कुछ दिन पहले मैंने एक रिक्शेवाले को देखा ....मेरा मन दहल गया । उसका एक हाथ कटा हुआ था । एक ही हाथ से रिक्शा चला रहा था । उसके हिम्मत को देखकर मै चकीत रह गया .....सोच रहा हूँ एक हाथ से रिक्शा चलाना कितना मुश्किल होगा । उसने बताया की शुरू में तो यह संभल ही नही रहा था लेकिन धीरे धीरे आदत हो गई और अब चला लेता हूँ ।
सोचता हूँ उसने बहुत हिम्मत का परीचय देते हुए यह रास्ता चुना है ...... वह चाहता तो भिखमंगों की कतार में शामिल हो सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया । मैंने कुछ अधिक पैसे देने की कोशिश की पर असफल रहा ।
इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया है ...... शायद भविष्य में कभी निराश हो जाऊं तो उसका चेहरा जरुर याद करूँगा । उसके हिम्मत और खुद्दारी को सलाम करता हूँ । हमें ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए और ख़ुद उनलोगों से सीखना चाहिए जो विपरीत परिस्थितिओं में भी हौसला नाही खोते है ।
मुझे वैसे लोग काफी पसंद आते है जो शून्य से शुरुआत कर आगे बढ़ते जाते है भले ही वे शिखर को नही छू पाते पर निराश कभी नही होते । चलते रहते है ।
3 comments:
मार्कण्डेय भाई प्रेरणास्पद घटना का जिक्र करा है साधुवाद स्वीकारिये
जय जय भड़ास
प्रेरणास्पद घटना है...
himmate marda to madad de khuda..
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