अमितजी! आपने मुझसे विचार हेतू भडास पर आकार लिखने को कहा। इतना मान सम्मान हेतु आपका मे धन्यवाद करता हू । चुकी यह ब्लोग मेरे सम्माननीय मित्र रुपेशजी द्वारा सचालित है। हमारे अजीज मित्र के ब्लोग पर आकर लिखने का अमितभाई का अग्रह मेरे लिऐ प्रसन्ता की बात है। चुकी मै भडास का सदस्य नही हू , इसलिए मै वहा लेखक की भुमिका मे नही आ सकता हू। पर हॉ एक पाठक के रुप मे भडास से झुडा हुआ हू। इसलिए पाठक की भूमिका को निभाते हुऐ जहॉ आवश्यकता लगी मैने अपने विचार कमेन्ट बक्से मे भेजे है। आगे भी भेजता रहूगा। मुझे पता नही कोई मडल-पार्टीवाले जैनो से नराज है। और भद्दी भद्दी गालियो से नवाजा जाता है। आखिर क्यू ? मैने महसुस किया सचालक मन्डल ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नही दिया। अब यह सर्व विदीत है-लेखक से होशियार पाठक होते है। इस सत्य को ऑखो पर पट्टी बान्धकर बदला नही जा सकता । मैने देखा जब भी कोई अच्छा पाठक भडास पर टीपणी करता है तो वही दो चार लोग आकर उक्त पाठको की खिल्ली उडा जाते है, डराते है, अपशब्द का प्रयोग करके उन्हे चुप कराने की चेष्टा करते है। क्यो ? क्यो कि उन्होने ( पाठको) गलत बातो का पक्ष ना लेकर तथाकथित दो-चार लोगो की अप्रमाणीक विचारो कि निन्दा की। ऐसे कुछ लोग चाहते है की वो कहते है दुनिया उसेही सत्य समझे। शायद यह उनका भ्रम है। अमितजी, आपने अपने ढग से समाधान देने की भरपुर कोशिश की। पर बस वो ही तथ्यहीन, तर्कहीन, अप्रमाणीक बाते दो-चार तथाकथित लोग करते रहे। किसी भी बात का ठोस प्रमाण ना देकर बस बार बार एक ही बात करते है -" तुम बनियो हो! तुम राक्षस हो! तुम लोग बरसात को बान्धते हो। तुम मायावी हो! तुम हिन्दु हो या नही ? हमसे पुछते है-तुम्हारे धर्म के दस ऐसे लोग बताओ जो देश की आजादी मे लडे हो। जब आप, उन तथाकथित लोगो से अर्नगल आरोपो का प्रमाण पुछते है तो बस उनके पास जवाब के नाम पर तुम लोग मायावी हो! राक्षस हो ! ऐसा प्रतित होता है की कोई व्यक्ती अपना ऊलू सिद्धा करने के फिराक मे है। प्रिय भाई मोहनजी, आपके विशेष आग्रह का मै सम्मान करता हू। आप भी मुम्बई महानगरी के रहवासी है। कही ना कही कोई जैनी मिला होगा ? क्या आपको कोई जैन मायावी और राक्षस लगा ? मोहनजी! कोई किसी की सह पर या अपना उल्लु सिद्धा करने के लिऍ किसी जाती/धर्म/ या व्यक्ती विशेष का अपमान करे और हम उसे सहन करे ? क्यो ? स्तर से उतर कर बात तो कोई भी कर सकता है रास्ते सभी के लिए खुले है। मोहनजी आप मेरी कोई भी बातको अन्याथा ना ले, मै आपके रेसपेक्टफुली लिखने के आमन्त्रण से अभिभूत हू आपने जो आदर मान सम्मान मुझे दिया मै आपका तेह दिल से शुक्रिया अदा करता हू। अमितजी! मुझे क्षमा करे मै कही ऐसी जगह आकर नही लिख सकता जहॉ का मै सदस्य तक नही। मेरे मे ऐसे गुण कहॉ! कि तथाकतीत महान आत्माओ को सन्तुष्ट कर सकू। हॉ एक बात मै और साफ कर देता हू भडास हमेसा की भॉति मेरा प्रिय ब्लोग रहेगा। और टीपणी जरुर करुगा, जो मेरा हक है। अमितभाई और मोहनजी को कभी किसी विषय पर शका हो तो मेरे को बताए मै अपने ब्लोग पर इमानदारी से समाधान की कोशिस करुगा। अगर मुझे उपरोक्त विषय पर प्रामाणीक जानकारी होगी तो। किसी शब्द, सम्बोघन, उच्चारण, एवम गलत भाषा से हृदय दुखाने वाली बात की हो तो मै आप सभी से माफी चाहता हू। मेरा प्रिय ब्लोग भडास के सभी पाठक बन्धुओ को लेखकको जयजिनेद्र !!
3 comments:
हा...हा...हा.... ये रहा अमित भाई की तरफ़ से इस युग का सबसे मजेदार चुटकुला...the best joke of the era :)
जय जय भड़ास
अमितजी!
