनेट और कोलेमन के स्वामित्व वाली यह मीडिया संस्थान को विश्व क्रिस्चन संस्थान ८० प्रतिशत से अधिक का अनुदान देती है, बाकि बचे २० प्रतिशत में एक अंग्रेज और एक इतालवी आते हैं । इतालवी रोबेर्टियो मिन्डो सोनिया गांधी के नजदीकी भी हैं.
४) स्टार टी वी :- आस्ट्रेलियन द्वारा संचालित यह कम्पनी सेंत पीटर्स पोंतिफिकल चर्च से सम्बंधित है।
५) दी हिन्दुस्तान टाइम्स :- बिरला समूह की स्वमित्वा वाली यह संस्था अब टाइम्स समूह के साझेदारी के साथ चल रही है।
६) दी हिंदू :- १२५ वर्ष पुराना यह समूह जोशुआ सोसाइटी, स्वीटजरलैंड के स्वामित्व की है। एन. राम की पत्नी स्वीस नागरिक हैं.
७) इंडियन एक्सप्रेस :- दो फार दी इंडियन एक्सप्रेस और न्यू इंडियन एक्सप्रेस में विभाजित, ए सी टी एस क्रिस्चन मिनिस्टरीज के हाथों में इसके अधिकतर अधिकार हैं।
८) एनाईडू टी वी :- रामो जी राव , एक भारतीय का स्वामित्व जो कि मनोरंजन की दुनिया से संबध हैं।
९) आन्ध्र ज्योति :- हैदराबाद की कांग्रेस और स्थानीय अल्पसंख्यक पार्टी ने हाल में ही इस अखबार का अधिग्रहण किया है।
१०) दी स्टेट्समैन :- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा संचालित अखबार.
११) कैरलाई टी वी:- भारतीय कोम्मुनिस्ट पार्टी (एम्) द्वारा संचालित समूह।
१२) एशियन एज और डेक्कन क्रोनिकल:- सऊदी अरब की संस्था द्वारा संचालित समूह जिसके प्रधान सम्पादक एम्. जे. अकबर हैं
इस मेल में पत्रकार विशेष पर सीधा आरोप लगते हुए कहा गया है कि,
२००२ में गुजरात में हुए दंगे के समय राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त एन डी टी वी में कार्यरत थे और सऊदी अरब से इन्हें ५ मिलियन डालर की रकम मिली थी की सिर्फ़ मुस्लिम पीड़ित को कवर कीजिये, जिसको इन्होने बखूबी से अंजाम दिया।
तहलका के तरुण तेजपाल के बारे में लिखता है कि तरुण अरब के देशों से हमेशा अनुदानित होते हैं वर्ग विशेष को टारगेट किया जाए।
इस पुरे विवरण को आप इया जगह देख सकते हैं जहाँ इसकी पुरी विवेचना की गयी है.
भडासी नजरिया :- इस लेख से सहमति नही हुआ जा सकता क्यूँकी इसमें परस्पर द्वेषिक भावना ज्यादा दिखती है , मगर पत्रकारिता पर प्रश्न वाजिब लगता है और भारतीय मीडिया संस्थानों को विदेशी सहायता के प्रश्न का उत्तर देना चाहिए, जिस तरह से बाजारवाद की होड़ में मीडिया संस्थान पत्रकारिता के तमाम मानकों को बेच कर मानवीय संवेदना और भावना के साथ साथ ख़बरों की होड़ में आम जनों के साथ राजनेताओं की भाँती छलावा कर रही है. सुचना के अधिकार में न्यायपालिका के साथ मीडिया को भी लोगों का उत्तर देने को बाध्य किया जाना चाहिए। आखिर बेचने की होड़ में मीडिया व्यय्वसायिक कंपनियों से आगे मानवीय भावना जो बेच रही है.
2 comments:
इस लेख की कई बातें सही भी हैं
मामूजान!जिसने भी लिखा है क्या वो सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त है या फिर उसे भी इनकी फाड़ने के लिये कुछ मालपानी मिला है?
जय जय भड़ास
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