नफ़रत बनाम प्रेम : भड़ास की गांधीगिरी

भाईसाहब,हम सब चूतिया की सुपरलेटिव डिग्री के लोग है इसी लिये तो भड़ासी हैं यानि कि "चूतियेस्ट".... हमारी हड्डियां कैल्शियम फ़ास्फ़ेट से नहीं बल्कि ’चूतियम सल्फ़ेट’ नामक विचित्र रसायनिक पदार्थ से बनी हैं,हम सब इतने बड़े ढक्कन हैं कि हम इंसानियत की बात करते हैं हिंदू-मुस्लिम-सिख-इसाई जैसी महान बातें नहीं कर पाते लेकिन फिर भी अगर आप भड़ासियों का नामांकन बुकर एवार्ड के लिये करा रहे हैं तो इस फ़ेहरिस्त में सबसे पहले शामिल करिये भड़ास के दोनो माडरेटर्स श्री रजनीश के.झा और डा.रूपेश श्रीवास्तव को क्योंकि ये ही वो लोग हैं जो हम जैसे मुस्लिमों को इस मंच पर सम्मान सहित जोड़े हैं,अब तक आप भाई दीनबंधु और भाई अजय मोहन जी का नामांकन करवा चुके हैं कहीं ऐसा न हो कि आपके अलावा सब भड़ासी बकर-बकर बुकर-बुकर करते रहें और आप नामांकन ही कराते रह जाएं।
जल्दी सिख,इसाई,बौद्ध,जैन,पारसी जनों का भी विरोध करना शुरू करिये ताकि हमारे पास बुकर एवार्ड के लिए पर्याप्त मसाला एकत्र हो जाए वरना सिर्फ़ हिंदू-मुस्लिम की बात करने से शायद न मिल पाया तो समस्या हो जाएगी और मन में कसक रह जाएगी कि इतने धर्म हैं अगर कोशिश करते तो दस-बारह तो बुकर एवार्ड मिल ही जाते।
यदि आपके मन में सचमुच इतनी नफ़रत है तो क्या आपने देखा नहीं कि भड़ास के मंच पर तो कई मुस्लिम मौजूद हैं तो आप इस मंच से क्यों कर जुड़े हैं शायद ये आप भी नहीं जान सके हैं लेकिन सच तो ये है कि आप अपनी नफरत को खुद समझ नहीं पाएं हैं कि क्या सलीम, सुल्तान, सुलेमान जैसे नाम हो जाने से अगर कोई मुसलमान हो जाता है ये तो मात्र आपके पूर्वाग्रह हैं जो आपको बाध्य करते हैं ऐसा सोच पाने के लिये.......। आपकी सोच को अभी और विकसित होने की आवश्यकता है आप जितना नफ़रत की बात करेंगे हम भड़ासी उसे प्रेम में बदलने की कोशिश करेंगे और ईश्वर करे कि एक दिन हम कामयाब हो जाएं।
जय जय भड़ास

5 comments:

मनोज द्विवेदी said...

apne bilkul sahi ray di hai. lekin apne kabhi bataya nahi ki hamari haddiyan 'CHUTIYAM SALPHET' ki bani hui hain. khair aaj pata chal gaya hai to apko BADHAI dena kaise bul sakta hun..ha ha ha............
jai ho young bhadasin ki...

गुफरान सिद्दीकी said...

बात हैक्या फरहीन जी हम लोग तो कायल हैं आपके ज्ञान के खैर भड़ास पर कोई भी अपनी बात कह सकता है और ये तो बहोत ही सटीक जगह है ऐसे लोगों की गलत फहमियां दूर करने की जो अपनी भड़ास नहीं सिर्फ कुंठा निकाल रहे हैं और ऐसे लोगों को समझाने के लिए वास्तव में आप जैसी टीचर का होना अत्यंत ज़रूरी है इसके लिए रुपेश भैया बधाई के पात्र हैं .......!

आपका हमवतन भाई .....गुफरान.......(अवध पीपुल्स फोरम)

दीनबन्धु said...

फरहीन बहन,पहले तो समझ ही न पाया कि ये "चूतियम सल्फेट" हड्डियों में पाया जाने वाला कौन सा रसायन है लेकिन जब डा.रूपेश से संपर्क करा तो उन्होंने बताया कि यह रसायन हम जैसे भड़ासियों में ही उपजता है जो खुद को सहज भाव से चूतिया स्वीकार लेते हैं,देहाती और गंवार स्वीकारने में झिझकते नहीं..... यह प्रतीक है हमारी हड्डियों में ईमानदारी और मजबूती का....
मुझे गर्व है कि मैं भड़ासी हूं।
जय जय भड़ास

X-Man said...

बच्ची मजा आ गया तुम्हारे लिखने के अंदाज़ पर....
जय जय भड़ास

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

बदलाव तो कुदरत का नियम है तो भला इनकी नफ़रत का पूर्वाग्रह क्यों न समाप्त होगा और ये भी सबसे प्यार कर पाएंगे
जय जय भड़ास

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