नयी पुरातात्विक खोजों से पता चला है कि मिस्रवासी करीब 5,000 साल पहले से मदिरा के औषधीय गुणों को बढ़ाने के लिये जड़ी-बूटियां मिला रहे थे...पहले माना जाता था कि उन्होंने करीब 3,700 वर्ष पहले ऐसा करना शुरू किया होगा...पेन्सेल्विया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता बता रहे हैं कि मिस्रवासियों को पता था कि वो मदिरा के इस्तेमाल से जड़ी-बूटियों को संरक्षित कर सकते हैं।
अल्कोहल पर आधारित पेय पदार्थ इन जड़ी-बूटियों को संरक्षित करने का सबसे उत्तम तरीका हैं...जड़ी-बूटियां इनमें घुलकर बेहद असरदार रसायन बना देती हैं...जिसको त्वचा पर भी प्रयोग किया जा सकता है...या फिर पेय पदार्थ के जैसे...
पेपिरस वृक्ष की छाल पर लिखे प्राचीन विवरणों के अनुसार इन रसायनों का प्रयोग दर्दनाशक, पेट साफ करने यहां तक पौरुष बढ़ाने के लिये भी किया जाता था...शराब के पीपों से मिले अवशेषों के आधुनिक रासायनिक विश्लेषणों इनमें कई औषधियों जैसे...धनिया, पुदीना और रोज़मेरी की उपस्थिति का पता चला है।
विशेषज्ञों के अनुसार ये तथ्य इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में पता चला था कि 3,000 वर्ष पुरानी चावल से बनी चीन की शराब में कैंसररोधी औषधि वॉर्मवुड उपस्थित थी...
वॉर्मवुड कैंसर की रोकथाम में बहुत कारगर साबित हुई है...इसीलिये विशेषज्ञ मिस्र की जड़ी-बूटियों की गहराई से जांच कर रहे हैं।
साभार :- नेशनल एकेडमी ऑफ साइन्सेज
1 comment:
अच्छी जानकारी........ पर जरा ध्यान देना कहीं मदिरा प्रेमी आपकी पोस्ट पढ़ कर मदिरा का गुणगान न करने लग जाये.....
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