बाबा रामदेव के दोहरे मानदंडों का ढकोसला

स्पष्ट कह देने वाला व्यक्ति मुंहफट मान लिया जाता है लेकिन क्या करें यदि सत्य पर सेंसर लगा दें तो फिर वह सत्य नहीं रह जाता। आज दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है। एक तरफ़ बाबा रामदेव अयुर्वेद की वकालत करते हुए कहते हैं कि वे W.H.O. को शीर्षासन करवा देंगे आयुर्वेद के बल पर। इनके दोहरे मानदंडों का प्रमाण ये है कि ये दवाएं तो आयुर्वेद की बेचते हैं और उन दवाओं के प्रभाव के परीक्षण की बात आती है तो एलोपैथी के पाले में कूद कर ई.सी.जी. वगैरह निकलवाने की बात करने लगते हैं यानि कि निदान अभी भी एलोपैथी के आगे घुटने टेके खड़ा है। बाबा रामदेव को या तो जानकारी नहीं है या फिर वे भी उसी व्यापारिक सोच के आदमी हैं जो बस माल छापना चाहता है किसी चीज की ब्रांडिंग करके। आप सबके साथ ही बाबा रामदेव की जानकारी में भी इजाफ़ा करना है ताकि वे प्रभावों की जांच के लिये आधुनिकता के नाम पर ऐलोपैथी के आगे न गिड़गिड़ाएं। अपने ही देश के एक आयुर्वेद महर्षि ने आयुर्वेद के विकास के लिये वह कार्य करा है जो कि न कभी हुआ है न होगा वह है "इलैक्ट्रो त्रिदोषग्राम" का अविष्कार करना, इसके अविष्कारक हैं कानपुर उ.प्र. के रहने वाले डा.देशबन्धु वाजपेयी जी। यह यन्त्र जिसे संक्षेप में E.T.G. कहा जाता है शरीर के कफ-पित्त-वात की स्थिति के बारे में विस्तारित कम्प्युटराइज्ड रिपोर्ट देता है तो अब हमें आयुर्वेद की दवाएं देने के बाद फायदा हुआ या नहीं अथवा कितना प्रभाव हुआ ये जानने के लिये ऐलोपैथी का मोहताज होने की जरूरत नहीं है। डा.वाजपेयी की तकनीक सरकारी उठापटक में वर्षों से उलझी है लेकिन क्या बाबा रामदेव को भी इस बारे में जरा भी पता नहीं है या फिर वे जानबूझ कर आंख बंद करे हुए हैं, क्यो नहीं पातंजलि योग प्रतिष्ठान में इस तकनीक को स्थान देते है और आयुर्वेद की ऐलोपथी के प्रति मोहताजी समाप्त करने की दिशा में पहल करते हैं सायद इस लिये कि कहीं हमारे देश में जो एड्स लाबी विकसित हुई है उसकी चूलें न हिल जाएं ???????
जय जय भड़ास

7 comments:

RAJIV MAHESHWARI said...

क्या बाबा रामदेव को भी इस बारे में जरा भी पता नहीं है?..........आप ही फ़ोन पर बतादो.

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

राजीव जी,यदि आप किसी व्यंगात्मक भाव में जी रहे हैं तो ये घातक है। E.T.G. के बारे में बाबा रामदेव को फोन पर बताना यदि संभव होता तो अब तक मैं उन्हें,आपको और उन सभी को बता देता जो आंख मूंदे बैठे हैं। मेहरबानी करके आप ही बाबा जी तक मेरी बात पहुंचा दीजिये और हो सके तो स्वास्थ्य मंत्रालय तक भी.....
टिप्पणी के लिये दिल से धन्यवाद यदि आप स्वयं चिकित्सा शास्त्र के जानकार हैं तो आगे आइये। आशा है कि इसी तरह प्रतिसाद देते रहेंगे। जल्द ही आप सबकी सेवा में "इलैक्ट्रोत्रिदोषग्राम" की पूरी जानकारी लेकर प्रस्तुत होने वाला हूं।

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

डोक्टर साहब,
बाबा रामदेव उन उच्च कोटि के बाबा में से ही हैं जिनको मीडिया की सुर्खियाँ चाहिए, नेताओं की तरह लोगों में पहचान भी, ढकोस्लाबाद के साथ लोगों को जिस युग की शिक्षा देने का ढोंग रच कर बाजारवाद में अपने पैर जमाये हैं, वह योग हमारी संस्कृती का हिस्सा रहा है और इसके जानकारों की भी कमी नही है मगर......

