पाकिस्तानी समाचार चैनल 'जियो टीवी' के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि विमान अपहरण के मामले में शरीफ के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। शरीफ के खिलाफ यह मामला पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार ने दर्ज कराया था। गत 18 जून को इस मामले की सुनवाई के बाद पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कराची की आतंकवाद-निरोधक अदालत ने अप्रैल 2000 में शरीफ को दोषी ठहराते हुए दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। शरीफ को 12 अक्टूबर 1999 को मुशर्रफ और 200 अन्य यात्रियों वाले विमान को कराची हवाई अड्डे पर उतरने की इजाजत देने से इंकार कर दिया था। उसी दिन मुशर्रफ ने रक्तहीन क्रांति के जरिए शरीफ का तख्ता पलट कर दिया था।
शरीफ ने इस फैसले पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया मे कहा था कि इससे वह राहत महसूस कर रहे हैं और अपने बरी होने के लिए वह अल्लाह के शुक्रगुजार हैं। उन्होंने कहा, "अल्लाह ने सच्चाई का फैसला किया है और अब मैं दिन-रात पाकिस्तान की अवाम के लिए काम करूंगा।"
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने अदालत के फैसले पर शरीफ को बधाई दी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार गिलानी ने कहा कि अदालत का फैसला लोकतंत्र का प्रमाण है जबकि जरदारी ने कहा कि इस फैसले ने शरीफ के लिए चुनावी राजनीति में कदम रखने के रास्ते खोल दिए हैं।
इससे पहले विमान अपहरण के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद 21 साल तक शरीफ के किसी सार्वजनिक पद पर आसीन होने पर रोक लगा दी गई थी और उन पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। जेल में बंद रहने के वह मुशर्रफ के साथ समझौता कर निर्वासन पर जाने को राजी हो गए थे। वर्ष 2008 के आम चुनावों में शरीफ को वतन लौटने की इजाजत मिली थी।
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