लो क सं घ र्ष !: अजमेर शरीफ के बम धमाके -1

अभिनव भारत , मालेगाव बम धमाके में शामिल इस हिंदू आतंकवादी संगठन ने ही शायद अजमेर शरीफ बम धमाके को अंजाम दिया है। राजस्थान के आतंकवाद निरोधी दस्ते का कहना है की अजमेर दरगाह में वर्ष 2007 में हुए धमाके की जांच सूत्र अभिनव भारत के सदस्यो तक पहुँचते दिख रहे है

एनड़ीटीवी को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में राजस्थान एटीएस के प्रमुख कपिल गर्ग ने इस बात को स्वीकारा है की अभिनव भारत अब हमारे निशाने पर है पिछले दिनों राजस्थान पुलिस की एक विशेष टीम ने मुंबई जाकर मालेगाव धमाके कि मास्टरमाइंङ लेफ्टिनेंट कर्नल एस पी पुरोहित अन्य अभियुक्तों का नार्को परीक्षण और ब्रेन मैपिंग टेस्ट से जुड़े बयानों और एवं रिपोर्टो को एकत्रित किया।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर किए गए नार्को टेस्ट तथा ब्रेन मैपिंग टेस्ट ने इस बात को उजागर किया कि एक अन्य सदस्य दयानंद पाण्डेय , जो मालेगाव का आरोपी है ,उसने अजमेर धमाके की योजना बनाई थी जिसमें दो लोग मारे गए और लगभग 20 लोग अक्टूबर 2007 में घायल हुए

(एनड़ीटीवी , 'अभिनव भारत अंडर स्कान्नेर फॉर 07 अजमेर ब्लास्ट' राजन महान , मंगलवार ,14 अप्रैल 2009 ,जयपुर )

डेढ़ साल से अधिक वक़्त गुजर गया जब अजमेर शरीफ के बम धमाको में 42 वर्षीय सैयद सलीम का इंतकाल हुआ था महान सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती की इस दरगाह पर 11 अक्टूबर 2007 को बम विस्फोट में जो दो लोग मारे गए थे उनमें वह भी शामिल था हालात बता सकते है की सैयद सलीम की मौत बहुत दर्दनाक ढंग से हुई जैसा की बताया जा चुका है इस धमाके में तमाम लोग बुरी तरह घायल भी हुए जब वह प्रार्थना करने की मुद्रा में थे
सैयद सलीम की पत्नी ही उनके दो बच्चे और ही भाई बहनों का उसका लंबा -चौडा कुनबा, किसी ने भी इस बात की कल्पना नही की होगी की इतने मृदुभाषी शख्स की मौत इतनी पीड़ा दायक स्तिथि में होगी उसके दोस्तों को आज भी याद है ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती -जिन्हें गरीब नवाज भी कहा जाता है - उनके प्रति अपने अगाध सम्मान के चलते ही सलीम ने अजमेर में रहने का फ़ैसला किया था, और वहां पर सौन्दर्य प्रसाधन का बिज़नेस शुरू किया था इतनी लम्बी -चौडी कमाई नही थी की बार-बार अजमेर से हैदराबाद आना मुमकिन होता, लिहाजा साल में एक दफा वह जरूर आते

गौरतलब है की सैयद सलीम के आत्मीय जानो के लिए उसकी इस असामयिक मौत से उपजे शोक के साथ-साथ एक और सदमे से गुजरना पड़ा जिसकी वजह थी पुलिस एवं जांच एज़ेंसियों का रूख जिन्हें यह लग रहा था कि सैयद सलीम ख़ुद इस हमले के पीछे थे मक्का मस्जिद बम धमाके और अजमेर के बम धमाके के बीच की समरूपता को देखते हुए राजस्थान की पुलिस टीम ने आकर इस बात की छानबीन की कहीं सैयद सलीम ख़ुद आतंकवादी तो नही था ऐसे घटनाओ को सनसनीखेज अंदाज में पेश करने वाले मीडिया के एक हिस्से ने भी यह ख़बर उछाल दी कि मृत व्यक्ति के जेब से कुछ '' संदेहस्पद वस्तु '' बरामद हुई (डीएनए,13 अक्टूबर 2007 )

अपने इस दावे- कि इस घटना को हुजी से जुड़े आतंकवादियो ने ही अंजाम दिया है - को बिल्कुल हकीकत मान रही राजस्थान पुलिस ने इस सिलसिले में छः लोगो को भी हिरासत में ले लिया था जिसमें दो बांग्लादेशी भी शामिल थे। पुलिस के मुताबिक सिम कार्ड लगाये एक मोबाइल टेलीफोन के जरिये विस्फोट को अंजाम दिया गया। तत्कालिन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने यह भी कहा की बम धमाके 'सरहद पार दुश्मनों के इशारे पर हुए है'।

हम अंदाजा लगा सकते है की मामले की तहकीकात कर रही राजस्थान पुलिस की टीम ने सैयद सलीम के परिवारजनों के साथ क्या व्यवहार किया होगा। माता-पिता , भाई बहिन ,पत्नी सभी को खाकी के डर से रूबरू होना पड़ा होगा । ऐसे अनुभवों को देखते हुए हम सहज ही अंदाजा लगा सकते है की समूचे परिवार को 'आतंकवादी' के परिवार के तौर पर लोगो के ताने सुनने पड़े होंगे।

अब जबकि सच्चाई से परदा हटने को है और ख़ुद पुलिस यह कह रही है की अभिनव भारत के आतंकवादियो ने अजमेर बम धमाके को अंजाम दिया है, ऐसे में यह पूछना क्या ज्यादती होगा की पुलिस को चाहिए की वह सैयद सलीम के परिवारवालों के नाम एक ख़त लिखे और जो कुछ हुआ उसके लिए माफ़ी मांगे ।

-सुभाष गाताडे

लेखक सुप्रसिद्ध पत्रकार है

लोकसंघर्ष पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित

1 comment:

shama said...

Maine baar, baar likha hai,ki, galtee police kee nahee, hamaree 150 saal purane qanoonon kee hai..khaaskar India Evidence Act ,dafaa,25/27...Supreme court kee 1981 de tauheen ho rahee kyonki, Dr. Dharamveer National Police Commission ne diye sujhav turant laagu karnekee soochnake baavjood, karyanvit nahee huaa...

Jnata khaamosh rehtee hai..ikke dukke log ispe PIL daakhil kar barson lad rahe hain...nyay sanstha aur suraksha yantrana me taal mel nahee...yantrana pe poora dabav hai lekin, nyayalay pe kab case shuru kee jaay aur kab khatm...koyi maryada nahee..
BSF( Border Security force) ke avkaashprapt DGP, Shree Prakash, barson se ye case lad rahe hain...ab jaake Medha Patkarne ek PIL daakhil kee...use ye khud nahee pata ki, recoommendations kya hain, lekin, kamse kam usne kiseekee kaha suni kar to dee!

Maine khud,apne blogpe kayi baar is baareme likha hai..khas kar Mumbai ke dhmakon ke baad..!

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