आपने मुझसे विचार हेतू भडास पर आकार लिखने को कहा। इतना मान सम्मान हेतु आपका मे धन्यवाद करता हू । चुकी यह ब्लोग मेरे सम्माननीय मित्र रुपेशजी द्वारा सचालित है। हमारे अजीज मित्र के ब्लोग पर आकर लिखने का अमितभाई का अग्रह मेरे लिऐ प्रसन्ता की बात है। चुकी मै भडास का सदस्य नही हू , इसलिए मै वहा लेखक की भुमिका मे नही आ सकता हू। पर हॉ एक पाठक के रुप मे भडास से झुडा हुआ हू। इसलिए पाठक की भूमिका को निभाते हुऐ जहॉ आवश्यकता लगी मैने अपने विचार कमेन्ट बक्से मे भेजे है। आगे भी भेजता रहूगा।
मुझे पता नही कोई मडल-पार्टीवाले जैनो से नराज है। और भद्दी भद्दी गालियो से नवाजा जाता है। आखिर क्यू ? मैने महसुस किया सचालक मन्डल ने इस और बिल्कुल भी ध्यान नही दिया। अब यह सर्व विदीत है-लेखक से होशियार पाठक होते है। इस सत्य को ऑखो पर पट्टी बान्धकर बदला नही जा सकता । मैने देखा जब भी कोई अच्छा पाठक भडास पर टीपणी करता है तो वही दो चार लोग आकर उक्त पाठको की खिल्ली उडा जाते है, डराते है, अपशब्द का प्रयोग करके उन्हे चुप कराने की चेष्टा करते है। क्यो ?
क्यो कि उन्होने ( पाठको) गलत बातो का पक्ष ना लेकर तथाकथित दो-चार लोगो की अप्रमाणीक विचारो कि निन्दा की। ऐसे कुछ लोग चाहते है की वो कहते है दुनिया उसेही सत्य समझे। शायद यह उनका भ्रम है। अमितजी, आपने अपने ढग से समाधान देने की भरपुर कोशिश की। पर बस वो ही तथ्यहीन, तर्कहीन, अप्रमाणीक बाते दो-चार तथाकथित लोग करते रहे। किसी भी बात का ठोस प्रमाण ना देकर बस बार बार एक ही बात करते है -" तुम बनियो हो! तुम राक्षस हो! तुम लोग बरसात को बान्धते हो। तुम मायावी हो! तुम हिन्दु हो या नही ?
हमसे पुछते है-तुम्हारे धर्म के दस ऐसे लोग बताओ जो देश की आजादी मे लडे हो।
जब आप, उन तथाकथित लोगो से अर्नगल आरोपो का प्रमाण पुछते है तो बस उनके पास जवाब के नाम पर तुम लोग मायावी हो! राक्षस हो !
ऐसा प्रतित होता है की कोई व्यक्ती अपना ऊलू सिद्धा करने के फिराक मे है।
प्रिय भाई मोहनजी, आपके विशेष आग्रह का मै सम्मान करता हू। आप भी मुम्बई महानगरी के रहवासी है।
कही ना कही कोई जैनी मिला होगा ? क्या आपको कोई जैन मायावी और राक्षस लगा ? मोहनजी! कोई किसी की सह पर या अपना उल्लु सिद्धा करने के लिऍ किसी जाती/धर्म/ या व्यक्ती विशेष का अपमान करे और हम उसे सहन करे ? क्यो ? स्तर से उतर कर बात तो कोई भी कर सकता है रास्ते सभी के लिए खुले है। मोहनजी आप मेरी कोई भी बातको अन्याथा ना ले, मै आपके रेसपेक्टफुली लिखने के आमन्त्रण से अभिभूत हू आपने जो आदर मान सम्मान मुझे दिया मै आपका तेह दिल से शुक्रिया अदा करता हू।
अमितजी! मुझे क्षमा करे मै कही ऐसी जगह आकर नही लिख सकता जहॉ का मै सदस्य तक नही। मेरे मे ऐसे गुण कहॉ! कि तथाकतीत महान आत्माओ को सन्तुष्ट कर सकू। हॉ एक बात मै और साफ कर देता हू भडास हमेसा की भॉति मेरा प्रिय ब्लोग रहेगा। और टीपणी जरुर करुगा, जो मेरा हक है।
अमितभाई और मोहनजी को कभी किसी विषय पर शका हो तो मेरे को बताए मै अपने ब्लोग पर इमानदारी से समाधान की कोशिस करुगा। अगर मुझे उपरोक्त विषय पर प्रामाणीक जानकारी होगी तो।
किसी शब्द, सम्बोघन, उच्चारण, एवम गलत भाषा से हृदय दुखाने वाली बात की हो तो मै आप सभी से माफी चाहता हू।
मेरा प्रिय ब्लोग भडास के सभी पाठक बन्धुओ को लेखकको जयजिनेद्र !!
आपका अपना
महावीर बी सेमलानी
मुम्बई टाईगर
thik hai.
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