कोटि-कोटि धन्यवाद भड़ास!!!!

आज हम सब अनोप मंडल के लोगों के लिये बड़ी ही खुशी का दिन है कि जो हमारा
संघर्ष बरसों-बरस से चला आ रहा था उस पर मीडिया माफ़िया के चलते धुंध ही
छायी रही। वो लोग जिन्हें हम सीधे ही राक्षस कह रहे हैं हमारे सवालों से
बचते रहे लेकिन भड़ास के मंच पर उनमें से किसी ने सवालों का जवाब देना
शुरू करा है लेकिन अफ़सोस है कि जो अमित जैन जी मैदान में आए हैं उन्होंने
सारा विकिपीदिया उठा कर रख दिया है। अमित जी शायद ये नहीं जानते कि हम भी
इतनी समझ तो रखते हैं कि इस सब का अध्ययन करके ही इतने बड़े आरोप को लगा
रहे हैं वरना कब के जूते मार कर हमें खामोश कर दिया जाता, कानून का डंडा
हमारे हाथ कब के तोड़ चुका होता। अभी आप लोगों ने सवालों के उत्तर देने के
लिये सामने आने का लोकतांत्रिक तरीका अपनाया है तो विश्वास रखिये कि हम
भड़ास के मंच पर लोकतंत्र की गरिमा को धूमिल नहीं करेंगे बिना किसी तथ्य
और तर्क के बात नहीं रखेंगे। महावीर सेमलानी जी से भी निवेदन है कि वे
यदि भड़ास के सदस्य नहीं भी हैं तो कोई बात नहीं है, हम भी सीधे सदस्य
नहीं है लेकिन भड़ास के संचालकों ने हाल ही में जो तकनीकी सुविधा उपलब्ध
करायी है कि बिना सामान्य सदस्यता लिए भी सीधे ई-मेल के द्वारा अपनी बात
को प्रकाशित कराया जा सकता है ये बहुत उत्तम है। इस सुविधा के लिये अनोप
मंडल भड़ास के संचालकों का हार्दिक अभिनंदन करता है। क्रमशः इसी तरह मंच
पर हाजिर होते रहेंगे।
जय नकलंक
जय जय भड़ास
अनोप मंडल, वसई(मुंबई)

3 comments:

दीनबन्धु said...

स्वागत है महाराज आप लोगों का.... बड़े दिनों से आप लोगों के बारे में डा.रूपेश से सुन रहा था आज पढ़ भी लिया, गुरू पक्के भड़ासी जान पड़ते हैं आप सब.....
जय जय भड़ास

अमित जैन (जोक्पीडिया ) said...

अनूप मंडल के सभी दोस्तों ,
आप सब ने जो भी आरोप लगाय है ,
किर्पया उन आरोपों की पुष्टि भी कीजिये ,
सिर्फ आरोप लगा देना ही काफी नहीं है ,
आप जैन को और जैनियो को राक्षस सब्द से संभोदन कर रहे है ,
कोई बात नहीं,
जानकारी का आभाव
और मन की कुटिलता से कही हुई कोई भी बात का ,
जैन धर्म का कोई भी अनुयायी कभी भी बुरा नहीं मानता है ,
/ रही बात की मेरे द्वारा जैन धर्म का विक्पिदिया रख देने की ,
तो भी ये भी आप सभी की जानकारी के लिए ही था ,
आप यद्दी कोई बात तथ्य पर आधारित कहना कहते है तो किर्पया उसे बताये , वर्ना अनर्गल पर्लाप करने से सूर्य की चमक तो कम नहीं हो जाती ,
हा कभी कभार कोई अफवाहों का कोई बादल जरूर कभी कभी कुछ देर के लिए सूर्य को कुछ दायरे मे ढक लेता है आप सब लोगो ने जो भी अध्यन किया है ,
जिस किसी भी धार्मिक पुस्तक से किया है , किर्पया उस पुस्तक का नाम ,
उस पेज का नंबर ,
और उस मे उलखित विषय वास्तु को अवश्य बताये , ,
किर्पया ये भी बताने का कष्ट करे वो धार्मिक पुस्तक
जैन धर्म के दिगम्बर ,
स्वेताम्बर ,
के किस पंथ को मानने वाले अनुययो की है

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

मित्रों सुस्वागतम,

एक स्वस्थ परंपरा को जारी रखते हुए आरोप प्रत्यारोप से परे लोकतान्त्रिक बहस हो तो बेहतर, सभी अपनी बात सामने रखें और मिलकर निदान निकालें.

जय जय भड़ास

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