माधव नेपाल ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। उनके साथ विद्या भंडारी को रक्षा मंत्री और सुरेंद्र पांडेय को बतौर वित्त मंत्री शपथ दिलाई गई। उनके साथ राष्ट्रपति राम बरन यादव ने उन्हीं की पार्टी की विद्या भंडारी को बतौर रक्षा मंत्री और सुरेंद्र पांडेय को बतौर वित्त मंत्री शपथ दिलाई।
काफ़ी खींचतान और विचार विमर्श के बाद नेपाल में इस सरकार का गठन हुआ है और भारत ने कहा है कि वह सरकार के साथ सहयोग बनाए रखेगा। माधव नेपाल की पार्टी नेकपा-एमाले के नेतृत्त्व में बनी इस सरकार को 601 में से 356 सांसदों का समर्थन प्राप्त है।
उन्हें कुल 21 दल समर्थन दे रहे हैं, जिनमें नेपाली कांग्रेस, मधेसी जनाधिकार फ़ोरम और तराई मधेस लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख रूप से शामिल हैं.
इससे पहले तक सत्ता में रही माओवादियों की पार्टी एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी अब विपक्ष में बैठेगी। प्रचंड के इस्तीफ़े के बाद माधव नेपाल को नेता चुना गया.
पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल प्रचंड शपथ ग्रहण में मौजूद नहीं थे। पार्टी ने पूरी प्रक्रिया का बहिष्कार कर रखा है. मंत्रिपरिषद के बाक़ी पदों के बँटवारे के लिए एक कार्यदल बनाया गया है.
सहयोगी दलों के लोगों को साथ लेकर बना ये कार्यदल एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर विचार करेगा और सरकार उसी के अनुरूप चलाई जाएगी।
सेनाध्यक्ष रुकमांगद कटवाल को हटाए जाने के मामले में राष्ट्रपति राम बरन यादव से पैदा हुए मतभेद के बाद प्रचंड ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
मंत्रिमंडल की एक बैठक में कटवाल को हटाने का फ़ैसला किया गया था जिसे राष्ट्रपति यादव ने असांविधानिक बताते हुए सेनाध्यक्ष से पद पर बने रहने को कहा था।
उस समय प्रचंड ने राष्ट्रपति के क़दम को असांविधानिक और लोकतंत्र के विरुद्ध बताया था। सेना में पूर्व माओवादी विद्रोहियों को शामिल करने के मुद्दे पर सरकार और सेनाध्यक्ष में मतभेद थे और उसी के बाद मंत्रिमंडल ने सेनाध्यक्ष को हटाने का फ़ैसला किया था.
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