खबरिया चैनल का उठता स्तर.....गिरती पत्रकारिता !!!

रजत शर्मा इन दिनों अपने चैनल को भूत-प्रेतों से दूर लेजाकर इसको विश्वसनीय बनाने में लगे हैं और इसका हुलिया बदलना चाहते हैं। अब चैनल का हुलिया बदले या न बदले मगर वे खुद लंदन जाकर अपने गंजे सिर पर केशारोपण करवाकर अपना हुलिया जरुर बदल चुके हैं। अब खबर यह आई है कि इंडिया टीवी द्वारा अमरीका की की एक शोधार्थी फरहाना अली को अमेरिकी जासूस बताकर इसका इंटरव्यू प्रसारित कर दिया। इसको लेकर फरहाना ने खबरिया चैनलों की नियामक संस्था न्यूज ब्रॉडकॉस्टिंग एसोसिशन (एनबीए) में शिकायत की थी। इस संस्था का गठन सभी खबरिया चैनलों ने मिलकर इस उद्देश्य से किया है कि अगर कोई खबरिया चैनल किसी तरह की आपत्तिजनक खबर प्रसारित करता है तो कोई भी दर्शक इसके खिलाफ शिकायत कर सकता है।


न्यूज ब्रॉडकॉस्टिंग एसोसिशन (एनबीए) ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद इंडिया टीवी को दोषी पाया और उस पर एक लाख रुपये जुर्माना लगा दिया। इसके साथ ही इंडिया टीवी को कहा गया कि वो इस आधारहीन और झूठी खबर को प्रसारित करने के लिए चैनल पर माफीनामा भी प्रसारित करे।

न्यूज ब्रॉडकॉस्टिंग एसोसिशन (एनबीए) ने यह पाया कि इंडिया टीवी ने इस खबर में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया। एनबीए ने इंडिया टीवी को कहा था कि वह 1 लाख रूपये एक महीने के भीतर जमा कर दे और अपने चैनल के टिकर (पट्टी) पर किसी भी दिन रात 8 से 9 के बीच खेद प्रकट करे। यह खेद संदेश कम-से-कम पाँच बार चलाया जाए और संदेशों के बीच 12 मिनट का अन्तराल होना चाहिए। लेकिन इंडिया टीवी ने बजाय इस नियामक संस्था की बात मानने के एक लाख जुर्माना लगाए जाने के विरोध में आज न्यूज संगठन से ब्राडकास्टिंग से अपनी सदस्यता वापस ले ली। संगठन को लिखे पत्र में इंडिया टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित बंसल ने कहा कि हम एनबीए के पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए अपनी सदस्यता वापस लेते हैं। उल्लेखनीय है कि सभी खबरिया चैनलों के प्रतिनिधियों द्वारा आपसी सहमति से नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) के गठन के बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा को इसका प्रमुख बनाया गया था। इंडिया टीवी भी इसका सदस्य बना था।

एनबीए की स्थापना चैनलों द्वारा स्व-नियमन के उद्देश्य से अक्टूबर, 2008 में की गई थी। वर्तमान में एनबीए के सदस्यों में 14 ब्रॉडकास्टर हैं। वैसे न्यूज़ और करंट अफेयर्स से जुड़े देश भर के 31 चैनल इसके सदस्य हैं। इसके निदेशकों में टीवी टुडे के जी।कृष्णन, आईबीएन 18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड के समीर मानचंदा, एनडीटीवी के के.वी.एल. नारायण राव, टाईम्स ग्लोबल के चिंतामणि राव, जी न्यूज़ लिमिटेड के वरुण दास, स्टार न्यूज़ के शाजी ज़मा और इनडिपेंडेंट न्यूज़ सर्विस के रोहित बंसल हैं।

इंडिया टीवी को उसकी सनसनीखेज पत्रकारिता महंगी पड़ती जा रही है। एक और इंडिया टीवी अपनी दो दो कौड़ी की खबरों से अपनी टीआरपी बढ़ाने का खेल खेल रहा है, दूसरी ओर माफी भी मांग रहा है और गुर्रा भी रहा है। खबर है कि इंडिया टीवी ने दाउदी बोहरा धर्म समुदाय के सबसे बड़े धर्म गुरू को तालिबानी आतंकवादी दिखाने के बाद लिखित में माफी भी मांग ली है। इंडिया टीवी ने एक और गुल खिलाया कि जिस वीडियों में वह चार जेहादियों को तालिबानी कह कर बार बार दिखा रहा था, वे तालिबानी नहीं बल्कि जम्मू के स्थानीय आतंकवादी थे, और वे आंतकवादी चाहते थे कि उनको टीवी चैनल एक खूंख्वार आतंकवादी के रूप में पेश करे ताकि वे अपने आकाओं को बता सकें कि वे भी भारत के बड़े आतंकावदियों में गिने जाते हैं। इस तरह ऐसा लगता है कि भारतीय खबरिया चैनलों के लिए आतंकवादियों को प्रचार देने का ही काम रह गया है।

ऐसा ही एक और मामला सामने आया है कि काले कपडे पहनकर दहाड़ दहाड़ कर शनि के नाम से लोगों को डराने वाले दाती महाराज ने जब इंडिया टीवी से रिश्ता तोड़ लिया और जब दाती महाराज न्यूज 24 चैनल अपनी दुकान चलाने लगे, इसके बाद भी इंडिया टीवी पर दाती महाराज कई दिनों तक लाईव दिखते रहे। इंडिया टीवी दाती महाराज के पुराने एपिसोड को लाईव और नए एपिसोड के रूप में दर्शकों को परोसता रहा। यही हाल इंडिया टीवी की जनता की अदालत का है इस अदालत में बरसो से एक जैसे चेहरे देख देखकर लोग बोर ही नहीं हो चुके हैं बल्कि इसके आने का संगीत शुरु होते ही लोग चैनल बदल लेते हैं।

ऐसा ही एक कारनामा इंडिया टीवी कई बार कर चुका है। गुजरात के एक हार्डवेअर इंजीनियर ने मोबाईल हैकिंग में महारत हासिल कर ली थी, इंडिया टीवी इस इंजीनियर के जरिए कई जाने माने लोगों के फोन हैक करके उनके नंबर से दूसरे लोगों को फोन लगाकर एक चमत्कार की तरह इस खबर को की बार दिखा चुका था। इसमें फिल्म निर्माता महेश भट्ट को इंडिया टीवी के एंकर सुबीर चौधरी के हैक किए गए फोन से फोन किया गया था। यह तो भला हो सुबीर चौधरी का कि वे इस चैनल से चले गए नहीं तो दर्शकों को यह खबर जाने कितनी बार देखना पड़ती।

साभार : - हिन्दी मीडिया



4 comments:

वन्दना said...

aapne durust farmaya.......india tv ka yahi hal hai.

अग्नि बाण said...

मिडिया का वास्तविक रूप.

रंजनी कुमार झा (Ranjani Kumar Jha) said...

क्या इंडिया टी वी और क्या बाकी खबरिया चैनल सभी एक ही थाली के कौडी हैं.
हमने तो कब का खबरिया चैनल देखना बंद कर दिया है.
परन्तु लोकतंत्र के लिए वाजिब और प्रश्नवाचक लेख हैं.

anuradha srivastav said...

is terh ki sensenee khej khebron ke chkker may na jaane kitno ki jindgi se khilwad kerte hay ye log.
vicharotejk lekh...........

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