उत्तर प्रदेश सरकार का माध्यमिक परिणाम १८ लाख बच्चे फेल ये एक उदाहरण है की सरकार की शिक्षा परियोजना किस तरह से चल रही है और हमारे देश को क्या परिणाम दे रही है।
उत्तर प्रदेश की तरह पुरे भारत में प्राथमिक शिक्षा के नाम पर सरकार जागरूक है और बेइन्तेहा पैसे खर्च कर शिक्षा का प्रसार करने में लगी हुई है मगर क्या ये धरातल पर भी हकीकत का जामा पहन रही है ?
बिहार में प्राथमिक शिक्षा पैसे डकारने का माध्यम बना हुआ है और सरकार शिक्षा के नाम पर अरबो खरबों रूपये खर्च कर रही है मगर इसके पीछे की वास्तविकता क्या है ? ये एक ऐसा मद है जिसमे हिसाब किताब तो है मगर सिर्फ़ खरचने का और खरचने के नाम पर नीतिश सरकार पुरे जोरो से इस परियोजना के नाम पर लूट को अंजाम दे रही है जो आने वाले समय में तमाम घोटालो से ऊपर होगा और बिहार का नाम चारा के बाद खिचडी घोटाला के रूप में जाना जाने वाला है।
इसी मद के तहत पुरे बिहार में लाखो शिक्षा भवन बने, और स्कूल के सूचना पट पर इसकी सूचना सबसे पहले की शिक्षा का प्रसार हो या ना हो कार्य का ढकोसला दिखे।
इस बोर्ड पर कार्य के नाम पर हिसाब किताब का ब्यौरा होता है की कितने पैसे किस मद में खर्चे गए, कितने का भवन बना कितने की खिचडी बनी, और स्कूल के नाम पर बस खिचडी चोखा बन कर रह गया है हमारे गाँव का स्कूल।
प्राथमिक माध्यमिक शिक्षा के नाम पर लाखो भवन बने और भवन के गुणवत्ता की कोई गारेंटी नही, स्थानीय लोगों से बात करें तो पता चलता है की सब कमीशन पर बना और बंदरबांट हुआ शिक्षा के नाम पर स्तरीय शिक्षक हैं नही सो इसमें बच्चों को देने का सवाल ही नही है बेहतर की बच्चों को पब्लिक स्कूल में डलवा दो।
स्कूल के प्रधानाध्यापक से बात करें तो, अधिकतर शिक्षक अवकाश ले चुके जो बचे उन्हें प्रधानाध्यापक बना दिया गया या प्रभारी जिनके साथ सेवा मित्र के नाम पर लाखों लोगो को नोकरी दे कर शिक्षक बना दिया गया ये सेवा मित्र ही बच्चों को पढाते हैं। भर्ती के समय इन सेवा मित्रों की योग्यता के बजाय पैसे लेकर इनको नोकरी दी गयी जो पढ़ने में अक्षम है और योग्य शिक्षक को स्कूल का प्रधानाध्यापक बना कर लेखा लिपिक बना दिया गया जो खर्चे का हिसाब किताब करे और खर्चे का मद दिखा कर सभी का बंधा हुआ कमीशन पहुंचा दे।
जहाँ अधिकतर शिक्षक मानसिक वेदना के शिकार हो चुके हैं वहीँ अरबो का खर्च कर सरकार ने लूट का तांडव कर रखा है और निसंदेह इसके अगुआ नीतिश ही तो हैं।
क्या मीडिया और पत्रकार की फौज नीतिश महिमा मंडन के बजाय खोजी पत्रकारिता करते हुए गरीब बिहार के अरबो रूपये के चोरी पर सरकार का पोल पट्टी खोलेगी या महिमा मंडन में लगी रहेगी। ये आने वाला ऐसा घोटाला होगा जो बिहार की पहचान बनेगा और चारा के बाद खिचडी से लोग बिहार को जानेंगे।
आम बिहारी लोकतंत्र के सभी पैरोकार से प्रश्न का उत्तर चाहता है।
उत्तर प्रदेश की तरह पुरे भारत में प्राथमिक शिक्षा के नाम पर सरकार जागरूक है और बेइन्तेहा पैसे खर्च कर शिक्षा का प्रसार करने में लगी हुई है मगर क्या ये धरातल पर भी हकीकत का जामा पहन रही है ?
