ये आतंकवादी भी मुझसे बेहतर

दो महीने पहले मैने भी बैंक मे खाताव एटीएम खुलवाने के लिये बैंक मेंफार्म भरा था।कलर्क ने १२-१५ दिन बाद बुलाया मै दुबारा गया तो मुझेफिर कुछ दिन बाद आने को कहागया।मजबूरी थी सो मुझे फिर जनापडा़ ।इस बार मुझे कहा गया कि आपका फार्म खो गया है फिर सेफार्म भरना पडेगा।मैने दुबारा फार्मभरा।फिर मुझे कभी यहां कभी वहांनचाया गया ।मेरे भी सब्र का बाँधटूट गया मैंने भी कलर्क को गालीदी व बाहर निकलो भिर बताताहू वाला पुराना डायलाग मारा।और वापसआ गया।आज पेपर पढ़ कर मुझे बहुतदुख हो रहा है कि मै एक आमआदमी था इसलिये मुझे खाताखुलाने में इतनी परेशानी हुईजबकि मुंम्बई में पकडे गयेआतंकवादियो के पास क्रेडिट कार्डमास्टर कार्ड सब था।

8 comments:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

प्रभुजी! ये क्या मंत्र दे रहें हैं सक्सेस का.... भइया भड़ासी एटीएम या क्रेडिट कार्ड के लिये आतंकवादी न बन जाएं :)
स्वागत है, हलकट किस्म के लोगों की ऐसी फाड़िये सब हिलमिल कर गाते गुनगुनाते कि कोई मोची सिलाई न कर सके
जय जय भड़ास

ज़ैनब शेख said...

मुझे लगता है कि मुझे भी आतंकवादी बनना पड़ेगा ये ICICI वाले बहुत सता रहे हैं।

श्रेया रूपेश said...

भाई आप तो बांसगांव के रहने वाले हैं तो फिर डंडा कर दीजिये न कसकर इन सुअरों को ताकि ठीक से काम करने लगें.........

भूमिका रूपेश said...

दादा! अब इन हरामियों में हम भड़ासियों का आतंक रहना चाहिये ताकि कुछ भी गड़बड़ करने से पहले ही इनकी हवा तंग रहे।
जय जय भड़ास

टीना रूपेश said...

अरे मेरे भाई,दो कान के नीचे चटाक-चटाक बजा देते तो तुरंत काम हो जाता,अगली बार ट्राय करके देखना।
जय जय भड़ास

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

किसी भी हाल में आतंकवादियों से अपनी तुलना लज्जास्पद लगता है। टीना ने सही कहा क्योंकि साम-दाम-दंड-भेद में एक नीति दंड भी है इसे आजमा लेना चाहिये लेकिन ज्यादा ताकतवर से पंगा मत ले लेना:)

हरभूषण said...

भाई चंडाल चौकड़ी के चक्कर में मत आना वरना कईं फ़साद कर बैठोगे। उसकी उच्चाधिकारी से लिखित शिकायत करिये।

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

शुक्रिया भाई,
अब सब समाज में आ गया की कैसे काम करवाना है. चूतियों की फादो, जो जहाँ मिले चार जूते लगाओ.
जय जय भड़ास

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