हमारे देश को अंग्रेज पोंगा पंथियों का देश कहा करते थे। ये सच भी लगता है क्योंकि यहाँ दिखावट का ही जलवा है। जैसा दिखा दीजिये, लोगों को चुतिया बना सकते हैं। जैसा की हाल ही में पकड़े गए दशियों ठगों ने किया था। एक साधारण चोर थे लेकिन उन्होंने लोगों को ऐसा दिखाया की वे चोर नही बल्कि ईश्वर के दूत हैं जो यहाँ पर आप जैसे लोगों के दुःख हरने के लिए आए हैं। लोगो ने जो देखा उसे सच माना और ईश्वर के दूत को सब कुछ सौप दिया। जब तब इन महाठागो का सच सामने आता तब तक तो कितने लोगों का कल्याण हो चुका था। ये तो रही ठगों की बात कहने का तात्पर्य यह है की जो दीखता है वह बिकता का जुमला ही आजकल चल रहा है। आजकल क्या ये आदिकाल से ही चलन में है। कुछ इसी तरह का प्रपंच हमारी राजनैतिक पार्टियों, तथाकथिक सामाजिक संगठनों और इन्ही जैसे लोकहित को समर्पित मंचों का भी होता है। बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स पर आम आदमी के झुर्रीदार चेहरों पर हँसी बिखेरना और उसके नीचे अपनी पार्टी, संगठन और जनहित मंचों का लेबल लगा देना इनका दिखावटी काम है । पर असल में ये लोगो को भ्रमित करके अपना उल्लू सीधा करते हैं। ये भी किसी ठग से कम नही होते, हाँ ये अलग बात है की इन ठगों पर कोई कानूनी कार्वाही लोकतंत्र को बचाने के नाम पर नही हो पाती। क्यूंकि आखिरकार ये देश की राजनितिक पार्टियाँ और उनकी वफादार संगठन जो ठहरे! एक रोचक प्रसंग याद आता है, एक बार मैं अपनी मगज़िने के काम के सिलसिले में बनारस जा रहा था। मैं स्लीपर में अपना रेजर्वेसन कराया। लेकिन ठीक जाने वाले दिन ही पता चला की जिनका इंटरव्यू मैं लेने जा रहा हूँ वे अलाहाबाद से बनारस इसी ट्रेन से जायेंगे । उनके पीअ से रेकुएस्ट की तो उसने ट्रेन में ही इंटरव्यू का समय निर्धारित करवा दिया । इलाहबाद में मैं उनके एसी कोच में घुस गया । महाशय मिले और बहुत गर्मजोशी से उन्होंने इंटरव्यू दिया , मेरा काम बन चुका था और मैं गाड़ी रुकने का इंतजार करने लगा। तभी उनके एक दोस्त जो उसी कोच में यात्रा कर रहे थे , अचानक आ पहुंचे और दुआ- सलाम करके पास में ही बैठ गए। थोडी देर बाद उन्होंने अपने कुरते की जेब में हाथ डाला और एक बीड़ी का बण्डल निकल लिया । सबकी तरफ़ बीड़ी दिखाई और भारतीय परम्परा के अनुसार मुझसे भी पूछा की लेंगे ? मैंने नही में उत्तर दिया मगर मुझे हैरत होने लगी की एसी कोच में सफर करने वाला बन्दा बीड़ी क्यों पी रहा है । इनके जैसे लोग तो बढ़िया क्वालिटी की सिगरेट पीते हैं। शायद वह व्यक्ति भी मेरी मनोदशा समझ रहा था। हम जैसे छोटे लोगों की ये सबसे बड़ी बीमारी है की मन की बात को चेहरे से बयां कर ही देते हैं। जबकि बड़े लोग इसमे माहिर होते हैं। खैर उस व्यक्ति ने मेरी तरफ़ मुखातिब होकर कहा मैं समझ रहा हूँ की आप क्या सोच रहे हैं। मैंने गर्दन भर हिलाई , उसने कहा- देखिये हम सर्वहारा के हित की रक्षा करने वाली पार्टी के नेता हैं। हम गरीबों और मजलूमों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोग हैं। भले ही अब हम एसी में रहते हो एसी में खाते -पीते हो लेकिन हमें अन्तः गरीब ही दिखना पड़ता है। ये बीड़ी भी इसी दिखावट के लिए ही है, क्योंकि आप अच्छी तरह जानते हैं की हबडा ब्रांड बीड़ी गरीब लोग ही पीते हैं। इसलिए मैं सबकुछ छोड़ सकता हूँ पर बीड़ी पीना नही , अरे येही तो हमारा ट्रेड मार्क है इसके बिना हमारी क्या औकात। इसी बीड़ी के ही दम पर आज हम बड़ी-बड़ी गाड़ियों से चलते हैं , फाइव स्टार होटल्स में हमारी मीटिंग्स होती हैं और तो और हमारा फाइव स्टार रहन-सहन भी इसी बीड़ी की बदौलत ही है। इतने में गाड़ी रुक गई और मैं चुप-चाप अभिवादन करके वहां से निकल लिया , लेकिन मैं बहुत कुछ समझ चुका था । शायद आप भी कुछ न कुछ समझ ही रहे होंगे.......
