एक बार फिर एक मक्कारी भरी प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है हिंदुस्तान के बवासीर के दर्द पर....

भड़ासियों पाखंड-शिरोमणि धूर्त मुखौटाधारी संजय सेन ने जो कि खुद ये स्वीकारता है कि वह हिंदुस्तान का (बवासीर का)दर्द है उसने अभी तक पांच सौ रुपया इकट्ठा कर लिया है जिसका कि उपयोग वह अपने मुखौटे की रिपेयरिंग में इस्तेमाल कर रहा है। पिछली बार की तरह एक बार फिर एक मक्कारी भरी प्रतियोगिता का आयोजन करके हिंदी के ब्लागरों को बेवकूफ़ बनाने का जतन कर रहा है। आपको याद होगा कि ये कुटिल इससे पहले भी ऐसी ही एक प्रतियोगिता करके लोगों को भरपूर मूर्ख बना चुका है। यकीन है कि इस बार भी लोग इसके झांसे में आएंगे क्योंकि ग़ालिब ने हमारे देश में जब ये शेर कहा था कि कमी नहीं है ग़ालिब बेवकूफ़ों की इस जहां में, एक ढूंढो हजार मिलते हैं, तब देश की जनसंख्या काफ़ी कम थी आज तो एक ढूंढो तो सौ करोड़ मिल जाते हैं। ये भेड़ों की तरह से झुंड बना कर हिंदुस्तान के बवासीर के दर्द में शामिल हो कर बता रहे हैं कि वे भी हिंदुस्तान का दर्द हैं दवा या दुआ नहीं। भड़ास से ऐसे लोग अगर गलती से जुड़ गये हों तो अपने आप ही अलग हो जाएं क्योंकि भड़ास पर मुखौटाधारियों की नहीं बल्कि सच्चे और एक चेहरे वाले भड़ासियों जमात है। यह हिंदू-मुस्लिम, बाम्भन-बनिया, स्त्री-पुरुष की बकवास की बौद्धिक जुगाली करने वाले खसिया बैलों की नहीं बल्कि नंदी की तरह के मरकहे सांडों का अभ्यारण्य है।
ये पाखंडी खुद अपने चिट्ठे पर यौन-कुंठा से भरी अर्धनग्न स्त्रियों की तस्वीरों को लगाने का बहाना तलाशता रहता है जैसा कि अभी हाल ही में इसने वर्किंग वूमन से जुड़ी एक पोस्ट में अर्धनग्न और अत्यंत अश्लील सा चित्र लगाया था और विदेशी सर्वे का हवाला देकर नौकरी करने वाली भारतीय मां-बहनों को लज्जित कर रहा था कि वे सेक्सी कपड़े पहनने को प्रधानता देती हैं ताकि कार्यालय में अपने काम बनवा सकें और धूर्त लिखता है कि
प्राप्त प्रबिष्टियों मे से यदि कोई प्रबिष्टि हमें ऐसी प्राप्त होती है जो सामाजिक हित से ना जुडकर अश्लीलता या समाज को गलत रास्ता दिखाती है तो उसे अंकुरित चिट्ठा-2009 के लिए स्वीकार नही किया जायेगा,इसकी जानकारी आप को दे दी जायेगी। ऐसा नीच और कुत्सित सोच वाला हैवान भी अपने साथ कई लोगों को जोड़ कर ये सिद्ध कर रहा है कि इससे जुड़े लोग कितने पौरुष वाले हैं जो इस बात के विरुद्ध चूं तक नहीं करते बस बौद्धिक जुगाली करते रहते हैं। धिक्कार है ऐसे लोगों पर......
जय जय भड़ास

1 comment:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

भाई ये आदमी और पंखो वाली भड़ास की ममी सम्हाले बैठा यशवंत सिंह दोनो अव्वल दर्ज़े के पाजी और पाखंडी है ये सब जानते हैं लेकिन खुद भी पाजी होने के कारण इनका साथ नहीं छोड़ते यही सच है....
अश्लीलता से ही संजय सेन की रोटी चल रही है ये तो मनोज भाई पहले ही पोल खोल चुके हैं।
जय जय भड़ास

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