बियाह के नियम - रवा कतना जानत बानी......?

बियाह के नियम - रवा कतना जानत बानी......? भोजपुरी क्षेत्र में लगन-बियाह के बड़ा महत्व हो ला ,आजकल लगन चरचारायील बा.लोग देस-परदेस से एह घरी आपन -आपन घरे दुआरे आ रहल बा लोग .बिआह होता ,आगहूँ होईबे करी....... । लोग बिआह त कर रहल बाडन, आ कतना लोगन के हो रहल बा ....लेकिन हम जानल चाहत बानी की बिआह जब होला त कुछ रीती -रिवाज़ होला ,ई सब के अर्थ का सभे कोई जानत बा॥ .......... फ़िर भी हम बता देत बानी ... की भोजपुरी क्षेत्र में बिआह जब होला तब कैसे होला-----कन्या -दुलहा (दुलहा-दुल्हिन)सबसे पहीले माडो में बैठे ला लोग, जहाँ ई लोग बैठे ला लोग ओहिजा ज़मीं पर जौ बिछावल जाला, की ई कच्छप नारायण हवन , तवाना के ऊपर घडा में पानी भर के रखा ला की उ क्षीर सागर हवन ,क्षीर सागर में विष्णु भगवान रहे लन एह से ओकरा में कसैली डाला ला ,आ... विष्णु भगवान के साथै त लक्ष्मी जी रहेनी ,एह से ओकरा में पैसा डाला ला... । विष्णु भगवन के नाभि से कमल के फूल निकलल बा एह से ओकरा में आम के पल्लो डाला ला । तवाना के ऊपर चार मुहँ वाला दिया धारा ला की ऊ ब्रह्मा जी हवें । त कहे के मतलब ई बा की जवान बिआह होला ओकरा में इतना भगवान लोग साक्षी रहे ला ,तब जा के बिआह होला .लेकिन बहुत ही कम लोग एह सब के अर्थ जाने ला । त ... हम आपन भोजपुरियन लोगन से जानल चाहत बानी की कातना लोग हमनी के ई परम्परा से परिचित बा । जय भोजपुरी ,जय भारत ..... साभार ---भोजपुरिचौपल.ब्लागस्पाट.कॉम

3 comments:

मुनेन्द्र सोनी said...

जो कछू लिक्खौ है जनाई तौ पर रऔ कि सादी बगैरे के बारे में है पर भासा तो एकदम्म ई बिलग है सो जादा कछू अंदर गऔ नई आं.... अगरी बेरा ऐसी भासा लिखियो कि हमऊं औरे समज बूज सकैं....
कऔ पंचन कैसी कई?
जय जय भड़ास

अजय मोहन said...

भाषा भले समझ में न आयी हो पर भाव समझ में तो आ ही गया है लेकिन फिर भी अच्छा हो कि खड़ी बोली में लिखें तो अधिक लोग समझ सकेंगें
जय जय भड़ास

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाईसाहब भोजपुरी चौपाल वाले ब्लाग को हाईपर लिंक लगा देते तो लोगों को वहां पहुंचने में आसानी होती और ज्यादा से ज्यादा लोग भोजपुरी का आनंद ले सकते हैं। यदि किसी भी वेबसाइट या ब्लाग आदि के बारे में लिखें तो उसे लिंक कर देना मेरे ख्याल से सही रहेगा...
जय जय भड़ास

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