बिहार में प्राथमिक शिक्षा पैसे डकारने का माध्यम बना हुआ है और सरकार शिक्षा के नाम पर अरबो खरबों रूपये खर्च कर रही है मगर इसके पीछे की वास्तविकता क्या है ? ये एक ऐसा मद है जिसमे हिसाब किताब तो है मगर सिर्फ़ खरचने का और खरचने के नाम पर नीतिश सरकार पुरे जोरो से इस परियोजना के नाम पर लूट को अंजाम दे रही है जो आने वाले समय में तमाम घोटालो से ऊपर होगा और बिहार का नाम चारा के बाद खिचडी घोटाला के रूप में जाना जाने वाला है।
इसी मद के तहत पुरे बिहार में लाखो शिक्षा भवन बने, और स्कूल के सूचना पट पर इसकी सूचना सबसे पहले की शिक्षा का प्रसार हो या ना हो कार्य का ढकोसला दिखे।
इस बोर्ड पर कार्य के नाम पर हिसाब किताब का ब्यौरा होता है की कितने पैसे किस मद में खर्चे गए, कितने का भवन बना कितने की खिचडी बनी, और स्कूल के नाम पर बस खिचडी चोखा बन कर रह गया है हमारे गाँव का स्कूल।
स्कूल जाने के लिए सड़क नही बारिश का समय आ रहा है जब सड़क के नाम पर कीचड़ और स्कूल के नाम पर खिचडी, पढ़ाई के नाम पर शिफर यानि की शिक्षा का बंटाधार।
प्राथमिक माध्यमिक शिक्षा के नाम पर लाखो भवन बने और भवन के गुणवत्ता की कोई गारेंटी नही, स्थानीय लोगों से बात करें तो पता चलता है की सब कमीशन पर बना और बंदरबांट हुआ शिक्षा के नाम पर स्तरीय शिक्षक हैं नही सो इसमें बच्चों को देने का सवाल ही नही है बेहतर की बच्चों को पब्लिक स्कूल में डलवा दो।
स्कूल के प्रधानाध्यापक से बात करें तो, अधिकतर शिक्षक अवकाश ले चुके जो बचे उन्हें प्रधानाध्यापक बना दिया गया या प्रभारी जिनके साथ सेवा मित्र के नाम पर लाखों लोगो को नोकरी दे कर शिक्षक बना दिया गया ये सेवा मित्र ही बच्चों को पढाते हैं। भर्ती के समय इन सेवा मित्रों की योग्यता के बजाय पैसे लेकर इनको नोकरी दी गयी जो पढ़ने में अक्षम है और योग्य शिक्षक को स्कूल का प्रधानाध्यापक बना कर लेखा लिपिक बना दिया गया जो खर्चे का हिसाब किताब करे और खर्चे का मद दिखा कर सभी का बंधा हुआ कमीशन पहुंचा दे।
जहाँ अधिकतर शिक्षक मानसिक वेदना के शिकार हो चुके हैं वहीँ अरबो का खर्च कर सरकार ने लूट का तांडव कर रखा है और निसंदेह इसके अगुआ नीतिश ही तो हैं।
क्या मीडिया और पत्रकार की फौज नीतिश महिमा मंडन के बजाय खोजी पत्रकारिता करते हुए गरीब बिहार के अरबो रूपये के चोरी पर सरकार का पोल पट्टी खोलेगी या महिमा मंडन में लगी रहेगी। ये आने वाला ऐसा घोटाला होगा जो बिहार की पहचान बनेगा और चारा के बाद खिचडी से लोग बिहार को जानेंगे।
आम बिहारी लोकतंत्र के सभी पैरोकार से प्रश्न का उत्तर चाहता है।
6 comments:
ye to badi hairani ki bat hai jis nitish ke gun rahul gandhinahin gate thakte unke vikas kaa ye sach hai khair in netaon ko to bhagvan bhi nahin sudhar sakta apne achha kiya hai unka chithha khol kar badhai
ghotala karne wale netaon ka desh..........ab yeh naam milne wala hai aur giniz book mein bhi likhne wala hai shayad.
hakikat bayaan kar ke rakh di hai aapne,
vikash ka safed haathi hi to hai nithish raaj.
badhiya lekhan
kyaa ye vikaahs hai, shikshaa ke naam par ghotala or ham ho rahe hian shikshit,
aisii sarkaar ko to ayogy ghoshit kar dena chahiye.
likhte rahiye
प्रतिक्रया के लिए सभी साथी का आभार !
15-16 saalon tak Lalu ji ne jo kiya , use hum badi hi araam se bhool jaate hain....... Bhai aap Bihar se "neetish" ko alag kar ke sochiye phir aapko Bihar ki asli haalat samajh aayegi..... Kam se kam ek insaan to hai jo kuchh (wo kuchh aapke liye bahut kam ho sakta hai) to kar raha hai......
Main maan raha hoo ki Khichdi-chokha khilaane se padhai nahi ho jaati, lekin koi bhi kaam karne mein samay to lagta hai.... Bihar(ye mera pradesh bhi hai aur main us constituency mein rahta hoo jiske karta dharta lalu ji hai) ke bas shaashak badalein hain, naukarshah to wahi hain aur naukarshaahon ko 15 saal puraane bhrastaachaar ke daldal se nikaalna itna asaan bhi nahi hai...
Aapko bhi maaloom hoga ki doosre pradeshon mein bihar ki kya izzat hai... Neetish ji ke aane se itna to hua hai ki log humein seriously lene lage hain.
Aur waise bhi, khaami nikaalna chahein to hum bhi aapke saath shaamil ho jaate hain, aap 10 nikaaliye hum 20 nikaalenge.... Humaari aadat waise bhi khaami nikaalne ki hai.... Upaai batana ho tab dikkat aati hai.
-Vishwa Deepak
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