दिल्ली के एक अनाथालय से कई वर्ष पूर्व एक ब्रिटिश दंपति द्वारा गोद लिया गया एक बच्चा इस समय यहाँ 'स्विनडान का गौरव' कहलाने लगा है। उसे और उसके शहर को यह गौरव उसके द्वारा अनाथ बच्चों के लिए हजारों पौंड संग्रह किए जाने के अनोखे तरीके के कारण मिला है।
उल्लेखनीय है कि इस भारतीय बच्चे को उसके माता-पिता एक अनाथालय 'पालना' के बाहर लगे एक बॉस्केट में डाल गए थे। स्विनडान में रहने वाला अली मैककलम नामक यह बालक इस समय 12 वर्ष का है।
ब्रिटेन में रहने वाले नील और कौसर मैककलम ने इस बच्चे को दिल्ली स्थित पालना नामक एक अनाथालय से चार माह की उम्र में गोद लिया था। बच्चा उस समय बहुत कमजोर था और उसे स्वस्थ बनाने के लिए उसका काफी सघन उपचार किया गया था।
अली ने कहा कि मैं वहाँ जाना चाहता था और देखना चाहता था कि कहाँ से मैंने अपने जीवन की शुरुआत की थी। वहाँ के कर्मचारियों ने मुझे बताया कि उनके पास उनके काम के अनुरूप साधन नहीं हैं और उन्हें हमेशा धन का अभाव रहता है, इसलिए मैंने मदद करने का फैसला किया। कुछ बच्चों का जीवन बेहतर बन सके इसके लिए मदद करने का यह मेरा अपना अंदाज है।
स्विनडान परिषद ने उसके धन संग्रह करने की कोशिश को देखते हुए उसे 'प्राइड ऑफ स्विनडान अवॉर्ड' प्रदान कर सम्मानित किया है। उसे यह पुरस्कार पिछले सप्ताह स्विनडान के मेयर स्टीव वेकफील्ड ने दिया।
वेकफील्ड ने कहा कि अली 'पालना' के लिए एक महान कार्य कर रहा है। मैं सचमुच प्रभावित हूँ कि वह जितना भी धन संग्रह करता है उसे वह वहाँ भेज देता है और अपना जेब खर्च भी वह धन संग्रह कार्य के लिए खर्च कर देता है।
'पालना' के लिए धन इकट्ठा करने का उत्साह उसके अंदर वर्ष 2006 में एक स्थान की यात्रा करने बाद पैदा हुआ। उसने वहाँ से स्विनडान वापस लौटने के बाद सहायतार्थ धन जुटाने के लिए चैरिटी डिनर आयोजित करने, केक बनाकर उसे बेचने, टॉक शो करने तथा पौधों की बिक्री जैसे कामों के जरिये धन एकत्र करना शुरू कर दिया।
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