वो बचपन कहाँ गया ....

जब स्कूल में था, तो ये दुनिया बड़ी अजीब लगती थी . सबकुछ बड़ा ही अजीब लगता था . बाल मन में कई अजीब सवाल उठते थे ....उन सवालों के जबाब कोई देने वाला नही था । आज जब कई लोग उनका जबाब दे सकते है तो सवाल ही नही उठते । वो बचपन कहाँ गया ....वो इक्षाशक्ति और जानने की लालशा कहाँ गई ....भाई मै तो बड़ा ही परेशान हूँ । कहतें है अतीत को याद नही करना चाहिए लेकिन मै अपनी बचपन की यादों को कैसे छोड़ दूँ ? वो मस्त जीवन , वो मीठी यादें .....नही भूल सकता । गाँव की गलियों में घूमना । कोई चिंता फिकर नही .... डांट खाना और फ़िर वही करना ,आगा पीछे सोचने की कोई कोशिश नही । घर से ज्यादा दोस्तों की चिंता ....कौन क्या कर रहा है .....इसकी ख़बर रखना । आज कई यादें धुंधली हो गई है ....कुछ तो लुप्त हो गई है ....हाय रे मेमोरी । याद करने की कोशिश बेकार हो जाती । वो बचपन छोटा सफर था लेकिन अकेला सफर तो कतई नही था । आज तो मन भीड़ में भी अकेला लगता है .... ये दर्द बयां नही कर सकता । केवल महशुश कर सकता हूँ ।

2 comments:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

मेरा बचपन और जवानी दोनो ही बहुत डरावने रहे हैं आप भाग्यशाली हैं
जय जय भड़ास

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

हमारे भड़ास परिवार में सबसे कम उम्र भड़ासी मात्र चौदह साल का एक कुशाग्र किशोर है जो कि कम्प्यूटर तकनीक का शैतान है पासवर्ड्स वगैरह क्रैक कर लेना उसके बांए हाथ की छोटी उंगली का काम है,उसका कहना है कि अगर किसी तरह इंसान डिजिटलाइज हो जाएं तो मजा आ जाए जिंदगी का.....
वो है बादशाह बासित:)
मैं बचपन की सारी ऊर्जा बासित में ही देख कर खुश हो लेता हूं
जय जय भड़ास

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