डॉ रुपेश जी और सभी भडासियो आप सबो को मेरा नमस्कार। बहुत दिनों से ब्लॉग का पाठक हूँ और ढेर सारी हिन्दी और अंग्रेजी के पत्रिकाओं को चाटते रहने की भी आदत है। जन्म हिंदू परिवार मे हुआ है, इस सच्चाई को तो बदल नही सकता इसलिए हिंदुत्व के साथ लगाव भी है। बचपन से लेकर जबतक इतिहास और नागरिक शास्त्र की किताबें पढ़ी (दसवे वर्ग तक) तब तक यही बताया गया कि हमारा देश गणतंत्र है और ये धर्मनिरपेक्ष भी है। बाद मे संविधान के बारे मे भी जानकारी मिली। वह भी बताया गया की भारत धर्मनिरपेक्ष है। गुरुजन व बहुत सारे बुद्धिजीवियों से भी गूढ़ ज्ञान मिला कि हमारे देश का कोई राष्ट्रीय धर्म नही है।
बहुत खुशी हुई इस बात से की कोई तो चीज है जो निरपेक्ष है। और मुझे विज्ञान के किताबों मे पढ़े गए 'सापेक्षता के सिद्धांत' पर भी संदेह होने लगा। आइन्सटीन तो गलती कर सकते है पर संविधान मे ग़लत तो नही लिखा हो सकता है। बहुत अच्छे साहब पर तभी किसी ने बताया कि अरे भाई क्या तुम्हे पता भी है कि सरकार हज जाने वालों को अनुदान देती है! फिर हज जाते कौन है? जवाब मिला 'मुसलमान' हिंदू तो अमरनाथ यात्रा पर जाते है और उनको वह किराये पर जमीं तक नही दी जाती है। फिर किसी सज्जन ने बताया कि गुजरात मे बहुत बड़ा दंगा हुआ जिसमे मुसलमानों को मारा और जलाया गया। मैंने पूछ कि ये हुआ क्यों तो बड़ी झिझकते हुए बताया कि गोधरा मे हिन्दुओं से भरी ट्रेन को जला दिया गया था और इसी के प्रतिक्रिया मे यह सब कुछ हुआ। और तब से लेकर आज तक गोधरा कांड की जब भी बातें सुनी तब केवल मुसलमानों को जलने का जिक्र हुआ। ट्रेन मे जलने वालें हिन्दुओं को जिक्र के काबिल तक नही समझा गया।
धनञ्जय चटर्जी को आनन फानन मे फँसी पर लटका दिया गया पर अफजल गुरु भारत सरकार का दामाद बना बैठा है। विमान अपहरण कांड के दौरान आतंकियों को छोड़ने की घटना तो सबको याद है पर सईदा कांड की बात कही नही की जाती। मदरसे और इमामगाहो मे बैठकर इस्लाम के नाम पर गर्दन काटने के फतवे जारी किए जाते है पर अगर किसी ने सरस्वती के नग्न पेंटिंग पर आपति कर दिया तो वो सांप्रदायिक हो जाता है। भारत मे आतंकवादियों मे अक्सर मुसलिम ही शामिल रहते पाए गए है (भले ही इसे संयोग कहे) पर मुस्लिम आतंकवाद का प्रयोग करने मे सबको शर्म आती है और एक बार साध्वी का नाम आतंकियों मे आया नही कि सारे जगह बस हिंदू आतंकवाद की ही चर्चा होने लगी।
आरएसएस और भाजपा सांप्रदायिक है क्यूंकि वे हिंदू धर्म की बात करते है पर ना तो कांग्रेस ना ही वामपंथी सांप्रदायिक है जो कि मुसलमानों का तलवा चटाने को ही राजनीति मानते है। बंगलादेशी मुसलमानों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री तक लगे हुए है पर पाकिस्तान के जेलों मे बंद हिन्दुओ की परवाह किसी को नही है।
बहुत माथापच्ची कर ली भइया पर धर्मनिरेपेक्षता का अर्थ नही समझ सका। आपलोग तो अब पानी पी पी के हमें भी गरियायेंगे कि लो आ गया एक और भगवा कुत्ता भौकने के लिए। पर सच कह रहे है हम तो नासमझ है, बस समझना चाह रहे है। भाई कोई हमें समझा दो कि क्या है धर्मनिरेपेक्षता, क्या है राष्ट्रवाद और किसे कहते है सांप्रदायिक? आप एक बार हमे समझा दो फिर वादा करते है हम भी धर्मनिरपेक्ष हो जायेंगे, पक्का वादा।
बहुत खुशी हुई इस बात से की कोई तो चीज है जो निरपेक्ष है। और मुझे विज्ञान के किताबों मे पढ़े गए 'सापेक्षता के सिद्धांत' पर भी संदेह होने लगा। आइन्सटीन तो गलती कर सकते है पर संविधान मे ग़लत तो नही लिखा हो सकता है। बहुत अच्छे साहब पर तभी किसी ने बताया कि अरे भाई क्या तुम्हे पता भी है कि सरकार हज जाने वालों को अनुदान देती है! फिर हज जाते कौन है? जवाब मिला 'मुसलमान' हिंदू तो अमरनाथ यात्रा पर जाते है और उनको वह किराये पर जमीं तक नही दी जाती है। फिर किसी सज्जन ने बताया कि गुजरात मे बहुत बड़ा दंगा हुआ जिसमे मुसलमानों को मारा और जलाया गया। मैंने पूछ कि ये हुआ क्यों तो बड़ी झिझकते हुए बताया कि गोधरा मे हिन्दुओं से भरी ट्रेन को जला दिया गया था और इसी के प्रतिक्रिया मे यह सब कुछ हुआ। और तब से लेकर आज तक गोधरा कांड की जब भी बातें सुनी तब केवल मुसलमानों को जलने का जिक्र हुआ। ट्रेन मे जलने वालें हिन्दुओं को जिक्र के काबिल तक नही समझा गया।
