टाटा इंडिकाम(प्रीपेड) की नोडल आफ़िसर शगुना शेट्टी की नजर में ग्राहक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं है - 8

हम सबने ये निर्णय करा कि इस मामले को आम आदमी की अदालत में लाया जाए ताकि इनका कपट खुल सके कि ये लुटेरे किस तरह जनता को लूट रहे हैं। दूसरी बात कि यदि ये नीति टाटा की न होकर इन अधिकारियों की निजी दुष्टता है तो ये बात टाटा के उच्चाधिकारियों के सामने लाया जाए ताकि अपनी मनमानी करके टाटा का सत्यानाश न कर दें। यदि डीलर ने कह दिया कि उसने गलती से रिचार्ज कर दिया था तो ये धूर्त उसे वापिस करने से पहले ग्राहक के बारे में भी हजार बार सोचें और पैसा वापिस करने से पहले बेचारे गरीब उपभोक्ता से भी एक बार पूछ लें किन्तु ये ऐसा करने की जरूरत तक महसूस नहीं करते बस डीलर ने चाहा तो पैसा आपके एकाउंट से गायब हो जाएगा अब आप बैठिये अपना सिर धुनते ग्राहक सहायता केन्द्र के महाढीठ लोगों से बात करते जो ग्राहक की बात न तो सुनते हैं न ही मानते हैं उल्टा कागजात गलत होने की बात कह कर फोन बंद होने की धमकी भी देते हैं फिर इसके बाद लापता किस्म के शगुना शेट्टी जैसे अधिकारी और इनके कार्यालय के नूरेनज़र चंदन जैसे लोग जो ग्राहक को हजार तरीकों से झूठ बोल कर ये मनवाने का जतन करते हैं कि ग्राहक की ही गलती है जो कि उसने अपने नुकसान की बात उठाई क्योंकि अंत तक इन्हें गरीब ग्राहक की बात नहीं माननी है ये यही गाना गाएंगे कि डीलर ने गलती से रिचार्ज कर दिया था इसलिये वापिस ले लिया गया।
जय जय भड़ास

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