उर्दू नाटक "ये किसका लहू बहा..ये कौन मरा" का मंचन

मुंबई में २६नवंबर को हुए आतंकी हमले पर आधारित एकपात्रीय नाटक के बाद कविता "कबूतर लौट आयेंगे"को अभिव्यक्ति देते उर्दू मंच के मंझे हुए कलाकार, बांए से दांए- वैभव देशमुख,मजहर शेख,मोहिनी
वैभव ने मंच पर जो अभिनय की आग धधका दी उसे और भड़काए रखा मोहिनी ने फिर मजहर ने...
बांए से दांए: डांबर वाले का किरदार करने वाले श्री वैभव देशमुख, मनसुख पटेल की आत्मा के किरदार को अभिनीत करने वाले श्री मजहर शेख, नाटक के लेखक-निर्देशक उर्दू अदब के नामचीन ड्रामानिग़ार श्री इक़बाल नियाज़ी, घरेलू किस्म की महिला संगीता राजन खरे के किरदार में जादू जगाने वाली कु.मोहिनी(ये मुंबई के एक एफ़.एम.रेडियो चैनल में रेडियो जाकी है)।
नाटक का नाटक खत्म करते करते मुझसे जब औपचारिकताएं सहन न हुईं तो मैं भड़ासी अंदाज में चढ़ गया मंच पर और भाई को गले लगा कर दे डाली जोरदार शुभकामनाएं........
बांए से दांए: मनीषा नारायण,भाई इक़बाल नियाजी,मुनव्वर सुल्ताना
भाई इक़बाल नियाजी को हम सब भड़ासियों की तरफ से इस गहरे संवेदना भरे नाटक के सफल मंचन की हार्दिक शुभकामनाएं और उम्मीद है कि भाई जाति-धर्म-भाषा-क्षेत्रादि की खाई को पाटने का काम इसी तरह संतो की तरह जारी रखेगें,भड़ास इनके जज़्बे को सलाम करता है.....
जय जय भड़ास

2 comments:

अजय मोहन said...

भाईसाहब अगर इन लोगों से न मिल पाया तो कय्यूम भाई को तलाश लूंगा बस सबके पते मिल जाएंगे है न बढ़िया आइडिया....

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

डाक्टर साहब,
ये बेहतरीन प्रयास है और सच कहूं तो भारत में आज हमें ऐसे ही मंचन की जरुरत है जो हमारी एकता और अखंडता को बढावा दे सके. कयूम भाई को बधाई और परिवार के सभी साथी को बधाई,
आपका आभार की तमाम सदस्यों को परिवार में समेटा.
जय जय भड़ास

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