कल्याण सिंह सपा में ?

कल समाचार पत्र की मुख्य खबर थी - सपा में जायेंगे कल्याण! पढ़ कर आश्चर्य हुआ। क्या स्वार्थ के लिये कोई इस हद तक भी गिर सकता हैजब पिछली बार कल्याण भाजपा नेतृत्व से झगड़ कर अलग हुए थे लगता था कि शायद विचारधारा का टकराव है। इसमें कोई बुराई मुझे नज़र नहीं आई। पर इस बार तो साफ दिख रहा है कि मामला कुर्सी का हैबेटे का कैरियर बनाना है। भाजपा बना नहीं रही तो कुछ और जुगाड़ देखा जा रहा है। एक आदर्शवादी जननेता नहीं एक बच्चे का बाप खफा है अपने नेतृत्व से।पर इस बात के लिये अपना आत्मसम्मानअपना ज़मीर (अगर ये चीज़ राजनीतिज्ञों में होती है तो) सब गवां कर सपा में जाना ?

 

जापानी भाषा में एक शब्द बहुत प्रसिद्ध है - हाराकिरी ! यह जापान में आत्महत्या करने का एक विशेष ढंग है। आत्महत्या करने वाला एक विशेष औज़ार अपने पेट में घुसा कर अपनी अंतड़ियां बाहर निकाल लेता है। जबसे ये खबर पढ़ी हैमुझे न जाने क्यों बार बार हाराकिरी की ही याद आ रही है। यदि कल्याण वास्तव में सपा में जा रहे हैं तो मुलायम सिंह को चाहिये कि कल्याण सिंह को बड़ा स्वागत समारोह कर के अपनी प्रायव्हेट लिमिटेड कंपनी में शामिल कर लें और दो चार दिन बाद उनके ******* पे दो लातलगा कर बाहर फेंक दें। इस प्रकार वह अपने बहुत ताकतवर माने जाने वाले प्रतिद्वन्द्वी का राजनैतिक कैरियर सदा सर्वदा के लिये समाप्त कर सकेंगे।

5 comments:

prashant said...

स्वार्थ के लिये ये लोग माँ बाप सब बेच सकते हैं

अजय मोहन said...

उनके ******* पे दो लात?????
ऐसे हरामी किस्म के मौकापरस्त राजनेताओं को गरियाने में संकोच मत करिये। वैसे इन सुअरों की चमड़ी इतनी मोटी है कि हमारे जैसे साधारण लोगों की गाली का असर ही नही होता। ये माँ बाप ही क्या पूरा देश बेंचे दे रहे हैं रिश्ते इनके लिये क्या मायने रखेंगे ये दरिंदे हैं अपनी ही माँ,बहन और बेटी पर जोर आजमा रहे है कमीने
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी said...

शुशांत भाई बात तो पते की कही आपने लेकिन जब दोनों की थाली एक ही है तो अगर कमी करने वाला एक कम हो जायेगा तो थाली में खाना भी कम हो जायेगा पहले विरोध करके कमाई करते थे अब साथ रह कर कमाई करेंगे और जहाँ तक उस पर लात मरने वाली है ये शुभ कार्य हम लोगों को ही करना होगा और ऐसे मौका परस्त जितने भी हैं उनकी उ८स पर लात मरना होगा.

आपके अच्छे लेख के लिए बधाई समाज की फिक्र साफ़ झलक रही है आपके अन्दर .......!
आपका हमवतन भाई ...गुफरान.......,

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

राजनीति और पत्रकारितानिति में ये ही तो समानता है, अपने स्वार्थ के लिए कोण कब किसका पल्लू पकड़े कोई नही जानता, मगर ये हमारे आम लोग के ठेकेदार बनने का स्वांग भी रचते हैं.

जय जय भड़ास

सुशान्त सिंहल said...

आप सब का बहुत बहुत आभार !

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