नेताओं का आभाव और राष्ट्रिय स्तर पर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले नेता की कमी ने पिछले कई वर्ष तक भारतीय राजनीति को पंगु बना कर रखा, क्षेत्रीय दल के साथ साथ कई राष्ट्रिय दल की सौदेबाजी देखी लोकसभा में नोटों के बण्डल देखे, राम राम करते नेता तो राम के नाम को बेचती राजनीति देखी बस अब और नही।
नया परिणाम एक संकेत है, युवाओं के लिए !
एक आशा है नयी पौध के लिए !
एक रोशिनी विकाश के लिए !
और एक पहल सर धर्म समभाव के लिए....
की
देखो ऐ दीवानों तुम ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम न करो !
कांग्रेस ने राहुल को सामने किया और युवा का तुर्क नजरिया लोगों को भाया, अब बारी विपक्ष की युवा तुर्क इमानदार और स्पष्ट क्षवि वाले को नेतृत्व दे। जसमे इमानदारी और सभी को साथ लेकर कुछ कर गुजरने का माद्दा हो।
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए पक्ष के साथ विपक्ष का भी मजबूत होना बेहद जरुरी।
आइये हम सब इस बदलाव का स्वागत करें।
3 comments:
bilkul sahi likhaa hai vipaksh jaroor sashakt hona chahiye uvaon ke aage ane ki bajut jaroorat thi lekin hamare neta hain ki tang chahe kabar me ho par kursi nahi chhodte ab voter hoshiar ho gayaa hai ye public hai ye sab janti hai jai ho uva shakti ki
सच कहा आपने,
लोकतंत्र की मजबूती ही हमारे देश को विकाश का रास्ता दिखा सकता है.
धन्यवाद
बढ़िया लिखा है,
सर्वधर्म समभाव के हमारे देश में परिणाम ने बहुत कुछ कह दिया है,
लिखते रहिये
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