शोधकर्ताओं के अनुसार अगले 15 वर्षों में विशेष रूप से भारत और चीन में डायबिटीज़ यानी मधुमेह के रोगियों की संख्या में भारी बढोत्तरी होगी।
अमरिकन मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में ये शोध प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि टाइप-2 डायबिटीज़ की चपेट में युवाओं के आने की आशंका है।
शोधकर्ता इसका ज़िम्मेदार तले खाने और फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन और शारीरिक गतिविधियों में कमी को ठहराते हैं। डायबिटीज़ के रोगी यूँ तो दुनिया भर में फैले हुए हैं लेकिन दक्षिण एशियाई देशों में इनकी संख्या चिंताजनक हद तक बढ़ रही है। पिछले साल दुनिया में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या लगभग 38 लाख थी यानी मरने वाले सभी लोगों का छह प्रतिशत।
एक अनुमान के अनुसार इस समय दुनिया भर में 24 करोड़ 60 लाख लोग डायबिटीज़ से पीड़ित हैं और 2025 तक इस संख्या के 38 करोड़ हो जाने की आशंका है। माना जा रहा है कि ये बीमारी और इससे जुड़ी बीमारियाँ सदी की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकती हैं।
दुनिया के बाकी देशों की तुलना में एशिया में ये मधुमेह काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है।
एक अनुमान के अनुसार भारत में इस समय डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या चार करोड़ है जिसके 2025 तक सात करोड़ हो जाने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
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