मेरे छोटी सी अर्ज

अपने गमो पर हँसता रहा मै हे पर्भु ,
और आप भी मुझे हँसाते रहे ,
तम्मना मेरे एक ये पुरी करना बस ,
कभी मुझे भी खुशी के आशु देना

2 comments:

मनोज द्विवेदी said...

Miliye kisi din apko hansate-hasate ankhon me anshu jarur la dunga.....badhiya likha hai amit bhai

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अमित भाई देर किस बात की हैआप दोनो भाई तो दिल्ली में ही हैं जल्दी से लपक कर मिल लीजिये मनोज भाई से :)
जय जय भड़ास

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