शहरी मुख्यमन्त्री और अनुशाषित राज्यपाल को लगता था की सम्पूर्ण उत्तर भारतीय नियम कानून को ताक पर रख कर चलते हैं और इनके सरकार चलाने में रोड़ा अटकाते हैं। तुलना की दक्षिण के लोग बड़े सुशिक्षित होते हैं और कायदे कानून वाले भी, तात्पर्य सिर्फ़ इतना की देश की राजधानी के सर्वेसर्वा जहाँ लोगों को सर्टिफिकेट दे रहे थे वहीँ उत्तर और दक्षिण के नाम पर विभेद भी।
जरा इस तस्वीर को देखिये , दक्षिण दिल्ली के पोश इलाके के बस स्टैंड का है, ठीक सामने बड़ा सा गड्ढा, गड्ढा इतना बड़ा की एक छ: फुट का आदमी समां जाए, सोचिये रात का समय हो और लोग बस पकड़ने के लिए स्टैंड से नीचे आयें आगे अल्लाह ही मालिक है क्या इस तस्वीर के बाद भी लोगों से अपेक्षा की वोह बस स्टैंड पर बैठ कर बस आने के बाद गड्ढे में जाने का इन्तेजार करें।
वो कहते हैं हम बदतमीज हैं हमें सभ्य समाज में रहना नही आता हम कहते हैं हमारे दम पर सरकार बनाने वालों तुम्हें सरकार चलाना नही आता।
जय जय भड़ास
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