वैसे तो ग्राहक पटाने के लिये हर नेटवर्क वाला चाहे टाटा हो या रिलायन्स अपना इतना विग्यापन करेंगे कि उनसे बेहतर सेवा कोई पूरी दुनिया में नहीं दे सकता है साथ ही ये भी दिखाते चलते हैं कि हमारी कर्मचारी हमेशा ग्राहक के आगे नतमस्तक रहते हैं। बात मुंबई के टाटा इंडिकाम के नोडल आफ़िसर की बता रहा हूं लेकिन उसके पहले क्या हुआ ये बताना जरूरी है कि भड़ासी इन महाभागा का जिक्र क्यों कर रहे है। हुआ यूं कि हमारे भाईसाहब डा.रूपेश श्रीवास्तव जी ने सतरह अप्रेल को अपने मोबाइल में दो बार सौ-सौ रुपये का ई-रिचार्ज कराया जिसका कि तत्काल कन्फ़र्मेशन एस.एम.एस. भाई के मोबाइल पर आ गया लेकिन अचानक उन्नीस अप्रेल को भाई के मोबाइल पर एक एस.एम.एस. टाटा की तरफ़ से उसी तरीके से आता है लेकिन कहानी बिल्कुल उलटी थी इस संदेश में बताया गया के आपके एकाउंट से सौ रुपये का बैलेंस वापिस लिया जा रहा है। जैसे कि हमेशा होता है कि कई घंटों के पकाऊ कम्प्युटराइज्ड संदेशों के बाद सौभाग्य से ग्राहक सेवा केन्द्र से बात हो पाती है। एक लड़की का स्वर आने पर भाई ने अपनी बात रखी तो देखिये कि टाटा के ग्राहक सहायता केन्द्र में बैठे लोग क्या सहायता करते हैं, वो छोकरी भाई को बताती है कि आपका पता गलत है पहले तो आप जाकर अपने कागजातों की जेराक्स प्रति पनवेल से बीस किलोमीटर स्थित टाटा के केन्द्र (सानपाड़ा) में जाकर जमा कराइये वरना आपका फोन बंद कर दिया जाएगा। आप सब जान लीजिये कि भाई टाटा के इस नंबर से पिछले पांच साल से जुड़े हैं लेकिन समस्या सुनते ही उस छोकरी ने पहले तो भाई को धंधे पर लगाने की जुगत लगाई कि आपका पता ही गलत है तो आप सानपाड़ा जाकर कागजात जमा करो वरना फोन बंद कर देंगे।
जय जय भड़ास
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