इस तस्वीर के नीचे लिखा गया (आप तस्वीर को एन्लार्ज करके देख सकते हैं) है कि अल कबीर यान्त्रिक कत्लखाना(रुद्रारम) जहां के डायरेक्टर का कथन है कि कत्लखाना हर रोज ५०० भैंसे काटता रहेगा। एक अन्य सर्वे के अनुसार इस कत्लखाने में प्रतिवर्ष १,५०,००० भैंसे और ६,००,००० भेड़-बकरियां .......
ठीक वही तस्वीर मुझे अनूप मण्डल के पनवेल के श्री सोलंकी लाकर देते हैं लेकिन इस तस्वीर के नीचे लिखा मैटर कुछ अलग है(ये तस्वीर किसी अखबार से ली गयी प्रतीत हो रही है) इस तस्वीर के नीचे लिखा है कि अल कबीर यान्त्रिक कत्लखाना(रुद्रारम) जहां के डायरेक्टर श्री डी..(जैन) का कथन है कि कत्लखाना हर रोज ५०० भैंसे..................
ठीक वही तस्वीर मुझे अनूप मण्डल के पनवेल के श्री सोलंकी लाकर देते हैं लेकिन इस तस्वीर के नीचे लिखा मैटर कुछ अलग है(ये तस्वीर किसी अखबार से ली गयी प्रतीत हो रही है) इस तस्वीर के नीचे लिखा है कि अल कबीर यान्त्रिक कत्लखाना(रुद्रारम) जहां के डायरेक्टर श्री डी..(जैन) का कथन है कि कत्लखाना हर रोज ५०० भैंसे..................
इन दोनो तस्वीरों में कोई अंतर नहीं है स्पष्टतः चित्र एक ही है लेकिन दूसरी वाली दी गयी तस्वीर के नीचे डायरेक्टर का नाम है और भड़ास के मंच पर इस बात को लाने के लिये कहा गया कि यदि मुंबई टाइगर/हे प्रभु ये तेरा पथ नामक ब्लाग चलाने वाले श्री महावीर सेमलानी जी इस भेद को खोलने का साहस कर सकें कि क्या वाकई एक जैन कत्लखाने का डायरेक्टर रहा है? यदि रहा है तो जैन समाज ने इस पर क्या प्रतिक्रिया करी? क्या सेमलानी जी इस विषय पर अनजान हैं ? सेमलानी जी से अपेक्षा है कि इस मुद्दे पर चाहे अपने निजी ब्लाग पर या भड़ास पर मेल करके अवश्य इस भ्रमास्पद स्थिति का निराकरण करें क्योंकि अनूप मंडल के लोग मेरे पास तमाम साहित्य पटक कर गये हैं जो चीख-चीख कर कह रहा है कि जैन अहिंसा का ढकोसला करते हैं जबकि सत्य ये हैं कि जैन राक्षस हैं। मैं इस पीड़ादायी बात को भड़ास के मंच पर इस हेतु से लिख रहा हूं ताकि श्री महावीर सेमलानी जी या उन जैसा कोई जैन धर्म विशारद सत्य को उजागर करेगा।
जय जय भड़ास
1 comment:
भाईसाहब ये विवाद तो आज से नहीं बरसों से चल रहा है और मेरी जानकारी के अनुसार कोर्ट में भी कार्यवाही चल रही है। अनूप मंडल और जैनियों की आपसी किचकिच पुरानी है लेकिन आपने इसे भड़ास पर ला दिया वैसे अनूप मंडल वाले लोगों को मीडिया ने आज तक कहीं कवरेज नहीं दिया है जबकि मुंबई में वसई में ये लोग बड़े सम्मेलन करते हैं लेकिन कोई अखबार क्यों नहीं छापता ये भी एक रहस्य है....
जय जय भड़ास
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