मूल पोस्ट के लिए यहाँ चटका लगाये... मुझे सांप्रदायिक होने से बचाओ...
- अमित जैन (जोक्पीडिया ),
सिर्फ़ एक दवाई उपलब्ध है मेरे भाई आप के लिए ,
आप प्यार का चश्मा खरीद लो ,
फ़िर उस को फिर पहन लो ,
जब आप उस से इस दुनिया को देखो गे
आप की सारी सोच अपने आप बदल जायगी /
अभी बाजार मे प्यार का टोनिक नही आया है ,
वरना मै झोलाछाप डॉ आप को वो ही prescription मे लिखता
मनीषा दी मै भी तो यही जानना चाहता हूँ कि समस्या कहा है. वैसे मै आपको बता दूँ कि निरपेक्षता तो संभव ही नहीं है. यह खुद में भ्रामक शब्द है जिसके सहारे हम अपनी कमजोरी छुपाते है. और भारतीय होने की शर्त क्या है? इसकी कसौटी क्या है? हिन्दू और हिन्दुत्व को गाली देना? मै तो धर्म से ऊपर उठना चाहता हूँ, लेकिन ये शर्त मेरे लिए ही क्यूँ? और भड़ास का मूल दर्शन क्या है? किसी प्रश्न को बस भावनावो के सहारे टाल देना? मनीषा दी मैंने कुछ प्रश्न भी उठाये थे. अच्छा होता कि आप उन प्रश्नों को तर्क के आधार पर काटती.
और मनीष भाई ये प्यार का चश्मा मिलता कहा है, जरा हमे भी बताना. आपने सही कहा कि आप झोलाछाप डॉ हो वरना आपको पता होता कि डॉ भावनावो के आधार पर नहीं, निश्चित प्रक्रिया से जाच और तर्क के आधार पर प्रेस्क्रिप्शन लिखते है.
मनीषा दी और सभ भडासी भाई मुझे कोई एतराज़ नहीं है अगर आप मेरी बातों को तर्क और प्रमाण से काटे, पर कोरी भावुकता और अंध समर्थक होकर बात करने से आप किसी को अपनी बात नहीं समझा पाएंगे. और डॉ साहब आपसे गुजारिश है कि भड़ास का लोकतान्त्रिक स्वरुप बनाये रखे.
जय जय भड़ास