जय भड़ास जय जय भड़ास
8 comments:
bahut hi badhiya manoj ji....hakikat to yahi hai kiye log isi tarah se aam janta ko chus rahe hai aur hamaare aankhon par patti badhi hai....
nice
मनोज भाई यही लोग हैं जो वेस्टर्न स्टाइल कमोड में भी लोटा लेकर हगने का नाटक करके जमीन से जुड़े होने का दिखावा करते हैं और गरीब जनता का खून विदेशी अंदाज में चूस लेते हैं पाइप लगा कर। अच्छी मारी है आपने कसकर..... अगर इस बीड़ी के उस तरफ़ के मुंह का नाम लिख कर मारते तो शायद आपकी नौकरी खतरे में आ जाती। पेले रहिये इसी तरह कभी तो जनता इन बीड़ी वालों की हकीकत समझेगी।
जय जय भड़ास
Kya Bhai Dhande ka Trade secret batane par kyon tule huye ho. Kya kabhi Zindagi mein bada aadmai nahi bunna chahte ho.
Kher, Bidi peena zaldi suru kar dejiye.
और बड़े बनने का नुस्खा पूरा करना है तो बीड़ी के साथ ही देसी ठर्रा और संग में सड़क पर खड़ी आवाज देकर बुलाती भारत की अस्मिता.... मंहगी वाली कालगर्ल बड़े बनने के नुस्खे में नहीं समाती है
जय जय भड़ास
:)
अजय मोहन said...
मनोज भाई यही लोग हैं जो वेस्टर्न स्टाइल कमोड में भी लोटा लेकर हगने का नाटक करके जमीन से जुड़े होने का दिखावा करते हैं और गरीब जनता का खून विदेशी अंदाज में चूस लेते हैं पाइप लगा कर। अच्छी मारी है आपने कसकर..... अगर इस बीड़ी के उस तरफ़ के मुंह का नाम लिख कर मारते तो शायद आपकी नौकरी खतरे में आ जाती। पेले रहिये इसी तरह कभी तो जनता इन बीड़ी वालों की हकीकत समझेगी।
जय जय भड़ास
बहुत बढ़िया टिप्पणी ......:)
अभी अमित जी का लेख ( अहिंसा का मतलब - सारे धर्मो का नजरिया) पढ़ा फिर आप का (एसी कोच में बीड़ी का सुट्टा) बहुत ही बढ़िया ब्लॉग है आप लोगो का / आप को तथा आप के लेखको को इस लेखन के लिए शुभ कामनाए
@ K.M MISHRA JI ....MAI BADA HI HU SIR , UMAR 28 SAL AUR HEIGHT 5FT 7 INCH AUR WEITGHT 55 Kg. AB ISSE BADA HO JAUNGA TO PET BHARNA BHI MUSHKIL HO JAYEGA. HA EK 500 KA NOTE HAMESHA JEB ME RAHTA HAI. FAYDA YE KI BUS KA CONDECTOR CHHUTTA N HONE KI VAJAH SE FREE YATRA KARWA DETA HAI.
Post a Comment