कभी तो मेरे इश्क का पैगाम मुझ को लौटादो
मेरे इज़हार के बदले अपना इकरार लौटादो
कभी देखो तुम मुझे मुहब्बत पाश नजरो से
कभी लफ्जों मे तुम अपना एहसास बतलादो
मै प्यासा हु बहुत तेरी चाहत की खातिर
कभी तो अपनी प्यास का मुझे हाल बतला दो
तेरे सीने मे छुपी मेरी मुहब्बत मुझ को दिखलादो
कभी तो मेरे इश्क का पैगाम मुझ को लौटा दो
No comments:
Post a Comment