मतगणना के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और शुरू हो चुका है राजनीति तिकड़म। इस तिकड़म में बेगाने की शादी में अब्दुलाह दीवाना की तर्ज पर मीडिया भी ताली बजाती जा रही है। संभावना को लेकर विवेचना जारी है और जटिल या कुटिल होती जा रही है राजनीति।
अपने अपने घरों को बनाने और बचाने की कवायद, साथियों को मनाने और नए सहयोगी को बनाने की पुरजोर वकालत यानि की केन्द्र से लेकर राज्यों तक, विधायिका से लेकर पत्रकारिता तक सभी लोकतंत्र के इस महायग्य में सिर्फ़ अपनी अपनी सम्भावना के साथ अपना अपना बीन बजा रहे हैं।
बिहार के मुख्यमन्त्री और जदयु के कर्ता धर्ता का नया बयान अपने आप में तिलिस्म से कम नही, राजनीति के नए रणभूमि में सभी अपनी जमीन तलाश रहे हैं और इस वक्त नीतिश का बिहार के विकास के साथ सहयोग की बात कर विरोधी में जहाँ संभावना जगाई है वहीँ सहयोगी में हलचल।
प्रारम्भ से ही केन्द्र की राजनीति में दखलंदाजी रखने वाला बिहार हमेशा से केन्द्र की उपेक्षा का शिकार रहा है। बिहार विभाजन के बाद यहाँ की आर्थिक कमर टूट गई, सालों साल दर बाढ़ और सुखाड़ ने यहाँ की कृषि को भारी नुक्सान पहुंचाया, परिणाम की सबसे ज्यादा उपजाउ धरा का क्षेत्र बिहार अपने नौनिहाल के लिए दो वक्त की रोटी को मोहताज हो गया, मजबूरी यहाँ के किसानों ने पंजाब और हरियाणा की बंजर जमीन को उपजाऊ तो बना दिया मगर जिन्दगी बैगैरत की।
नीतिश का चाणक्य दर्शन और बात विकाश की, योजना आयोग की सलाह को मानते हुए जो भी पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे वो सरकार बनाने में सहयोग ले ऐसे समय में आया है जबकी बिहार को इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है। बटवारे ने हमारी संपदा से हमें विहीन किया, केन्द्र ने सहायता से और राजनेताओं की राजनीति ने बिहार को कहीं का न छोड़ा बाकी कसर बाढ़ ने पुरा किया।
बिहार विकास के नाम पर सहयोग और विकास की बात करके नीतिश ने बिहार की राजनीति को एक नया रंग दिया है, आज बिहार को जरुरत की सभी पार्टी राजनीति से ऊपर उठ कर बिहार के लिए एक नया आदर्श पेश करें और जो भी बिहार विकाश को सहयोग करे उसके साथ एक नया अध्याय शुरू करें।
केन्द्र की राजनीति में एक बार फ़िर से बिहार ने एक नया चाणक्य पेश किया है, और इस चाणक्य के रणनीति की काट नि:संदेह सहयोगी और विरोधी के साथ सभी खेमे में हलचल मचा रहा है।
तो आइये बिहार विकाश के लिए एकजुटता का आवाहन करें।
3 comments:
bihar ka vikas to hona hi chahiye desh ki pragati ke liye bhi jaroori hai magar aise bian baji kar ke nahi balki nitish ko jo bhi party sahi lagti hai uska samarthan karke kya ja sakta hai kahin aisa na ho shrton par sab parties desh ko hi daanv par laga deN
बहुत बड़ा बहुरुपिया है भाई,
बस अपना तुरुप का पत्ता चला दिया मगर नतीजा शिफर ही रहा.
आगे आगे देखिये होता है क्या, विकाश क्या गति पकड़ती है.
सही कहा भाई आपने,
कभी कभी लगता है की नीतिश ठीक है मगर जब वास्तविकता से रूबरू होता हूँ तो असलियत का पता चलता है, विकाश के नीतिश के चोंचले भी ज्यादा दिन तक चलने वाले नहीं हैं क्यूँकी जमीनी विकाश सफ़ेद हाथी मात्र हैं.
धन्यवाद
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