पंखे भड़ासियों की तो........

मेरे भड़ासी भाइयों पंखे वाली भड़ास के पंखों की चढ्ढियां गीली होने लगी हैं सारे पंखे तेजी से चल कर एक दूसरे की चड्ढियां सुखाने की कोशिश में लगे हैं। हमारी भड़ासी ताकत ने अभी और न जाने कितनों को उनकी चड्ढियां सुखाने के लिये मजबूर करना है अगर ये न सुधरे। रजनीश मामू, आप के साथ हूं मैं भी इस चड्ढी फाड़ लड़ाई में।

जय जय भड़ास

1 comment:

दीनबन्धु said...

बासित भाई चड्ढी फाड़ लड़ाई में सारे भड़ासी साथ हैं मजेदार है ये लड़ाई.... रजनीश मामू तो बहुत बड़े चड्ढी-फाड़क संत हैं :)
जय जय भड़ास

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