किसी के प्यार के बिना...


ऐसे बीती जिंदगी किसी के प्यार के बिना।
जैसे नदिया बहती जाए इन्तजार के बिना
कोरे सपने रंग को तरसे
तरुबाई तरसे मधुबन को -
रूप चांदिनी को मन तरसे
सुधि तरसे आलिंगन को-

ऐसे योवन का बसंत है बहार के बिना।
जैसे कोई प्रेम सुहागिनी हो श्रींगार के बिना॥


सारांश यहाँ ......आगे पढ़े

1 comment:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

सुमन भाई, सारांश तो ये है कि किसी के प्यार बिना सामान्य आदमी पगला जाता है और उस सनक में भड़ास पर आकर उगलने लगता है :)
जय जय भड़ास

Post a Comment