किछु दिन पहिने गाम गेल रही, जाय काल में अक्सर पटना होइत जाइत छी से दरिभंगा जाय के मौका तहने भेटैत अछि जहन नाना ओतय लहेडियासराय जाइत छि। मुदा वापस आबैत छी दरिभंगे होइत। टिकट छल स्वतंत्रता सेनानी सय से समय से पहिने मधुबनी से गरिभंगा टीशन पहुँच गेलहुं।
टीशन पर घुमैत फिरैत किछु सय आकर्षित भय ओकरा अपन मोबाईल में कैद कय लेलहुं आर ओहि फोटो के आहन सब संगे साझा कय रहल छी।
मधुबनी पेंटिंग हमर मिथिला के शान वा पहिचान थीक मुदा की अपन पाग के हम मान दैत छी ? कनी देखू राम सीता के स्वयम्वर वाला मधुबनी चित्रकला लोगक लघुशंका निवारण के जगह बनल छैक,
जोर से करू जय मिथिला!!!!!
महिषासुर के वध के चित्रण अईछ अहि में आ अपन भगवती के मान सम्मान पर लोग के मुत्ती करैत देखि सकैत छी आहां अतय !!!
एक बेर फेर सय जय मैथिल, जय मिथिला!!!!
ट्रेन के खुजय सय दू घंटा पहिने तत्काल आरक्षण के टिकट भेटैत छैक, टिकट खिड़की आहां के दरिभंगा टीशन पर जरूर भेटत मुदा खुजल कखनो नही।
आहाँके प्लेटफार्म टिकट चाहि, आहां रेल के नियम कायदा के पालन करय चाहैत छी, कोनो बात नही आहां के ई बेकार के झंझट सय दरभंगा रेल प्रशाषण ओहिना मुक्ती दय रहल अईछ, लिय सदिखन ई टिकट के भुरकी बन्दे रहित अईछ, रहू नि फिकिर, आनद लिय टीशन के।
टीशन पर एकमात्र शीतल जल के जोगार अहिठाम सय बुझा रहल अईछ मुदा, रौ तोरी भला के खाली लिखले छई हौ , टंकी के जगह पर खाली भूर आ ओहो बिना पाईन के, चलः बोतले वाला किनी ली।
ई दरिभंगा टीशन के एक टा छोट दर्शन अईछ, केहेन लागल जरुर कहू तहन ने दोसरो दर्शन करब।
जय मिथिला
जय मैथिल
टीशन पर घुमैत फिरैत किछु सय आकर्षित भय ओकरा अपन मोबाईल में कैद कय लेलहुं आर ओहि फोटो के आहन सब संगे साझा कय रहल छी।
मधुबनी पेंटिंग हमर मिथिला के शान वा पहिचान थीक मुदा की अपन पाग के हम मान दैत छी ? कनी देखू राम सीता के स्वयम्वर वाला मधुबनी चित्रकला लोगक लघुशंका निवारण के जगह बनल छैक,
जोर से करू जय मिथिला!!!!!
महिषासुर के वध के चित्रण अईछ अहि में आ अपन भगवती के मान सम्मान पर लोग के मुत्ती करैत देखि सकैत छी आहां अतय !!!
एक बेर फेर सय जय मैथिल, जय मिथिला!!!!
ट्रेन के खुजय सय दू घंटा पहिने तत्काल आरक्षण के टिकट भेटैत छैक, टिकट खिड़की आहां के दरिभंगा टीशन पर जरूर भेटत मुदा खुजल कखनो नही।
आहाँके प्लेटफार्म टिकट चाहि, आहां रेल के नियम कायदा के पालन करय चाहैत छी, कोनो बात नही आहां के ई बेकार के झंझट सय दरभंगा रेल प्रशाषण ओहिना मुक्ती दय रहल अईछ, लिय सदिखन ई टिकट के भुरकी बन्दे रहित अईछ, रहू नि फिकिर, आनद लिय टीशन के।
टीशन पर एकमात्र शीतल जल के जोगार अहिठाम सय बुझा रहल अईछ मुदा, रौ तोरी भला के खाली लिखले छई हौ , टंकी के जगह पर खाली भूर आ ओहो बिना पाईन के, चलः बोतले वाला किनी ली।
ई दरिभंगा टीशन के एक टा छोट दर्शन अईछ, केहेन लागल जरुर कहू तहन ने दोसरो दर्शन करब।
जय मिथिला
जय मैथिल
5 comments:
बड निक लागल. अब कनि अगिला पोस्ट सो हो डाईल दियो अइठमा.
सलाम
बहुत मुसकिल है भइया इसको समझना। फिर भी तुम तो अच्छा ही लिखते हो। इस बार भी अच्छा ही लिखा होगा। ः)
लोकभाषा का अपना आकर्षण और मिठास है जो हमेशा मुझे सम्मोहित करती है। सीतास्वयंवर वाली पेन्टिंग सार्वजनिक मूत्रालय में तब्दील हो गई तो दोष चित्र बनाने वाला का है। ये तो जनता जनार्दन है जब जहां जी चाहा फारिग हो लिये।
Boss, your posts are good, but quite difficult to understand, as i am not fluent in Maithali dilect.
दरि दरि भंगा फाटल अंगा,
बड्ड नीक फोटो थिक यौ,
देखि कय क्षोभ भेल, मुदा दुखी तय सब बेर होइत छि जखन स्टेशन पर ट्रेन पकरे लेल जाईत छी
धन्यवाद
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