निरुपमा की मौंत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

निरुपमा मामले में ब्लांग पर जारी बहस को लेकर सबसे अधिक व्यथित मेरे सहकर्मी हैं।पिछले 24घंटो से उनका गुस्सा झेल रहा हूं।बहस थमने का नाम नही ले रहा हैं एक से एक तर्क दिया जा रहा हैं सबो की इक्छा हैं कि ब्लांग पर मीडिया को लेकर जो लिखा गया हैं उसे तत्तकाल हटा दिया जाये।इस बहस के दौरान ही कुछ वरिष्ठ साथियो ने एक प्रयोग करने की सलाह मुझे दी ।उन्होने कहा कि निरुपमा को लेकर जिस सच को तुमने उजागर किया हैं वाकई बहुत अच्छा काम हैं लेकिन खबर की दुनिया में इसका कोई मार्केट भेल्यू नही हैं।मैंने कहा इसमें दम नही हैं।मेरे इस आलेख पर सबसे अधिक लोगो की प्रतिक्रिया आयी हैं और एक हजार से अधिक पाठक इस खबर को पढने मेरे साईट पर आये।बहस के दौरान हमारे बीच उपस्थित एक वरिष्ठ मित्र ने एक प्रयोग करने की सलाह दी।उन्होने कहा कि आज भी तुम्हारे पास बहुत अच्छा मेटेरियल हैं उसको लिखो साथ में किसी लड़की का भलगर फोटो खबर के साथ ब्लांग पर लगा तो उसके बाद जो परिणाम आयेगा उस पर बहस होगी और उसके बाद तय होगा।मैं बैठ गया खबर लिखने वही हमारे मित्र गुगल पर फोटो खोजने लगे।आधे धेटे बाद मेरी स्टोरी पूरी हो गयी लेकिन जब स्टोरी के साथ फोटो लगाने की बात आयी तो मैने फोटो पर आपत्ति दर्ज किया ।लेकिन कहा गया की दो घंटे के लिए इसे ब्लांग पर आने तो दो उसके बाद जो परिणाम आयेगा उस पर बहस के बाद हटा दिया जायेगा।ब्लांग पर डालने के बाद सभी अपने अपने काम पर निकल गये ।लेकिन दो घंटे बाद जब ब्लांग खोला तो मैं हैरान था पांच सौ से अधिक लोग ब्लांग पर आ चुके थे और जिन चार लोगो की प्रतिक्रिया आयी उन्होने भी ब्लांग पर लिखी गयी बातो पर प्रतिक्रिया देने के बाजाय लड़कियो के न्यूड फोटो को लेकर प्रतिक्रिया दी,हलाकि कौशल जी जैसे लोगो ने नसीहत भी दी लेकिन जिस तहर का रिसपोन्स इस पेज को लेकर था वाकई शर्मसार करने वाली थी ।अब बहस शुरु हुई और एक समय मुझे चुप होना पड़ा कि मीडिया व्यवसाय करती हैं लोग क्या पढना चाहते हैं और क्या देखना चाहते हैं इससे समझा जा सकता हैं टीआरपी का खेल यही हैं।सारे क्षेत्रो में नैतिक पतन हुआ हैं तो यह क्षेत्र कैसे अछुता रह जायेगा।इसी समाज में पले बढे लोग इस प्रोफेसन में हैं तो उनसे बेहतरी की बात सोचना ही बेमानी हैं।इस तर्क के बाद में चुप हो गया लेकिन मैंने इतनी बात जरुर कहा जहा तक सम्भव हो सच्चाई को सामने लाने के लिए सिस्तम से लड़ना चाहिए कोई और नही तो ब्लांग पर ही लिखेगे।ब्लांग पर फोटो लगाने के काऱण अगर किन्ही को हर्ट पहुचा हैं तो उसके लिए मुझे क्षमा कर देगे।------