बाबा को मिडिया चाहिए और मिडिया को बाबा, सच कहा है आपने तकनीकी में जिस तरह से एलोपैथ पर दौड़ मारते हैं हम, जबकी हमें जाने की जरुरत नही है, वास्तव में सोचनीय है की बाबा दोहरे चरित्र से किसका हित साध रहे हैं.

जय जय भड़ास

RAJIV MAHESHWARI said...

डॉक्टर साहब,रामदेव जी को पता ही नही तो उन परइल्जाम क्यो?.दोहरे मापदंडो का आरोप क्यों?
स्वास्थ्य मंत्रालय तक को पता नही हैं.इन सब को कौन बतायेगा. आप जैसे को आगे आना पड़ेगा. मीडिया के मध्यम से जन जन तक जानकारी पहुंचानी पड़ेगी. जबी आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं.
किसी भी बाबा पर आरोप लगाने से पहले दस बार सोचना चाहिए. आशा करते हैं, आप मेरी भावनाएं को समझ रहे हैं.
राजीव

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

राजीव जी ऐसा लग रहा है कि जैसे आप बाबा रामदेव के अधिकारिक प्रवक्ता हैं तब ही इतने दावे से कह रहे हैं कि उन्हें क्या स्वास्थ्य मंत्रालय तक को नहीं पता......
तो प्रभु जी इतना बता दीजिये कि क्या आप स्वास्थ्य मंत्रालय के भी प्रवक्ता हैं????
आंखों पर आस्था का चश्मा चढ़ा कर देखने से सत्य अक्सर स्पष्ट नहीं दिखाई देता है अगर चश्मा उतार सकें तो मेहरबानी होगी। साथ ही एक निवेदन कि ब्लागर तो आप भी हैं ,अगर हम जैसे हत्बुद्धि लोग सत्य को आगे नहीं ला पा रहे हैं तो जरा आप ही बाबा रामदेव और स्वास्थ्य मंत्रालय तक इस बात को ले जाएं, आने वाली पीढ़ियां आपका उपकार मानेंगी। मैं किसी बाबा या बापू पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं बल्कि आपसे विनती कर रहा हूं कि आप क्यों मेरी भावनाएं नहीं समझ रहें है? निंदा,आलोचना,समीक्षा,टीका-टिप्पणी आदि के लिये अग्रिम धन्यवाद

RAJIV MAHESHWARI said...

आ० डोक्टर साहब,
ना में बाबा रामदेव का ना ही स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रवक्ता हूँ. आप मेरी बात को अन्यथा ना ले. मेरे कहने का मतलब सिर्फ़ यह हैं की योग व आयुर्वेद जो की इस भोतिक युग में ख़तम होने के कगार पर था. इसे बाबा रामदेव ने एक नई दिशा - आयाम व ख्याति प्रधान करी हैं. उनकी इस उपलब्धि को शायद आप नही नकार सकते.
रही बात अलोपथिक उपकरण को आयुर्वेद में प्रयोग करने की, क्या आप थार्मो मीटर, ब्लड प्रेस्सेर मशीन अन्य अलोपठेटिक उपकरण प्रयोग नही करते हैं.
बाबा ने योग व आयुर्वेद से गंभीर बिमारिओं का इलाज़ करके अलोपतिक के परोमीटर पर जाँच कर इस दुनिया को यह मान ने के लिए मजबूर कर दिया की आयुर्वेद व योग भी एक मान्यता प्राप्त मेडिकल पद्दति हे.
आप मेरे बात को अन्यथा न ले. मेरा उद्देश्य निंदा,आलोचना,समीक्षा,टीका-टिप्पणी कर के आप के दिल को ठेस पहुंचना नही था. अगर आप को ठेस पहुँची होगी तो, मैं इसके लिए क्षमा चाहता हूँ.

राजीव

Chasta said...

जितनी मेहनत रामदेव जी कर रहे है. कृपया उसकी आप 1 प्रतिशत भी करके प्राणायाम द्वारा लोगों को समझाये. निरर्थक किसी पर टिप्‍पणी करना और बात है तथा स्‍वयं उस जैसा कार्य करना और बात है. यदि आपका ई.टी.जी. उपकरण इतने काम का है. आज के इस सूचना विज्ञान युग में कोई सहायता करने वाला क्‍यों नहीं मिला. जबकि भारतीय जनता ऐसी है जिसको जहां से भी थोड़ा सा लाभ प्राप्‍त हो जायेगा तो वहां लोगों की लाईने लग जाती है. इसलिये अपने यंत्र की उपयोगिता आदि के बारे में विस्‍तार से समझाये तो काफी व्‍यक्ति आपकी सहायता के लिये आगे आयेगें. किसी अन्‍य पर टिका टिप्‍पणी नहीं करें.

Post a Comment