चलिये भड़ासी साथियों हमने पाखंडियों और मुखौटाधारी हिंदी के ब्लागरों के मुखौटे नोच कर उन्हें सबके सामने असली रूप में लाने की मुहिम छेड़ी थी उसमें एक और चरण नया आ गया है। यशवंत सिंह नामके एक अति चिरकुट लोभी वणिक ने अपनी अक्ल(जितनी है उतनी ही सही) लगा कर "आयुषवेद" नाम से एक ब्लाग बनाया है और हमें तकनीकी टक्कर देने के लिये बेवकूफ़ अपने रोटी के साधन हरामी किस्म के लालाओं और मीडिया माफ़िया जनों की तोलू वेबसाइट भड़ास4मीडिया के काम छोड़ कर डा.रूपेश श्रीवास्तव पर हमला कर रहा है। इस मूरख को ये नहीं पता कि अगर तेल लगाने का काम इसने बंद कर दिया तो वाकई दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा चलाएगा। इस हत्बुद्धि ने आयुषवेद ब्लाग का यू.आर.एल. में एक और a लगा कर सोचा कि बहुत बड़ा तकनीकी किला जीत लिया है गधे ने रेंक कर अक्ल चलाई भी तो कितनी aaayushved तक बस......, इससे ज्यादा तो है ही नहीं दारू ने अक्ल खा ली है लेकिन इस कमीने की हरकतों की वजह से अकारण इसका परिवार परेशान होता है इस बात का अफ़सोस है।
लीजिए आप सब देखिये इन चित्रों में कि कैसे भड़ासियो को इसने पहले बेनामी कमेंट करके डराया कि अब ये डा.रूपेश पर हमला करेगा, कैसे इस गटर के कीड़े ने डा.रूपेश के बड़े भाईसाहब जैसे सज्जन व्यक्ति के बारे में कमीनेपन की बातें लिखा है जबकि उनका इन सब बातों से कोई सरोकार नहीं है। ये हलकट सोचता है कि परिवार पर हमला करेगा तो डा.रूपेश और भाई रजनीश इसके द्वारा भड़ास की हत्या के पाप से इसे मुक्त कर देंगे। इसने भड़ास की हत्या का अक्षम्य अपराध करा है भड़ास को मार कर उसकी लाश पर भड़ासियों की संवेदनाओं की दुकान सजायी है। ये धूर्त और मक्कार शायद भाई मनीषराज के चुप रहने को उनकी कमजोरी समझ रहा है जिस दिन उन्होंने इसकी फ़ाड़ना शुरू करा तो दिल्ली क्या पूरे भारत में कोई मोची न सिल पाएगा।
दुर्बुद्धि! हमारी भड़ास4मीडिया वेबसाइट तैयार है जो हम भड़ासियों की तकनीकी योग्यता का कमाल है लेकिन हम इसे तब तक तेरी फाड़ने के लिये प्रयोग नही करेंगे जब तक तू अपने गटर में सुअर की तरह गू खाता रहता है जैसे ही तूने ज्यादा इधर-उधर हगा तो बेटा डंडा तैयार है तेरे पिछवाडे डालने के लिये ये ध्यान रखना। अरे धूर्त, मक्कार, संवेदनाओं के विक्रेता बनिए ! हम भड़ासी हैं बेटा ये बात तू भूल गया है तेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गये है लेकिन हम तो भड़ास जीते हैं। हम तेरी तरह बेनामी नहीं है हमारा नाम है और हम उसे खुल कर बताते हैं तेरी तरह से हमारी फटती नहीं है सियार।
जय जय भड़ास
लीजिए आप सब देखिये इन चित्रों में कि कैसे भड़ासियो को इसने पहले बेनामी कमेंट करके डराया कि अब ये डा.रूपेश पर हमला करेगा, कैसे इस गटर के कीड़े ने डा.रूपेश के बड़े भाईसाहब जैसे सज्जन व्यक्ति के बारे में कमीनेपन की बातें लिखा है जबकि उनका इन सब बातों से कोई सरोकार नहीं है। ये हलकट सोचता है कि परिवार पर हमला करेगा तो डा.रूपेश और भाई रजनीश इसके द्वारा भड़ास की हत्या के पाप से इसे मुक्त कर देंगे। इसने भड़ास की हत्या का अक्षम्य अपराध करा है भड़ास को मार कर उसकी लाश पर भड़ासियों की संवेदनाओं की दुकान सजायी है। ये धूर्त और मक्कार शायद भाई मनीषराज के चुप रहने को उनकी कमजोरी समझ रहा है जिस दिन उन्होंने इसकी फ़ाड़ना शुरू करा तो दिल्ली क्या पूरे भारत में कोई मोची न सिल पाएगा।
दुर्बुद्धि! हमारी भड़ास4मीडिया वेबसाइट तैयार है जो हम भड़ासियों की तकनीकी योग्यता का कमाल है लेकिन हम इसे तब तक तेरी फाड़ने के लिये प्रयोग नही करेंगे जब तक तू अपने गटर में सुअर की तरह गू खाता रहता है जैसे ही तूने ज्यादा इधर-उधर हगा तो बेटा डंडा तैयार है तेरे पिछवाडे डालने के लिये ये ध्यान रखना। अरे धूर्त, मक्कार, संवेदनाओं के विक्रेता बनिए ! हम भड़ासी हैं बेटा ये बात तू भूल गया है तेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गये है लेकिन हम तो भड़ास जीते हैं। हम तेरी तरह बेनामी नहीं है हमारा नाम है और हम उसे खुल कर बताते हैं तेरी तरह से हमारी फटती नहीं है सियार।
जय जय भड़ास
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