मार्कण्डेय भाई समस्याएं कुछ अलग ही हैं.....

आज मार्कण्डेय भाई का प्रोफ़ाइल देखा तो पता चला कि वे पंखों वाली भड़ास के भी सदस्य हैं तो वहां उनकी लिखी एक पोस्ट पढ़ डाली और उसका एक अंश भी भड़ासियों के लिये डाका मार लायी। भाईसाहब ने लिखा है कि सरकार पर कमेंट करना मूर्खता है तो बस इतना कहने का साहस है कि सरकार कोई एक आदमी नहीं है इसे तो हम आप जैसे लोग बाकायदा लोकतांत्रिक तरीके से वोट देकर बनाते हैं और अगर हम ही जाति-धर्म-भाषा-लिंग-क्षेत्र जैसे मुद्दों के कारण वोट देते हैं तो ये हमारे प्रतिनिधि के चयन में गलती है। यदि आप मौजूदा सरकार की बात कर रहे हैं तो बस इतना ही कहूंगी कि साठ सालों में किस पार्टी ने शासन में आकर समस्याएं सुलझाई हैं? यदि जाति-धर्म-भाषा-लिंग-क्षेत्र के बकवास मुद्दे समाप्त हो गये तो देश समेकित प्रगति करने लगेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह "कोडीआइड ला" के अंतर्गत कहा है लेकिन उसका पालन कौन करवाएगा यह तो साठ सालों से समस्या बनी है इसी लड़ाई को तो हमारे जस्टिस आनंद सिंह पिछले पंद्रह सालों से तकलीफ़ें उठाते हुए भी जारी रखे हैं। नागरिकता का कोई प्रमाण पत्र तो मुझ जैसे लैंगिक विकलांग(हिजड़ॊ) के पास भी नहीं है चाहे वह राशन कार्ड हो या पासपोर्ट...............................
देश की मूल समस्याएं कुछ अलग हैं जिनकी तरह कुछ कमीने किस्म के कुटिल राजनेता जनता का ध्यान ही नहीं जाने देते ताकि हम बेकार के मुद्दों में उलझे रहें
भाई मार्कण्डेय ने लिखा है......
हमारी सरकार ........ उसपर तो कमेन्ट करना मुर्खता है । जानते हुए छोटे घाव को कैसे नासूर बनाया जाता है ? यह सीखना हो तो कोई इसे सरकार से सीखे ।सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है की हरेक भारतीय के पास पहचान पत्र होना चाहिए । जिससे की उनकी नागरिकता पहचानी जा सके । सीमावर्ती इलाकों में तो इसे अनिवार्य कर देना चाहिए । कोर्ट ने सरकार से जबाब भी माँगा ......पर वह लगता है सो गई है । यह नासूर इस कंट्री को ही तबाह कर देगा जिस तरह स्पेन का नासूर नेपोलियन को और साउथ का नासूर औरंगजेब को बरबाद कर दिया । समय रहते चेत जाने में ही समझदारी है ।ऐसे लोगो को भी सबक सिखाया जाय जो बिना सोचे समझे बंगालादेशिओं को नौकर बना लेते है । कैम्पों में अबैध बंगालादेशिओं को वे समान उपलब्ध है जो यहाँ के अधिकाँश नागरिकों को भी नही है । रासन कार्ड , नौकरी , शिक्षा का अधिकार देश के नागरिकों को है न की अबैध नागरिकों को ।बन्ग्लादेशिओं को पनाह देने में पश्चिम बंगाल और असाम का बड़ा हाथ है । वह वे पहचान में ही नही आते की कौन देशी है और कौन विदेशी ...... नेता अपनी नेतागिरी से बाज नही आते । एक दिन देश की जनता उनसे सवाल जरुर करेगी । तब उन्हें बचाने के लिए कोई बंगलादेशी नही आयेगा ।
जय जय भड़ास

2 comments:

मनोज द्विवेदी said...

Manisha di, puri vyavastha hi gadbad hai isliye hamein naye andolan ki jarurat hai?

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मनोज भाई मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूंऔर जिस आंदोलन की दरकार है वह तो लगभग पंद्रह साल पहले से ही हमारे जस्टिस आनंद सिंह छेड़ चुके हैं.....
जय जय भड़ास

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