धनञ्जय चटर्जी को आनन फानन मे फँसी पर लटका दिया गया पर अफजल गुरु भारत सरकार का दामाद बना बैठा है। विमान अपहरण कांड के दौरान आतंकियों को छोड़ने की घटना तो सबको याद है पर सईदा कांड की बात कही नही की जाती। मदरसे और इमामगाहो मे बैठकर इस्लाम के नाम पर गर्दन काटने के फतवे जारी किए जाते है पर अगर किसी ने सरस्वती के नग्न पेंटिंग पर आपति कर दिया तो वो सांप्रदायिक हो जाता है। भारत मे आतंकवादियों मे अक्सर मुसलिम ही शामिल रहते पाए गए है (भले ही इसे संयोग कहे) पर मुस्लिम आतंकवाद का प्रयोग करने मे सबको शर्म आती है और एक बार साध्वी का नाम आतंकियों मे आया नही कि सारे जगह बस हिंदू आतंकवाद की ही चर्चा होने लगी।
आरएसएस और भाजपा सांप्रदायिक है क्यूंकि वे हिंदू धर्म की बात करते है पर ना तो कांग्रेस ना ही वामपंथी सांप्रदायिक है जो कि मुसलमानों का तलवा चटाने को ही राजनीति मानते है। बंगलादेशी मुसलमानों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री तक लगे हुए है पर पाकिस्तान के जेलों मे बंद हिन्दुओ की परवाह किसी को नही है।
बहुत माथापच्ची कर ली भइया पर धर्मनिरेपेक्षता का अर्थ नही समझ सका। आपलोग तो अब पानी पी पी के हमें भी गरियायेंगे कि लो आ गया एक और भगवा कुत्ता भौकने के लिए। पर सच कह रहे है हम तो नासमझ है, बस समझना चाह रहे है। भाई कोई हमें समझा दो कि क्या है धर्मनिरेपेक्षता, क्या है राष्ट्रवाद और किसे कहते है सांप्रदायिक? आप एक बार हमे समझा दो फिर वादा करते है हम भी धर्मनिरपेक्ष हो जायेंगे, पक्का वादा।
3 comments:
अभिषेक भाईसाहब कुत्ते भगवा रंग के होते हैं क्या? होते होंगे तो मैने नहीं देखे। बहुत स्पष्ट शब्दों में कहूंगी कि धर्म का अभिप्राय क्या है-हिंदुत्त्व,इस्लाम या ईसाइयत?ये तो पंथ या संप्रदाय मात्र हैं। इन्हें धर्म मान लेना ही सारे विवाद का कारण है। जैसे धरती का धर्म है धारण करना,अग्नि का धर्म है प्रज्ज्वलन करना वैसे ही राष्ट्रीय धर्म है सर्वांगीण तथा सांगोपांग राष्ट्रीय उत्थान। धर्म शब्द अत्यंत सुंदर है पर गलत हाथों में पड़ गया है जिस कारण इसका अर्थ का अनर्थ हो गया है। जिस दिन जस्टिस आनंद सिंह की लड़ाई निर्णायक स्थिति में आ जाएग आप जैसे सारे भाई-बहनों की समस्या का हल मिल जाएगा, राष्ट्रवाद कोई विवाद नहीं है जो कि अनेक मतों से अलग-अलग हो। जिस दिन आप भारतीय हो कर सोचने लगेंगे और हिंदू-मुस्लिम-पारसी-ईसाई-जैन-बौद्ध आदि के दायरे से बाहर आ कर भड़ास के मूल दर्शन को समझ गये उसी पल आप इस सत्यं-शिवं-सुंदरम की निरपेक्षता को समझ लेंगे लेकिन मन तो पूर्वाग्रहों से मुक्त होना ही नहीं चाहता जो कि हमारे ऊपर थोप दिये गये हैं पीढ़ियों से......
जय जय भड़ास
सिर्फ़ एक दवाई उपलब्ध है मेरे भाई आप के लिए ,
आप प्यार का चश्मा खरीद लो ,
फ़िर उस को फिर पहन लो ,
जब आप उस से इस दुनिया को देखो गे
आप की सारी सोच अपने आप बदल जायगी /
अभी बाजार मे प्यार का टोनिक नही आया है ,
वरना मै झोलाछाप डॉ आप को वो ही prescription मे लिखता amitjain
abhishek ji, aap ki baat se anand aa gayam ghabrane ki baae nahin hai. lage rahiye. Alochanaon se Narender Modi bhi nahin darey they aur aaj no.1 hein. Aur dunia unka loha manti hai. Aap bhi bharas par position bananey mein lage hain.
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