कथा शिल्पियों ने मिथिला में सांस्कृतिक क्षरण, पलायनवाद, बाजारवाद, बढ़ते संप्रदायवाद, पर्यावरणीय असंतुलन सहित अन्य विविध विषयों से बुने ताने-बाने ने शनिवार की रात ऐसा समां बांधा कि देखते-देखते कब सुबह हो गयी, पता ही नहीं चला। मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद, मधुबनी के तत्वावधान में शहर के माध्यमिक शिक्षक संघ भवन के सभागार में मैथिली कथा गोष्ठी 'सगर राति दीप जरय' के 66वें आयोजन में दिग्गज मैथिली कथा हस्ताक्षरों का जमघट लगा। बिहार सहित झारखंड व पश्चिम बंगाल तक के कुल 42 कथाकारों ने अपनी रचनाएं यहां प्रस्तुत कीं। साथ ही तकरीबन डेढ़ दर्जन समीक्षकों ने उक्त प्रस्तुतियों की विशद् समीक्षा कर नव हस्ताक्षरों के दिशा-निर्देशन का कार्य किया।
मैथिली के अब नामचीन हो चले साहित्यकार हीरेन्द्र कुमार झा की अध्यक्षता में हुए इस आयोजन की शुरूआत प्रवीण कुमार मिश्र ने भाव प्रवण गोसाउनिक गीत से किया। मौके पर शैलेन्द्र आनंद के कथा संग्रह 'झुठ पकड़ा मशीन' का लोकार्पण डा। रमानन्द झा 'रमण' ने किया। शनिवार देर संध्या प्रारंभ इस गोष्ठी में कथानकों का ऐसा संसार रचा गया जिसने मौजूद सभी प्रबुद्ध जनों को अपने में समाहित कर लिया। शीर्ष साहित्यसेवी अमलेन्दु शेखर पाठक के कथानक ने अपनी विषयवस्तु व शिल्प के कारण सबको गहरे प्रभावित किया।
आयोजन को सफल बनाने में परिषद के संरक्षक प्रो। कुलधारी सिंह, अध्यक्ष सुरेन्द्र लाल दास, सचिव भोगेन्द्र मिश्र सहित डा. इन्द्रमोहन झा, भोगेन्द्र नारायण झा आदि की महती भूमिका रही। कथा गोष्ठी का अगला यानी 67वां आयोजन रमाकांत राय 'रमा' के संयोजन में मानाराय टोल, समस्तीपुर में इसी वर्ष सितंबर माह में करने का निर्णय लिया गया।
साभार :- दैनिक जागरण
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