कोसते श्रापते बनिये का आशीर्वाद: जय भड़ास


बेचारा बनिया सोचता था कि एक शब्द डिक्शनरी से ले आएगा और उसे जिंदगी भर रुपए में बदल कर नोट छापेगा। भड़ास की लोकप्रियता बढ़ने लगी तो बनिया बौरा गया सोचने लगा कि अब तो वो मलाई छानेगा और चूतिया भड़ासी उसके लिये दूध औटाएंगे। उसकी नजरों में भड़ासी निरे बुद्धू हैं लेकिन जब भड़ासियों ने देखा कि बनिया तो औकात दिखाने लगा है मुखौटा तक उतार फेंका है और आंखे भी तरेर रहा है, भड़ास का दर्शन दम तोड़ देता इससे पहले हम लोगों ने उसकी आत्मा चुरा ली और उस DNA का प्रयोग कर हमारे डाक्टर और टैक्नोराइट ने उसे दोबारा अवतरित करा दिया। बनिया बोला जाओ नहीं दूंगा तुम्हें धनिया... लेकिन अब भड़ासी जान चुके हैं कि बनिया धनिया नहीं घोड़े की लीद बेचता है। बुजुर्ग भड़ासी ने लिखा कि हिंदी ब्लागरों भड़ास के दर्शन को अपनाओ और हर ब्लागर एक ब्लाग बनाओ जिसका नाम हो "भड़ास"....। पहले बनिया फड़फड़ाया कि हे भगवान ये दुष्ट मेरी बौद्धिक संपदा चुरा ले गए लेकिन अब जब हर टोटका आजमाने के बाद भी भयंकर भड़ासी नहीं माने तो अब रिरियाने और आशीर्वाद देने का नाटक रच रहा है बेचारा..... जबकि पिछवाड़े से धुंआ निकलना बंद नहीं हो रहा है ये हर हिंदी ब्लागर को दिख रहा है। बनिये राजा ! इस पेज को भी आशीर्वाद देने का नाटक करो शायद कुछ पंखे और मिल जाएं पर देख तो रहे हो मिलावटीराम कि ये पंखे तुम्हारी ही बिजली चूस रहे हैं...हा...हा...हा... अपने ब्लाग पर संडास4मीडिया की लिंक लगाने की विनतियां करते रहे पर पंखे सयाने हैं एक ने नहीं सुनी और अपनी फोटू जरूर चिपकाए पड़े हैं......। भले मन में कोसना श्रापना पर मुंह पर आशीर्वाद ही रखना ताकि बौद्धिक बनिया की बनियान की सड़ांध न पता चले किसी पंखे को।
जय जय भड़ास

1 comment:

मनोज द्विवेदी said...

chot par chot mara hai maza aa gaya..nakel kasti rahiye ek din ghoda jarur kabu mein aa jayega

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