भड़ासियों को याद है कि भड़ास हिंदी का ब्लाग है जो देसज और ग्रामीण सोच के साथ चलने के लिये कटिबद्ध रहा है। हममें से अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्रों से आए हैं भले ही कुछ समय पहले या कुछ पीढ़ियों पहले लेकिन अब तक हमारे ऊपर महानगरीय सभ्यता(?) का प्रभाव पड़ा नहीं है हम अभी भी पड़ोसी के दुःख में रो लेते हैं, ठोकर खा कर गिरे बूढ़े दादाजी को उठाने के चक्कर में हमारी बस या लोकल ट्रेन आज भी छूट जाती है जिसका हमें अफ़सोस तो होता है लेकिन मन में शान्ति होती है किसी जरूरतमंद की मदद कर पाने की; हम भड़ासियों का यही जज़्बा हमें आज भी हमारी मिट्टी से जोड़े है।
लेकिन जब हम संवेदनाएं बेचना शुरू करते हैं तो फिर ये नहीं देखते कि क्या आदर्श हैं या क्या सिद्धांत हैं, थूक कर चाटना सही है या नहीं.....? हम तो बस बेंचते हैं हर वो बात जो बिक रही है, चाहे राष्ट्रप्रेम हो या सेक्स या फिर अंग्रेजियत का वो जामा जो हमें हमारे गंवई और "देसी" होने का एहसास दिलाता है वही हो रहा है आज दुनिया के सबसे बड़े हिंदी के ब्लाग होने का झूठा, खोखला और पोकल दावा करने वाली पंखों वाली भड़ास पर। वहां पौने दो सौ पंखे हैं , तानाशाही है जो तोलूगिरी करेगा वही टिकेगा वरना सदस्यता समाप्त...., दुनिया का सबसे बड़ा है लेकिन फिर भी "blog" शब्द को चिपका कर अपने वर्णसंकर होने का एलान कर रहा है कि अबसे ये सिर्फ़ हिंदी की बात नहीं करेगा न ही देवनागरी की अब यहां अंग्रेजी भी पेली जाएगी। इसी का प्रमाण है ये पोस्ट जो कि बता रही है कि अब वहां गंवार हिंदी बोलने वालों और हिंदी में विचारों की अभिव्यक्ति करने वालों को अंग्रेजी की ट्यूशन पढ़ायी जाएगी ताकि लेखकों की वैचरिक "जीन्स" में हेराफ़ेरी करके उनके स्वाभिमान में लिजलिजापन लाया जा सके। आपको एहसास कराया जाएगा कि जो अंग्रेजी जानता है वही चलता है वही श्रेष्ठ है बाकी सब तो पिछड़े और जाहिल हैं।
जय जय भड़ास
लेकिन जब हम संवेदनाएं बेचना शुरू करते हैं तो फिर ये नहीं देखते कि क्या आदर्श हैं या क्या सिद्धांत हैं, थूक कर चाटना सही है या नहीं.....? हम तो बस बेंचते हैं हर वो बात जो बिक रही है, चाहे राष्ट्रप्रेम हो या सेक्स या फिर अंग्रेजियत का वो जामा जो हमें हमारे गंवई और "देसी" होने का एहसास दिलाता है वही हो रहा है आज दुनिया के सबसे बड़े हिंदी के ब्लाग होने का झूठा, खोखला और पोकल दावा करने वाली पंखों वाली भड़ास पर। वहां पौने दो सौ पंखे हैं , तानाशाही है जो तोलूगिरी करेगा वही टिकेगा वरना सदस्यता समाप्त...., दुनिया का सबसे बड़ा है लेकिन फिर भी "blog" शब्द को चिपका कर अपने वर्णसंकर होने का एलान कर रहा है कि अबसे ये सिर्फ़ हिंदी की बात नहीं करेगा न ही देवनागरी की अब यहां अंग्रेजी भी पेली जाएगी। इसी का प्रमाण है ये पोस्ट जो कि बता रही है कि अब वहां गंवार हिंदी बोलने वालों और हिंदी में विचारों की अभिव्यक्ति करने वालों को अंग्रेजी की ट्यूशन पढ़ायी जाएगी ताकि लेखकों की वैचरिक "जीन्स" में हेराफ़ेरी करके उनके स्वाभिमान में लिजलिजापन लाया जा सके। आपको एहसास कराया जाएगा कि जो अंग्रेजी जानता है वही चलता है वही श्रेष्ठ है बाकी सब तो पिछड़े और जाहिल हैं।
जय जय भड़ास
2 comments:
GURUJI kas kar li hai apne.. hindi ki khate hain aur angreji me latrin jate hai..shayad waha bhi kagaz se hi kam chalate hain..
क्या भड़ास blog इस कलम की मार को सह पायेगा ?
नहीं
बेचारा टूट टूट कर टुकड़े टुकड़े हो जायगा /
बहुत बढ़िया तरीका है उन को उन की तस्वीर दिखाने का
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