निरुपमा मामले में आप सबो की मुहिम रंग लाने लगा हैं।प्रियभाशु पर सिंकजा कसने लगा हैं औऱ कोडरमा एसपी इस मामले में नये सिरे से अनुसंधान प्रारम्भ कर दिया हैं।निरुपमा मामले में जारी खोज के तहत कल निरुपमा के घर के आस पास के लोगो से बात करने का प्रयास किया, जहां नये लोगो को देखते ही मुहल्ले वाले अपने घर के खिड़की और दरवाजे बंद करने लगते हैं। निरुपमा के घर जाने वाली गली का नामाकरण हत्यारिण माँ गली कर दी गयी हैं। लेकिन जैसे जैसे मुहल्ले वाले खुलते गये लगा यह मामला तो पूरी तौर पर ओपेन हैं। और इसको लेकर इतने कयास क्यो लगाये जा रहे हैं। मुहल्ले वासी को दुख हैं तो मीडिया की भूमिका को लेकर जिन्होने निरुपमा के परिवार को दोहरी मार दी हैं।बातचीत शुरु हुई तो सबसे पहले निरुपमा के सबसे नजदीक के पड़ोसी 75वर्षीय काली महतो अपनी बात रखने लगे इन्होने बताया हैं कि निरुपमा से उनकी भेट 29तारीख के सुबह 8बजे हुई थी। मैने अपने बगान से खीरा तोड़ कर निरुपमा को दिया था। उस वक्त निरुपमा थोड़ी उदास जरुर दिखी मैंने पुछा भी सब कुछ ठिक ठाक हैं न।थोड़ी देर बाद उसकी माँ के चिल्लाने की आवाज आई मेरे घर से और आसपास के घर से लोग दौंड़ कर गये तो लोग देख रहे हैं कि निरुपमा पंखे से लटकी हैं और उसकी माँ उसे उतारने का प्रयास कर रही हैं।वही उसकी माँ चिल्ला चिल्ला कर केरंट लगने की बात कर रही थी। तो हल्ला सुनकर मुहल्ले के कई नवयुवक भी पहुंच गये ।और आनन फानन में पड़ोसी के गांड़ी से पास ही स्थित पार्वति निर्सिग होम में ले जाया गया जहां डां0ने देखने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।फिर वही लोगो जो निरुपमा को निर्सिग होम ले गये थे उसकी लाश लेकर वापस मुहल्ले में आ गये।उसके बाद निरुपमा की माँ के मोबाईल से उसके एक दूर के रिश्तेदार जो कोडरमा में ही रहते हैं उनको फोन किया गया उनके आने के बाद वे निरुपमा के पिता,भाई मामा और चाचा को फोन किये।कुछ ही मिनटो में यह खबर आसपास के मुहल्लो में भी फैल गयी और लोगो के आने जाने का सिलसिल जारी हो गया।

इसी दौरान पुलिस भी आयी और लाश देखकर चली गयी, यह कहते हुए की निरुपमा के पापा लोग आये तो पुलिस को सूचना दे देगे।लेकिन दोपहर होते होते दिल्ली से जो खेल शुरु हुआ उसके सोर में यह सच कही गुम हो गयी और देखते देखते पूरा माजरा ही बदल गया।जन्मदायी मां हत्यारिन माँ हो गयी।पूरी घटना के बारे में निरुपमा के पड़ोसी प्रवीण सिन्हा उनकी पत्नी,नरायण सिंह और कामेश्वर यादव ने यहा तक कहा कि पुलिस घटना स्थल पर आये तब न सच क्या हैं लोग बतायेगे।

इस पूरे प्रकरण की सूचना एसपी को दी गयी, और दोपहर बाद एसपी खुद मामले की जांच करने निरुपमा के घर पहुंचे।इस सच से रुबरु होने के बाद लगता हैं एसपी के विचार में भी बदलाव आया हैं।वही दूसरी और कोडरमा पुलिस को निरुपमा के मोबाईल का प्रिन्टआउट मिल गया हैं।सबसे चौकाने वाली बात यह हैं कि निरुपमा की 22अप्रैल से 28अप्रैल के बीच प्रियभाशु से एक बार भी बात नही हुई हैं। जबकि इस दौरान निरुपमा दिल्ली के अपने कई मित्रो से बात की हैं।28तारीख को शाम चार बजे निरुपमा और प्रियभाशु के बीच लगभग 15 मिनट बात हुई और उसके बात निरुपमा का मोबाईल स्वीच आंफ हो गया हैं।

ऐसा इसलिए लगता हैं कि उसके बाद कोई कांल निरुपमा के मोबाईल पर नही आया हैं और ना ही किया गया हैं।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर कौन सी बजह थी जो निरुपमा और उसके तथाकथित प्रेमी के बीच एक सप्ताह तक बातचीत नही हुई और जब बातचीत होती हैं तो उसके बाद उसका मोबाईल स्वीच आंफ हो जाता हैं और सुबह उसके हत्या होने की बात सामने आती हैं।

प्रियभाशु भले ही मीडिया के सामने यह कह रहा हैं कि न्याय के लिए कही भी जाने को तैयार हैं लेकिन एक सप्ताह तक दोनो के बीच बातचीत नही होने को लेकर पुछे गये सवालो का वे जबाव नही दे पा रहा हैं।

हलाकि पुलिस को निरुपमा के हत्या के मुकदमो को आत्महत्या में बदलने को लेकर कई कानूनी अरचने हैं।वही इस मामले में दोषी को सजा दिलना तो और भी मुश्किल हैं।लेकिन मामले के पूरी तौर पर सामने आने से हत्यारिन माँ की कंलक झेल रही निरुपमा की माँ को थोड़ी राहत जरुर मिल सकती हैं।

लेकिन इस स्थिति के लिए उन्हे माफ नही किया जा सकता क्यो कि निरुपमा के इस स्थिति से उबारने में एक माँ के रुप में वे विफल रही हैं।खैर इस मामले को औऱ इमोशनल बनाने की जरुरत नही हैं।लेकिन देर से ही सही अब मीडिया का रुख भी बदलने लगा हैं।

----संतोष कुमार सिंह----

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