सोनी जी आप के द्वारा लिखा गया बंधुत्व की भावना से भरा लेख पढ़ा और मई फिर से अनूप मंडल के कुतर्को का जवाब देने के लिए तयार हो गया ,
सबसे पहले यदि अनूप मंडल मन की कषाय को छोड़ कर निर्मलता पूर्वक यहाँ मंच पर धर्म जैसे संवदेनशील मुदे पर बात करे तो कोई भी सहर्ष तयार हो जायगा /
पहली बात अनूप मंडल कहता है ये धातु क्या होता है ?
अनूप मंडल यदि हिंदी भाषा या संस्कृत भाषा को जानता है तो उन्हें व्याकरण शब्द जरूर पता होगा /
यदि नहीं पता तो किर्पया पहले भाषा को पढ़ ले /
जब कोई भाषा साहित्य की समृद्धि से जगमगाने लगती है, तब उसके व्याकरण की जरूरत पड़ती है/
इस व्याकरण के लिए पदों को ("मध्यस्तोऽवक्रम्य") बीच से तोड़ तोड़कर प्रकृति प्रत्यय आदि का भेद किया-व्याकरण बनाया गया /
इसी परकार भाषा विज्ञानं सब्द शास्त्र है /
व्याकरण तथा भाषाविज्ञान दो शब्दशास्त्र हैं; दोनों का कार्यक्षेत्र भिन्न-भिन्न है;
पर एक दूसरे के दोनों सहयोगी हैं। व्याकरण पदप्रयोग मात्र पर विचार करता है;
जब कि भाषाविज्ञान "पद" के मूल रूप (धातु तथा प्रातिपदिक) की उत्पत्ति व्युत्पत्ति या विकास की पद्धति बतलाता है।
व्याकरण यह बतलाएगा कि (निषेध के पर्य्युदास रूप मे ), "न" (नञ्) का रूप (संस्कृत में) "अ" या "अन्" हो जाता है।
अब सोनी जी एक शब्द जिन का मतलब बताने के लिए मुझे पूरा व्याकरण इन को बताना पड़ेगा /
क्योकि मुझे उम्मीद है की अगली पोस्ट मे अनूप मंडल लिखेगा
ये भाषा विज्ञानं क्या है? ,
ये पद पर्योग क्या है ? ,
ये उत्पति व्युत्पति क्या है ? ये परुदास क्या है ?
अब ये अनूप मंडल व्यथ की बात करते है की आप अपने भगवन की तस्वीर भेजिए /
कितनी बचकानी बात है /
सिर्फ किसी स्थापित मूल्यों को तोड़ मरोड़ कर उन से उन का श्पष्टिकरण मांगना बेव्खुफी नहीं तो क्या है / ---------------------------------------------------------------------------------------------------- बङे से बङा शहर जैन वंश को बणीयो के नाम से ही संबोधित करते है शायद आप
यह कहेगे कि हम बनिये नही है
बनिया अक्षर का असली अर्थ बिगङी औलाद से है जो अर्थ
ङिक्सनरी से नही मिलता है सौदागर का अर्थ होता है जो पुरूष माँ के घर मे
चोरी करता है वह सौदागर के नाम से जाना जाता है महाजन का अर्थ होता है
माँ के साथ बेटा, पति की तरह वर्ताव करके औलाद पैदा करे- उस औलाद को
महाजन वंश कहाँ गया है अमीत.....
------------------------------------------------------------------------------------------------------
अब इस परकार का लेख जो ये महोदय लिख रहे है ,
वो बाते किस dictionary से उन होने ये शब्दार्थ लिए है /
सिर्फ उन की इन जातीय मानसिकता के चलते मैंने उन से बात न करना ही उचित समझा / क्यों की मे अनूप मंडल के स्तर तक गिर कर नहीं लिख सकता था /
2 comments:
अमितभाई आपकी दो दिन पुर्व वाली पोस्ट भडास पर दिख नही रही है ? क्या उसे निकाल दिया है।
आप खुद तो मैदान छोड़ कर भाग गये और अमित भाई के कंधे पर बंदूक रख रहे हैं। ये प्रकरण आपसे शुरू हुआ था याद है न आपको? अब अमित ने अपनी उस पोस्ट को हटा दिया जिसमें कि उनका विचलन दिख रहा तो आप फिर आ गए घी डालने कि पोस्ट क्यों हटा दी। यदि आप स्वयं ही इतने फिक्रमंद हैं तो डा.रूपेश की पोस्ट के उत्तर में एक पोस्ट लिख कर गुजर क्यों गए?सेमलानी जी,किसी भी धर्म और आस्था के बारे में टीका-टिप्पणी करने से लोग सामान्यतः बचते ही हैं ताकि कहीं कोई मुसीबत गले न पड़ जाए लेकिन भड़ास के मंच पर जब आपको मौका है तो आप कन्नी काट गए। मुझे जो मेरे नजरिए से उचित जान पड़ा, समाज,राष्ट्र व विश्व हित में जान पड़ता है उसे कहने से पीछे नहीं हटती चाहे फिर लोग भला-बुरा ही क्यों न कहते रहें। यदि आप साहस जुटाएं तो अवश्य इस प्रकरण में मेहरबानी करके उत्तरदायित्त्व निभाएं।
जय जय भड़ास
Post a Comment