26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान जीवित पकडे़ गए एकमात्र पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को यहां इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने सोमवार को दोषी करार दिया जबकि दो अन्य आरोपियों फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया।
विशेष अदालत के न्यायधीश एम. एल. ताहिलयानी ने अपने फैसले में कसाब को कुल 83 मामलों में दोषी करार दिया है। वहीं फहीम और सबाउद्दीन को निर्दोष करा दिया गया। इन दोनों पर मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद करने का आरोप था। ये दोनों भारतीय नागरिक है।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2००8 की रात पाकिस्तान से आए 1० आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला बोला था। लगभग 6० घंटे तक इन आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे। दस आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया गया था जबकि कसाब को जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी। इन आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्थित वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग, ताजमहल पैलेस, टॉवर होटल, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 2008 में 26/11 को हुए हमले के आरोपी पाकिस्तानी बंदूकधारी कसाब और दो कथित भारतीय साजिशकर्ताओं पिछले 17 महीनों से अदालती कार्यवाही चलती आ रही थी। फरीदकोट के नागरिक कसाब और मारे गए उसके नौ सहयोगी आतंकियों पर लश्कर-ए-तय्यबा के इशारे पर 166 लोगों की हत्या और 304 को घायल करने का आरोप है। मारे गए लोगों में 25 विदेशी भी शामिल थे।
कसाब के अलावा दो भारतीयों, फहीम अंसारी और सबाउददीन अहमद पर हमले की साजिश रचने का आरोप है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने हमले का निशाना बने स्थानों का नक्शा तैयार कर उन्हें लश्कर को सौंपा। दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को मौत की सजा सुनाई जा सकती है। पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन लश्कर प्रशिक्षित 10 आतंकी एक फिदायीन अभियान को अंजाम देने के लिए 26/11 को मुंबई में घुसे और लगभग 60 घंटे तक कहर बरपाते रहे।
देश के इतिहास में सबसे तेजी से सुने जाने वाले मामले की सुनवाई आठ मई को शुरू हुई थी। इसके लिए आर्थर रोड जेल में एक विशेष अदालत बनाई गई, जिसमें 658 गवाहों के बयान दर्ज हुए। लगभग 271 कामकाजी दिनों में हुई सुनवाई के बाद 3,192 पृष्ठ के सबूत दर्ज हुए। न्यायाधीश एमएल तहिलयानी की अदालत में 30 गवाहों ने कसाब को उस आदमी के तौर पर पहचाना, जिसने उन पर गोली चलाई थी। उज्ज्वल निकम के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जांच के दौरान जब्त 1,015 लेख अदालत के समक्ष दर्ज कराए और अपने मामले के पक्ष में 1,691 दस्तावेज प्रस्तुत किए। अभियोजन ने यह भी तर्क दिया कि हमले में लश्कर ने पाकिस्तान की सुरक्षा सामग्री का भी उपयोग किया।
भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार एफबीआई के अधिकारियों ने तकनीकी सबूत दिए कि हत्यारे ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम की मदद से पाकिस्तान से आए। वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के माध्यम से सबूत के तौर पर बताया गया कि हत्यारों ने अपने मोबाइल फोन से पाकिस्तान में बैठे आकाओं से बात की। अभियोजन ने सीसीटीवी फुटेज से मिले सबूत भी पेश किए, जिनमें आतंकियों को बंदूकें लेकर घूमते और लोगों पर गोलीबारी करते दिखाया गया। ये तस्वीरें सीएसटी रेलवे स्टेशन, टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग, ताज महल होटल और ओबेराय होटल में लगे सीसीटीवी कैमरा की थीं। फोटो पत्रकार सेबेस्टियन डीसूजा और श्रीराम वरनेकर द्वारा खींची गईं कसाब की तस्वीरों को भी सबूत के तौर पर पेश किया गया। हालांकि कसाब ने कहा कि इन तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई है और तस्वीरों में जिसे दिखाया गया है, वह कसाब नहीं है।
