शादी-विवाह या शुभ मौकों पर नांच-गाकर लोगों का दिल बहलाने वाले किन्नरों को आप जल्द ही महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करते देखेंगे। किन्नरों को ऐसा करते देखना अपने आप में भले ही आश्चर्य करने वाला हो लेकिन बिहार सरकार इस आश्चर्य को भी साकार करने की तैयारियों में जुटी हुई है। बिहार सरकार किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अभिनव प्रयोग कर रही है। सरकार ने हाल ही में किन्नरों की सहायता से कर चोरी करने के आदि हो चुके लोगों से सफलतापूर्वक कर वसूली की है।
राज्य सरकार अब इन किन्नरों के पुनर्वास की योजना बना रही है। प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री दामोदर राउत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि सरकार जल्द ही किन्नरों के पुनर्वास के लिए एक योजना आरंभ करेगी। उन्होंने कहा, "इस योजना पर अभी काम चल रहा है। किन्नरों के लिए पुनर्वास योजना जल्द ही साकार होगी।"
समाज कल्याण मंत्रालय के निदेशक मसूद हसन ने कहा, "किन्नरों को साक्षर बनाकर व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे उन्हें समाज में अपनी स्थिति सुदृढ़ करने का मौका मिलेगा। किन्नरों को मुफ्त में यह प्रशिक्षण दिया जाएगा।"
इस संबंध में मान्यता प्राप्त गैर सरकारी संगठनों से किन्नरों के बारे में सर्वे कर विस्तृत जानकारी इकट्ठा करने के लिए आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि राज्य के किन्नरों ने पिछले साल रोजगार, विवाह और बच्चा गोद लेने के अधिकार की मांग करते हुए कल्याणकारी संगठनों का गठन किया था।
किन्नरों के नेता काली हिजरा का कहना है, "हम सदियों से बहुत कुछ झेलते आ रहे हैं। हममें से अधिक गरीबी में जीते हैं। मुगल काल की तर्ज पर हम अपनी एक पहचान चाहते हैं।" उन्होंने बताया कि मुगल काल में किन्नरों को रानियों की सहयोगी बनाकर और स्त्रीगृहों की सुरक्षा का काम देकर उन्हें रोजगार दिया जाता था।
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