नयी लोकसभा के लिए परिणाम आ चुका है, सरकार के बनने की गहमा गहमी है। परिणाम ने पूर्ण बहुमत तो नही दिया मगर लोकतंत्र को कलंकित करने वाले राजनेताओं की नकेल जरुर कस दी है। हिन्दुस्तान की आवाम ने पिछले कई लोकसभा में भारतीय लोकतंत्र का चीडहरण करते नेतोँ को देखा, आवाम के मतों को खरीदते और बिकते देखा, संसदीय गरिमा को नेताओं के द्बारा भंग करते देखा और इसी की परिणति की परिणाम में बदलाब के स्पष्ट संकेत दिखे।
नेताओं का आभाव और राष्ट्रिय स्तर पर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले नेता की कमी ने पिछले कई वर्ष तक भारतीय राजनीति को पंगु बना कर रखा, क्षेत्रीय दल के साथ साथ कई राष्ट्रिय दल की सौदेबाजी देखी लोकसभा में नोटों के बण्डल देखे, राम राम करते नेता तो राम के नाम को बेचती राजनीति देखी बस अब और नही।
नया परिणाम एक संकेत है, युवाओं के लिए !
एक आशा है नयी पौध के लिए !
एक रोशिनी विकाश के लिए !
और एक पहल सर धर्म समभाव के लिए....
की
देखो ऐ दीवानों तुम ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम न करो !
कांग्रेस ने राहुल को सामने किया और युवा का तुर्क नजरिया लोगों को भाया, अब बारी विपक्ष की युवा तुर्क इमानदार और स्पष्ट क्षवि वाले को नेतृत्व दे। जसमे इमानदारी और सभी को साथ लेकर कुछ कर गुजरने का माद्दा हो।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पक्ष के साथ विपक्ष का भी मजबूत होना बेहद जरुरी।
आइये हम सब इस बदलाव का स्वागत करें।
नेताओं का आभाव और राष्ट्रिय स्तर पर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले नेता की कमी ने पिछले कई वर्ष तक भारतीय राजनीति को पंगु बना कर रखा, क्षेत्रीय दल के साथ साथ कई राष्ट्रिय दल की सौदेबाजी देखी लोकसभा में नोटों के बण्डल देखे, राम राम करते नेता तो राम के नाम को बेचती राजनीति देखी बस अब और नही।
नया परिणाम एक संकेत है, युवाओं के लिए !
एक आशा है नयी पौध के लिए !
एक रोशिनी विकाश के लिए !
और एक पहल सर धर्म समभाव के लिए....
की
देखो ऐ दीवानों तुम ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम न करो !
कांग्रेस ने राहुल को सामने किया और युवा का तुर्क नजरिया लोगों को भाया, अब बारी विपक्ष की युवा तुर्क इमानदार और स्पष्ट क्षवि वाले को नेतृत्व दे। जसमे इमानदारी और सभी को साथ लेकर कुछ कर गुजरने का माद्दा हो।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पक्ष के साथ विपक्ष का भी मजबूत होना बेहद जरुरी।
आइये हम सब इस बदलाव का स्वागत करें।
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