कसाब को उच्च सुरक्षा युक्त आर्थर रोड जेल की एक विशेष बुलेट और बम निरोधी सेल में रखा गया। उसे रोज 10 से 12 सुरक्षाकर्मियों के घेरे में जेल परिसर में बनी अदालत ले जाया जाता था।
विशेष अदालत के न्यायधीश एम. एल. ताहिलयानी ने अपने फैसले में कसाब को कुल 83 मामलों में दोषी करार दिया है। वहीं फहीम और सबाउद्दीन को निर्दोष करा दिया गया। इन दोनों पर मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद करने का आरोप था। ये दोनों भारतीय नागरिक है।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2००8 की रात पाकिस्तान से आए 1० आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला बोला था। लगभग 6० घंटे तक इन आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे। दस आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया गया था जबकि कसाब को जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी। इन आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्थित वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग, ताजमहल पैलेस, टॉवर होटल, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 2008 में 26/11 को हुए हमले के आरोपी पाकिस्तानी बंदूकधारी कसाब और दो कथित भारतीय साजिशकर्ताओं पिछले 17 महीनों से अदालती कार्यवाही चलती आ रही थी। फरीदकोट के नागरिक कसाब और मारे गए उसके नौ सहयोगी आतंकियों पर लश्कर-ए-तय्यबा के इशारे पर 166 लोगों की हत्या और 304 को घायल करने का आरोप है। मारे गए लोगों में 25 विदेशी भी शामिल थे।
कसाब के अलावा दो भारतीयों, फहीम अंसारी और सबाउददीन अहमद पर हमले की साजिश रचने का आरोप है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने हमले का निशाना बने स्थानों का नक्शा तैयार कर उन्हें लश्कर को सौंपा। दोषी ठहराए जाने पर आरोपियों को मौत की सजा सुनाई जा सकती है। पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन लश्कर प्रशिक्षित 10 आतंकी एक फिदायीन अभियान को अंजाम देने के लिए 26/11 को मुंबई में घुसे और लगभग 60 घंटे तक कहर बरपाते रहे।
देश के इतिहास में सबसे तेजी से सुने जाने वाले मामले की सुनवाई आठ मई को शुरू हुई थी। इसके लिए आर्थर रोड जेल में एक विशेष अदालत बनाई गई, जिसमें 658 गवाहों के बयान दर्ज हुए। लगभग 271 कामकाजी दिनों में हुई सुनवाई के बाद 3,192 पृष्ठ के सबूत दर्ज हुए। न्यायाधीश एमएल तहिलयानी की अदालत में 30 गवाहों ने कसाब को उस आदमी के तौर पर पहचाना, जिसने उन पर गोली चलाई थी। उज्ज्वल निकम के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जांच के दौरान जब्त 1,015 लेख अदालत के समक्ष दर्ज कराए और अपने मामले के पक्ष में 1,691 दस्तावेज प्रस्तुत किए। अभियोजन ने यह भी तर्क दिया कि हमले में लश्कर ने पाकिस्तान की सुरक्षा सामग्री का भी उपयोग किया।
भारतीय कानून के इतिहास में पहली बार एफबीआई के अधिकारियों ने तकनीकी सबूत दिए कि हत्यारे ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम की मदद से पाकिस्तान से आए। वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल के माध्यम से सबूत के तौर पर बताया गया कि हत्यारों ने अपने मोबाइल फोन से पाकिस्तान में बैठे आकाओं से बात की। अभियोजन ने सीसीटीवी फुटेज से मिले सबूत भी पेश किए, जिनमें आतंकियों को बंदूकें लेकर घूमते और लोगों पर गोलीबारी करते दिखाया गया। ये तस्वीरें सीएसटी रेलवे स्टेशन, टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग, ताज महल होटल और ओबेराय होटल में लगे सीसीटीवी कैमरा की थीं। फोटो पत्रकार सेबेस्टियन डीसूजा और श्रीराम वरनेकर द्वारा खींची गईं कसाब की तस्वीरों को भी सबूत के तौर पर पेश किया गया। हालांकि कसाब ने कहा कि इन तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई है और तस्वीरों में जिसे दिखाया गया है, वह कसाब नहीं है।
कसाब को उच्च सुरक्षा युक्त आर्थर रोड जेल की एक विशेष बुलेट और बम निरोधी सेल में रखा गया। उसे रोज 10 से 12 सुरक्षाकर्मियों के घेरे में जेल परिसर में बनी अदालत ले जाया जाता था।
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