लादेन और तालिबान, पकिस्तान के अस्तित्व पर एक सवालिया निशान ?

पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान के बढ़ते साम्राज्‍य को अब और ज्‍यादा ताकत मिल सकती है, अगर अल-कायदा प्रमुख ओसमा बिन लादेन ने उनका आमंत्रण स्‍वीकार कर लिया। वो इसलिए क्‍योंकि पाकिस्‍तान की स्‍वात घाटी में बसे तालिबानियों ने लादेन को वहां बसने का आमंत्रण दिया है। तालिबान ने कहा है कि ओसामा बिन लादेन सहित सउदी अरबिया और अन्य अरब देशों के लड़ाके अगर स्‍वात घाटी में बसना चाहें तो उनका स्‍वागत है।

तालिबान प्रवक्ता मुस्लिम खान ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उनका समूह अरब मूल के उन लड़ाकों का स्वागत करेगा, जो अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लेना चाहेंगे। तालिबान प्रवक्‍ता ने कहा है कि उनका संगठन ऐसे लड़ाकों की पूरी मदद और हिफाज़त करने को तैयार है। ओसामा बिन लादेन भी यहां आ सकते हैं। निश्चितरूप से, एक भाई की तरह वे जहां भी रहना चाहे रह सकते हैं। मुस्लिम खान के इस बयान ने पाकिस्तान के होश फाकता कर दिये हैं। हालांकि उनके मंसूबों को नाकामयाब करने के लिए पाकिस्‍तान के सूचना मंत्री कमर जमान कारिया ने कहा कि उनके देश में लादेन जैसे लोगों को कभी भी पनाह नहीं लेने दी जाएगी।


दक्षिण एशियाई मामलों के एक अमेरिकी विशेषज्ञ का मानना है कि कुख्यात आतंकवादी संगठन अलकायदा और तालिबान के शीर्ष नेता पाकिस्तान में छिपे हुए हैं, इसलिए आतंकवाद को शिकस्त देने के लिए पाकिस्तान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में भारत,पाकिस्तान और दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ डेनियल मार्की ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी रणनीति के उद्देश्य संकीर्ण हैं, इसलिए दक्षिण एशिया में अमेरिका के हितों को नुकसान हो रहा है। मार्की ने कहा, "पिछले दो वर्षो में अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सुरक्षा हालात खराब हुए हैं। पश्तून बहुल इलाकों में अलकायदा और तालिबान की सक्रियता बढ़ी है, वहीं दोनों देशों के गैर-पश्तून इलाकों में कई भारत विरोधी चरमंपथी तत्व और युद्घ नेता सक्रिय हैं। चिंता की बात यह है कि तालिबान और अलकायदा के अधिकांश बड़े नेता पाकिस्तान में पनाह लिए हुए हैं और वे वहां से अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। अमेरिकी प्रशासन के लिए उपयुक्त यही है कि वह पाकिस्तान पर ज्यादा फोकस करे।"

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी का कहना है कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों के मुताबिक़ ओसामा बिन लादेन की मौत हो चुकी है। इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत में ज़रदारी ने कहा कि ओसामा बिन लादेन को ढूँढ़ने के लिए अमरीकियों के पास तो बेहतर साधन हैं मगर उन्हें भी लादेन के ठिकाने का कोई अंदाज़ा नहीं है।
इसके बाद ज़रदारी का कहना था, "हमारी अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियाँ भी ऐसा ही मानती हैं कि अब वो नहीं रहा, उसकी मौत हो चुकी है।" उन्होंने इस दौरान ये नहीं बताया कि वह इस नतीजे पर कैसे पहुँचे हैं और उन्होंने ये कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते हैं।
जबकी पाकिस्तानी प्रधान मंत्री के बायाँ को देखें तो विरोधाभास लगता है की उन्होंने जरदारी के बयान से अपने आप को अनभिग्य बताया।
तालिबान का पाकिस्तान में बढ़ता हस्तक्षेप और पाकिस्तानी परमाणु बम पर उसकी नजर भारत के लिए चिंता जनक तो है ही पुरे विश्व पर एक काली छाया है। पकिस्तान की राजनीति जिस तरह से तालिबान के हांथ की कठपुतली हो चुकी है, पाकिस्तानी आवाम के लिए भी इराक़ और अफगानिस्तान वाला ख़तरा मंडरा रहा है। क्या राजनैतिक महत्वाकांक्षा से परे लोकतंत्र और आम लोगों के लिए फ़िर से एक दुखदायी युद्ध की घंटी है ?
विकलांग हो चुका पकिस्तान कहीं मानवता के लिए कोढ़ तो नही बन रहा ??
अनकही यक्ष प्रश्न के साथ जारी है .......


3 comments:

Mired Mirage said...

पाकिस्तान क जन्म जिस कारण से हुआ था वही पूरा होता नजर आ रहा है। बबूल के पेड़ बोकर, सींचकर जो आम की इच्छा रखते हों उन्हें क्या कहा जाए ?
घुघूती बासूती

रंजनी कुमार झा (Ranjani Kumar Jha) said...

पाकिस्तान के हालत से साफ़ नजर आ रहा है की जैसा उसने बोया है वो उसे काटने के लिए तैयार हो चुका है मगर राजनैतिक मंशा और विद्वेष ने पाकिस्तान की आवाम को भी हाशिये पर ला खडा कर दिया है.
चिंतनीय प्रश्न वैश्विक पटल के लिए.

अग्नि बाण said...

ये तो होना ही था,
मगर पाकिस्तानी राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के परस्पर विरोधी बयान पाकिस्तान के ऊपर ही संदेह जाता जाता है तो क्या पाकिस्तान अब तालिबान बन गया है. आने वाले दिनों में पाकिस्तानी आवाम के लिए दुनिया के संघों को कोई कठोर कदम उठाना होगा.

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