इराक़ के एक बहादुर पत्रकार ने दुनिया के सबसे ताक़तवर देश के राष्ट्रपति को जूता फेंक कर मारा और मानो जलजला आ गया, इस लिए नही की अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया की या इसलिए भी नही की अमेरिका सर्वशक्तीमान पर जुटे से प्रहार हुआ अपितु व्यवसाय की होड़ में अंधी हो चुकी पत्रकारिता के लिए सबसे बड़ा लौटरी निकला, अंधे पत्रकारों के हाथ बटेर लगी.
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जूते को बेचा, बुश को बेचा मगर क्या पत्रकारिता पर खड़े उतरे ?
कहाँ है हमारा बहादुर पत्रकार
क्या जैदी जैसा जज्बा, जोश और पत्रकारिता है हमारे देश के पत्रकारों में ?क्या ये पत्रकारिता के साथ इन्साफ कर रहे हैं ?
क्या व्यवसाय की होड़ में लाला जी की दुकानदारी के ये चाकर लोगों की जुबान बन रहे हैं ?
ख़बर के नाम पर मनोरंजन और बेस्वाद व्यंजन पडोसने वाले इन पत्रकारों ने जैदी के लिए मुहीम चलायी है ?
कहाँ है जैदी?
क्या हो रहा है जैदी के साथ?
प्रश्न बहुत सारे हैं मगर जवाब देने वालों में पत्रकार नही क्यौंकी इन्हें इन्तेजार है अगला जूता कौन फेंकेगा, हमारी एक्सक्लूसिव और फुटेज कैसे बनेगी।
प्रश्न है मगर अनुत्तरित ?
4 comments:
भाई,भड़ास इसी को कहते हैं शायद अगर हम लोग वेबपेज से निकले जूता लेकर तो ऐसा ही होगा और लाला लोग अपनी दुम को पिछली टांगों के बीच दबा कर भाग लेंगे~
जय जय भड़ास
रजनीशजी आप सब की दुआ की जरूरत है. शायद भगवान मेरा प्यार मुझे लौटा दे.
मेरी भावनाओ को समझने के लिए आपका धन्यवाद.
भाई(या बहन)आप जो भी हों लेकिन अगर बात दर्द की है चाहे वो दिल का हो लीवर का हो या फेफड़ों का या फिर किडनी का..... वो रजनीश भाइ का नहीं मेरा क्षेत्र है आपके दर्द को मैं ही क्या हर भड़ासी समझ सकता है बस बांटिये तो हमसे जरा.....
सप्रेम
डा.रूपेश श्रीवास्तव
हम सबकी दुआ आपके साथ है आपका प्यार आपको जरूर मिलेगा~ चिंता न करें और न ही निराश हों...
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