दोहे और उक्तियाँ !!




पुन्य प्रीति पति प्रस्मतिउ। परमारथ पथ पांच। 

लहहि सुजन परिहरहि खल, सुनहु सिखावन सांच।।


(गोस्वामी तुलसीदास)

~~~~~

No comments:

Post a Comment